Millionaires: भारत के लिए यह चिंता का विषय होना चाहिए कि लगभग 4,300 अमीरों (Millionaires) के इस साल भारत (India) छोड़ने (Migration) की संभावना है। अंतरराष्ट्रीय निवेश प्रवास सलाहकार फर्म हेनले एंड पार्टनर्स (Henley & Partners) की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। इन अमीरों के भारत छोड़ने (Migration) के कई कारण हो सकते हैं। इसमें सुरक्षा, वित्तीय विचार, टैक्स में लाभ, सेवानिवृत्ति की संभावनाएं, व्यावसायिक अवसर, अनुकूल जीवनशैली, बच्चों के लिए शिक्षा के अवसर, स्वास्थ्य सेवा प्रणाली और जीवन की गुणवत्ता जैसे कारण महत्वपूर्ण है। माना जा रहा है कि भारत क्वालिटी लाइफ देने के मामले में लगातार नीचे गिरता जा रहा है साथ ही व्यापार के अनुकूल वैश्विक माहौल भी नहीं बन पा है। लंदन स्थित इंस्टीट्यूट फॉर गवर्नमेंट की निदेशक और सीईओ डॉ. हन्नाह व्हाइट ओबीई के अनुसार, आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता हाई नेट वर्थ लोगों (HNWI) को भारत के बजाय कहीं और व्यापारिक विसातार के लिए धकेलने का मूल कारण हो सकता है। पिछले साल दुनिया भर के विभिन्न देशों से 1 लाख 24 हजार अमीर लोग अपना अपना देश छोड़कर कहीं अन्य देश में जाकर बसे थे, यह संख्या इस साल 1 लाख 28 हजार होने के आसार हैं। इन लगभग सवा लाख लोगों में 4 हजार 300 अमीर भारत के हो सकते हैं।
कहां जाते ये अमीर भारत को छोड़कर
भारतीय अमीरों के लिए सबसे पसंदीदा जगह संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) है। भारत में बड़ी संख्या में अमीर कम हो रहे हैं, और खास तौर पर यूएई में बस रहे हैं। हेनले प्राइवेट वेल्थ माइग्रेशन रिपोर्ट 2024 के अनुसार 2024 में यूएई में रिकॉर्ड 6,700 अमीर प्रवासियों के आने की उम्मीद है। क्योंकि संयुक्त अरब अमीरात की जीरो इन्कम टैक्स पॉलिसी, शानदार जीवनशैली, रणनीतिक स्थान और गोल्ड वीज़ा कार्यक्रमों से उनके आकर्षित होने की संभावना है। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में दुबई में हुरानी की पार्टनर सुनीता सिंह-दलाल के हवाले से कहा गया है, यूएई में धन प्रबंधन और वहां के आधारऊत ढांचे का विकास अभूतपूर्व है। पांच साल से भी कम समय में, यूएई ने एक मजबूत नियामक ढांचा पेश किया है जो अमीर लोगों को उनकी संपत्ति की सुरक्षा, संरक्षण और वृद्धि के लिए कई तरह के अभिनव समाधान प्रदान करता है। इसी वजह से ज्यादातर अमीर भारत छोड़ रहे हैं।
भारत के लिए चिंताजनक हालात होनी चाहिए
राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार का कहना है कि एक साल में लगभग 4 हजार से ज्यादा अमीरों का भारत छोड़ना सरकार सहित समाज के लिए बड़ी चिंता का विषय होना चाहिए। क्योंकि किसी भी धनी व्यक्ति का अपने गांव, राज्य या देश छोड़ने का वहां के लोगों पर सीधा प्रभाव डालता है। प्रवासी अमीर किसी भी देश के लिए फॉरेन करेंसी रेवेन्यू का एक महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं, ऐसा इसलिए है, क्योंकि वे जब किसी देश में जाते हैं तो अपना पैसा अपने साथ लाते हैं। राजनीतिक विश्लेषक संदीप सोनवलकर का कहना है कि भारत से जानेवाले लगभग 20 प्रतिशत उद्यमी विभिन्न कंपनियों के संस्थापक हैं जो वहां जाकर नए व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। सोनवलकर कहते हैं कि वे वहां जाकर नए देश में रोजगार के अवसर पैदा करेंगे, जो वहां के लिए बेहतरीन वातावरण पैदा करेगा। राजनीतिक विश्लेषक परिहार कहते हैं कि भारत में भी रोजगार प्रदाता करोड़पतियों और अरबपतियों के लिए यही स्थिति बनाई जानी चाहिए। सोनवलकर का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन में सामान्य लोगों को बेहतरीन व्यटापारिक विकास का कातावरण बनने की उम्मीद तो है, लेकिन सरकार इस दिशा में कितना काम कर रही है, यह अभी तक सामने नहीं आया है।
हर साल सवा लाख अमीर छोड़ देते हैं अपना देश
ज्ञात हो कि 2024 में दुनिया के 1,28,000 अमीरों के अपना देश छोड़कर नए देश में जाने की संभावना है, जिसमें संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका सबसे ऊपर हैं। यह 2023 में स्थापित 1,20,000 के पिछले रिकॉर्ड से कहीं ज़्यादा है। भारत हर साल हजारों अमीरों को खो देता है, लेकिन पिछले दशक में 85 प्रतिशत की संपत्ति वृद्धि के साथ, देश में नए हाई नेटवर्थ इन्कम वाले लोगों की संख्या में वृद्धि भी जारी है, जो कि देश छोड़कर जानेवालों से कहीं अधिक है। अपना अपना देश छोड़कर कहीं अन्यत्र बसनेवाले अमीर लोगों के पलायन के लिए अन्य शीर्ष गंतव्यों में संयुक्त राज्य अमेरिका, सिंगापुर, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं, जो उच्च आय वर्ग वाले इन अमीरों द्वारा किए जाने वाले आर्थिक योगदान और रोजगार सृजन से लाभान्वित होते हैं। इन देशों में अमीर व्यक्तियों के आने की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है।
-राकेश दुबे (वरिष्ठ पत्रकार)