Pariksha Pe Charcha: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने कहा है कि बच्चे हमारे राष्ट्र का भविष्य है इसलिए उन्हें हमें किसी भी प्रकार के दबाव को झेलने के लिए सामर्थ्यवान बनाना चाहिए और उन्हें दबावों से मुकाबला करने में मदद करनी चाहिए। उन्होंने अभिभावकों एवं शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि छात्रों की चुनौतियों का समाधान अभिभावकों के साथ-साथ शिक्षकों को भी सामूहिक रूप से करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने ये बातें ‘परीक्षा पे चर्चा’ (Pariksha Pe Charcha: )कार्यक्रम के 7वें संस्करण के दौरान नई दिल्ली के भारत मंडपम में छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ बातचीत के दौरान कही। उन्होंने कहा कि सही समय जैसी कोई चीज नहीं है, इसलिए उसका इंतजार न करें। चुनौतियां आती रहेंगी, और आपको उन चुनौतियों को चुनौती देनी होगी। यदि लाखों चुनौतियां हैं, तो अरबों समाधान भी हैं।
Pariksha Pe Charcha में मोदी बोले – मैं हर चुनौती को चुनौती देता हूं
‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि मैं हर चुनौती को चुनौती देता हूं। मैं चुनौती के निकलने का निष्क्रिय रूप से इंतजार नहीं करता। इसके कारण मुझे हर समय कुछ नया सीखने का मौका मिलता है। नई परिस्थितियों से निपटना मुझे समृद्ध बनाता है। उन्होंने यह भी कहा कि स्वस्थ प्रतिस्पर्धा छात्रों के विकास के लिए शुभ संकेत है और शिक्षक नौकरी की भूमिका में नहीं, बल्कि वे छात्रों का जीवन संवारने की जिम्मेदारी निभाते हैं और छात्रों और शिक्षकों के बीच का नाता केवल परीक्षा के कालखंड का नहीं, बल्कि पहले दिन से ही प्रगाढ़ होना चाहिए। माता-पिता को इंगित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी बोले कि अपने बच्चों के रिपोर्ट कार्ड को उनका विजिटिंग कार्ड नहीं बनाना चाहिए। अपने बच्चों के बीच कभी प्रतिस्पर्धा और प्रतिद्वंद्विता के बीज न बोएं, बल्कि भाई-बहन एक-दूसरे के लिए प्रेरणा स्रोत बनें। छात्र अपने सभी कार्यों और अध्ययन में प्रतिबद्ध और निर्णायक बनने का प्रयास करें और रोजाना खुद अपनी नोटबुक में कुछ न कुछ जरूर लिखें। यदि आपके पास वह अभ्यास है, तो परीक्षा हॉल का अधिकांश तनाव दूर हो जाएगा। आईटी को बोझ नहीं बनना चाहिए। इसका विवेकपूर्ण उपयोग करें।
जब कोई स्वार्थ न हो तो निर्णय में कभी भ्रम नहीं होता
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर वहां पर छात्रों द्वारा प्रदर्शित कला और शिल्प प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने प्रदर्शनी में छात्रों द्वारा बनाई गई रचनाओं का उल्लेख किया जहां उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति जैसी आकांक्षाओं और अवधारणाओं को विभिन्न आकारों में व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि ये प्रदर्शित वस्तुएं दर्शाती हैं कि नई पीढ़ी विभिन्न विषयों के बारे में क्या सोचती हैं और इन मुद्दों के लिए उनके पास क्या समाधान हैं। मैंने अपने जीवन में निराशा के सभी दरवाजे और खिड़कियां बंद कर दी हैं। फिर भी असफलताओं से निराशा नहीं होनी चाहिए, हर गलती एक नई सीख है। साथ ही यह भी कि जब कोई स्वार्थ न हो तो निर्णय में कभी भ्रम नहीं होता। ‘परीक्षा पे चर्चा’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से शुरू की गई एक ऐसा आयोजन है जो छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों और समाज को एकजुट कर एक ऐसे वातावरण को बढ़ावा देती है जहां प्रत्येक बच्चे की अद्वितीय व्यक्तित्व की सराहना की जा सके, उसे प्रोत्साहित किया जाए और खुद को पूरी तरह से व्यक्त करने की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा कि जितना मैं अपने देशवासियों की क्षमताएं बढ़ाता हूं, चुनौतियों को चुनौती देने की मेरी क्षमता बढ़ती है।