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Home»Blog»Shayari: आंखें दिखलाते हो, जोबन तो दिखाओ, वो अलग बांध के रक्खा है, जो माल अच्छा है
Blog 2 Mins Read

Shayari: आंखें दिखलाते हो, जोबन तो दिखाओ, वो अलग बांध के रक्खा है, जो माल अच्छा है

Prime Time BharatBy Prime Time BharatJanuary 5, 2025No Comments
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Shayari: शेर-ओ-शायरी के भी अपने अलग अंदाज हैं। खास तौर पर उनके शब्दों के भी कुछ खास मायने होते हैं। ऱशेर और शायरी में गूंथे गए एक एक शब्द का अंदाज अलग होता है, उनके अर्थ अनेक होते हैं और हर अर्थ का अनर्थ भी हो सकता है। क्योंकि सब कुछ कहने वाले, जिस पर कहा जाए उस पर और कहने के वक्त पर निर्भर करता है। इसी तरह के एक शेर में कुछ खास अर्थों की व्यााख्या यहां प्रसंतुत है…

एक बहुत मशहूर शेर है…

आंखें दिखलाते हो, जोबन तो दिखाओ साहब

वो अलग बांध के रक्खा है, जो माल अच्छा है

शब्द और शब्दार्थ के फर्क की व्याख्या

इस शेर में ग़ज़ब का चोंचाल है। यही चोंचाल उर्दू ग़ज़ल की परम्परा की विशेषता है। आंखें दिखाना द्विअर्थी है। एक मायनी तो ये है कि केवल आंखें दिखाते हो अर्थात मात्र आंखों का नज़ारा कराते हो। दूसरा अर्थ यह है कि केवल ग़ुस्सा करते हो क्योंकि आंखें दिखाना मुहावरा है और इसके कई मायनी हैं जैसे घूर कर देखना, क्रोध की दृष्टि से देखना, घुड़की देना, इशारा व संकेत करना, आंखों ही आंखों में बातें करना। मगर शेर में जो व्यंग्य दिखाई देता है उसके अनुसार आंखें दिखाने को घुड़की देने अर्थात क्रोध से देखना ही समझना चाहिए।

चढ़ती जवानी तेरी चाल मस्तानी

जोबन के कई अर्थ हैं जैसे, सुंदरता, चढ़ती जवानी, स्त्री की छाती अर्थात स्तन। जब ये कहा कि वो अलग बांध के रखा है जो माल अच्छा है तो तात्पर्य स्तन से ही है, क्योंकि जब आंख दिखाई तो स्पष्ट है कि चेहरा भी दिखाया और जब आमने सामने खड़े हो गए तो जैसे चढ़ती जवानी का नज़ारा भी हुआ। अगर कोई चीज़ जो शायर की जानकारी के अनुसार अच्छा माल है, और जिसे बांध के रखा गया है, तो वह प्रियतम का स्तन ही हो सकता है।

इस तरह शेर का अर्थ यह होता है कि तुम मुझे केवल ग़ुस्से से आंखें दिखाते हो और जो चीज़ देखने का मैं इच्छुक हूं, उसे अलग से बांध कर रखा है।

-शफ़क़ सुपुरी / अमीर मीनाई

Shayari
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