Govind Dingh Dotasara: राजनीति और नृत्य का आपस में गहरा रिश्ता है। क्या जनता और क्या अफसर, सभी को राजनेताओं की उंगलियों के इशारों पर नाचते देखा हैं। लेकिन नेता जब खुद ही नृत्य करने लगे, तो उसका चर्चा में रहना बहुत ही सहज है। राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा इसीलिए, होने को तो राजनीति में हैं, लेकिन नृत्य की अपनी नई विधा के कारण खासे चर्चा में हैं। राजनेता आम तौर पर मंच पर अपने भाषणों के लिए चर्चित होते हैं। लेकिन डोटासरा इससे भी एक सीढ़ी ऊपर हैं। राजस्थान कांग्रेस में वे अपने लुभावने भाषणों से तो लोकप्रिय हैं ही, लेकिन आजकल जहां भी जाते हैं, लोग उनसे नृत्य की भी उम्मीद करते हैं। डोटासरा के गमछा हिलाते ही, हजारों लोग उनके साथ भी नाचने लगते हैं। डोटासरा के इस नृत्य को ‘गमछा नाच’ नाम मिला है। इसी पर पेश है राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार अरविंद चोटिया की विशेष टिप्पणी –
कहा जाता है कि राजनीति तरह-तरह के नाच नचाती है। लेकिन, शायद देश में यह पहली बार हो रहा है कि एक नाच राजनीति को नचाए हुए है। राजनीति में नृत्य का ऐसा प्रयोग इससे पहले कभी किसी ने करने के बारे में सोचा भी नहीं था। नृत्य और संगीत की समृद्ध परंपरा वाले राजस्थान में अनेक प्रकार के नृत्य सदियों से प्रचलित हैं और देश-विदेश में खूब लोकप्रिय भी हैं। हर नृत्य को किसी न किसी ने पहली बार प्रस्तुत किया ही होगा और इसके पीछे कड़ी मेहनत रही होगी। हर नृत्य जो आज लोकप्रिय है, वह जरूर किसी न किसी सुधार की प्रक्रिया से गुजरा होगा और तब जाकर अपने परिपूर्ण रूप में सामने आया होगा। हम नहीं जानते कि तेरह ताली नृत्य, भवाई नृत्य, घूमर नृत्य, कालबेलिया नृत्य समेत राजस्थान की अनेक नृत्य कलाओं के जनक कौन थे और सबसे पहले किसने इन नृत्य को मंच पर प्रस्तुत किया था।
किसी एक ने एक नृत्य को तैयार किया होगा और फिर सबसे पहले प्रस्तुत किया होगा और उनकी देखा देखी उनसे सीख कर अनेक लोगों ने इन नृत्य में प्रवीणता हासिल की और आज पीढ़ी दर पीढ़ी लोग उन नृत्य कलाओं के दम पर कमाकर खा रहे हैं। यह कमाकर खा रहे लोग अगर किसी के कृतज्ञ होना भी चाहें तो उन्हें पता नहीं है कि वे किसके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करें। लेकिन, राजस्थान में “गमछा नृत्य” बिल्कुल नया है और इसकी कुल जमा उम्र 10 महीने के आसपास ही है। और इस नृत्य के जनक को तो सब जानते ही हैं। इस नृत्य की राजनीतिक मंचों पर डिमांड भी अच्छी खासी है और कम से कम राजस्थान में राजनीति के खेल बारहों महीने चलते ही रहते हैं। राजनीति से इतर मंचों पर भी इस नृत्य की अच्छी खासी डिमांड पैदा हो गई है तो आप मानकर चलिए कि नर्तकों की डिमांड भी निकलने वाली है क्योंकि डिमांड ज्यादा होगी और फिलहाल नर्तक एक ही है।
