Rajasthan News: राजस्थान सरकार में पिछले कई दिनों से इस्तीफे के लिए चर्चा में रहे दमदार बीजेपी (BJP) नेता और कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा (Kirodilal Meena) मंत्री पद पर अपना काम नहीं कर रहे हैं, इसलिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (Bhajanlal Sharma) ने डॉ मीणा का कृषि विभाग दूसरे मंत्री केके विश्नोई को सौंप दिया है। अब राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Assembly) में कृषि विभाग से संबंधी सवालों के जवाब भी विश्नोई देंगे। वैसे तो खबरें थीं कि करीब दो सप्ताह पहले ही उन्होंने सरकार से अपना इस्तीफा दे दिया था, लेकिन डॉ मीणा ने आज गुरुवार को यानी 4 जुलाई की सुबह जयपुर में एक सार्वजनिक आयोजन में अपने इस्तीफे का ऐलान किया। उसके ठीक बाद ही उनका विभाग किसी और को सौंपे जाने की घटना ने उनके इस्तीफे की पुष्टि हो गई। लेकिन खबर है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अभी उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है, जिसके कारण किरोड़ी लाल मीणा की इस्तीफे की घोषणा के बावजूद राजस्थान के सियासी हलकों में सरगर्मी बनी रहेगी।
खुद की ताकत से सदा ताकतवर रहे हैं किरोड़ी
डॉ किरोड़ीलाल मीणा के राजनीतिक सफर पर बात करते हुए राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार बताते हैं कि अपनी पढ़ाई के दिनों से ही राजनीति में आए किरोड़ी लाल मीणा पेशे से डॉक्टर हैं। लेकिन शौक से राजनेता हैं। वे एमबीबीएस तक पढ़े हैं और मूल रूप से किसान हैं। परिहार कहते हैं कि वैसे खेती करते हुए उन्हें किसी ने कभी देखा नहीं और डॉक्टरी करते हुए देखनेवाले भी कम लोग ही होंगे। कुल 6 बार विधायक रहे हैं, और मंत्री भी। देसी अंदाज में भारी भरकम अंग्रेजी बोलते हैं। तीस साल की ऊम्र में बीजेपी के जिलाध्यक्ष बन गए थे और बाद में जिला परिषद के प्रमुख भी। वैसे कायदे से देखा जाए तो जीवन की जरूरत, आदत और शौक के बीच कोई बहुत बड़ा फासला नहीं होता। शौक कब आदत बन जाए और आदत कब शौक का रूप धर ले, कोई नहीं कह सकता। लेकिन डॉ. मीणा के तो शौक, आदत, पेशा और जरूरत, सब कुछ राजनीति से शुरू होकर राजनीति में ही थम जाते हैं। परिहार कहते हं कि इसीलिए, किरोड़ी लाल मीणा राजनीति करते हुए कभी राजनीति के शिकार हो जाते हैं तो कभी खुद शिकारी बनकर राजनीति में शिकार तलाशते रहते हैं। परिहार बताते हैं कि राजनीतिक ताकत के मामले में डॉ. मीणा कमजोर कभी नहीं रहे। जीवन भर जिस बीजेपी और संघ परिवार में रहे, उसे तज कर वे दौसा से निर्दलीय सांसद भी रहे हैं। तो, पत्नी श्रीमती गोलमा देवी को महुआ से निर्दलीय विधायक जिताकर राजस्थान में अशोक गहलोत के दूसरे मुख्यमंत्री काल में कांग्रेस की सरकार में मंत्री बनने की शर्त पर कांग्रेस का सहारा बने। डॉ मीणा दमदार नेता हैं और अपनी जाति के बूते पर इतने ताकतवर कि स्वर्गीय राजेश पायलट और उनके बेटे सचिन पायलट द्वारा कांग्रेस की सीट के रूप में तैयार की गई दौसा सीट पर कांग्रेस को धूल चटाकर वे संसद में पहुंचे।
महीने भर पहले ही कर दिया था इस्तीफा ऐलान
बेबाक बयानी के लिए मशहूर डॉ किरोड़ी लाल मीणा की छवि एक आदिवासी किसान नेता की है। राजस्थान की राजनीति में बाबा के नाम से मशहूर डॉ किरोड़ी लाल मीणा 6 बार विधायक रहे है। प्रदेश के पूर्वी हिस्से में उनके राजनीतिक व सामाजिक प्रभाव व प्रतिष्ठा को केवल इसी बात से समझा जा सकता है कि वे महवा, टोड़ाभीम, सवाई माधोपुर और बामनवास समेत चार अलग-अलग विधानसभाओं से 6 बार विधायक का चुनाव जीतते रहे हैं। वे दो बार दो अलग- अलग सीटों दौसा और सवाई माधोपुर से लोकसभा चुनाव भी जीते और बाद में बीजेपी ने उनकी राजनीतिक ताकत को देखते हुए सन 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले राज्यसभा सदस्य के रूप में संसद में भेज दिया था। लोकसभा चुनाव में किरोड़ी लाल मीणा को 7 सीटों पर उम्मीदवारों की जीत की जिम्मेदारी मिली थी। उन्होंने कहा था कि दौसा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार कन्हैया लाल मीणा नहीं जीते, तो वे मंत्री पद छोड़ देंगे। किरोड़ी दौसा के प्रभारी थे। वे दमदार नेता रहे हैं और विधायक बनने से पहले राज्यसभा में सांसद थे। केवल सात महीने में ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मुझे इस्तीफा देने से मना किया था, लेकिन मैं तो पहले ही मंत्री पद से इस्तीफा दे चुका हूं। बीजेपी दौसा की ये सीट हार गई, जिसके बाद से किरोड़ी लाल मीणा इस्तीफा देने पर आमादा थे। मगर खबर है कि हाईकमान और मुख्यमंत्री के आग्रह ने उन्हें कई दिनों तक रोके रखा। मगर, 20 जून को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और आज खुद ने ही अपने इस्तीफे का ऐलान भी कर दिया। लेकिन इस्तीफा वास्तव में स्वीकार किया गया है या नहीं, इस पर मुख्यमंत्री कुछ भी नहीं बोले है। राजस्थान की राजनीति में अब सबकी जुबां पर सवाल यही है कि डॉ. मीणा का अगला कदम क्या होगा?