डिमांड और सप्लाई का नियम यहां भी लागू होगा। एक नर्तक तो पूरे राजस्थान में डिमांड पूरी कर ही नहीं सकता। ऐसे में नए नर्तक भी चाहिए और शुरुआत में जो लोग इस नृत्य कला से जुड़ेंगे वे अपने यहां नए कलाकार भी तैयार कर सकते हैं। हालांकि, इस नृत्य कला के जनक अपने हमपेशा लोगों के निशाने पर है। उनको हर कोई इस नृत्य के कारण ही निशाने पर ले रहा है। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि इस नृत्य की डिमांड पब्लिक में बढ़ती जा रही है और हर कोई तत्काल इस नृत्य का जवाब किसी अन्य नृत्य से दे नहीं पा रहा हो। नृत्य करने के लिए आपके शरीर में लचक भी चाहिए और नृत्य कला की बेसिक समझ भी होनी चाहिए। वह कोई रातों-रात पैदा नहीं की जा सकती और जब तक आप नृत्य में पारंगत हों तब तक क्या पता चुनाव ही पूरे हो जाएं। हो सकता है कि आप कोई अपना नृत्य इजाद करें, लेकिन यह भी हो सकता है कि वह पब्लिक को पसंद नहीं आए। और अगर चलते चुनाव में आपका नृत्य नापसंद कर दिया जाए तो हो सकता है चुनाव के नतीजे भी प्रभावित हो जाएं। अगर, गौर से देखा जाए तो यह संकट बहुत भारी है।
कहा जाता है कि राजनीति तरह-तरह के नाच नचाती है। लेकिन, शायद देश में यह पहली बार हो रहा है कि एक नाच राजनीति को नचाए हुए है। राजनीति में नृत्य का ऐसा प्रयोग इससे पहले कभी किसी ने करने के बारे में सोचा भी नहीं था। इस नृत्य को शुरुआती चुनावी सफलता अच्छी मिली थी इसलिए यह प्रचलन में आ गया और आने वाले समय में इस नृत्य से मिलने वाली चुनावी सफलता इसके भविष्य को तय करेगी। सफलता कम मिले या ज्यादा, लेकिन यह नृत्य तो सफल हो चुका है। जिसने भी राजनीति में नए प्रयोग किए हैं, उसे शुरुआत में आलोचनाएं झेलनी ही पड़ी हैं। बाद में स्वीकार्यता हासिल करते हुए देखा गया है। राजनीति में यह नृत्य भी एक प्रकार का नया प्रयोग ही है और इसीलिए इस पर चौतरफा हमले हो रहे हैं। यकीन मानिए कि इसे भी आने वाले समय में स्वीकार्यता मिल ही जाएगी।
ऐसे में प्रदेश के रोजगार की तलाश में भटक रहे युवाओं के सामने एक बड़ा अवसर आया है कि वे यह नया वाला नृत्य सीखें और इसकी निरंतर प्रेक्टिस करें। सरकार के सामने भी एक बड़ा अवसर आया है कि वह जिला स्तर पर डांस स्कूल खोले और युवाओं को नृत्य की का प्रशिक्षण प्रदान करें। सरकार युवाओं को रोजगार देने के लिए दुनिया भर में घूम घूम कर निवेशकों को आमंत्रित कर रही है। जबकि अवसर उसके घर में ही मौजूद हैं। बस उन्हें पहचानने की जरूरत भर है। अगर, इस दिशा में सही समय पर और अच्छी नियत से सरकार आगे बढ़ती है तो वह रोजगार का इतना बड़ा अवसर खोल देगी कि दुनिया भर के निवेशकों को रिझाने की जरूरत नहीं रह जाएगी। जिन अफसरों पर निवेशकों को हतोत्साहित करने के आरोप लगते हैं, वे उन आरोपों से बच जाएंगे। सरकार को चाहिए कि वह भीलवाड़ा की किसी अच्छी कपड़ा फैक्ट्री को तुरंत लाखों की संख्या में गमछा बनाने का ऑर्डर देकर इस फील्ड में उतरने के इच्छुक लोगों को पहला गमछा अपनी ओर से मुफ्त भेंट करे। इसे ही सरकार की ओर से रोजगार की दिशा में उठाया गया एक ठोस कदम मान लिया जाएगा।