I.N.D.I.A. : संसार के सबसे बड़े लोकतंत्र में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सत्ता में बैठी बीजेपी (BJP) को हराने के लिए एकजुट हो रहे विपक्षाी दलों के गठबंधन इंडी अलाइंस की एकता तार तार होती दिख रही है। गठबंधन की कढ़ाई में गरम होते दूध में ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और लालू यादव ने ऐसा निंबू निचोड़ा है कि दूध फटता दिख रहा है। नीतीश कुमार (Nitish Kumar) अलग राह नापने की दिशा तलाश रहे हैं, तो कांग्रेस में भी भयंकर नाराजगी का माहौल देखने को मिल रहा है। केजरीवाल कांग्रेस (Congress) के खिलाफ षड़यंत्र रचते जा रहे हैं, ममता बनर्जी सहायता कर रही है और उद्धव ठाकरे भी उसमें उनको सहयोग कर रहे हैं, क्योंकि कांग्रेस आगे बढ़े यह कोई नहीं चाहता। उद्धव ठाकरे भी वीर सावरकर की आलोचना करते रहने वाले राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को पसंद नहीं करते। बीजेपी पहले से ही कह रही है कि ये अलाइंस ज्यादा चलेगी नहीं।
I.N.D.I.A. गठबंधन की ढीली पड़ती गांठ
सन 2023 के आखरी महीने दिसंबर महीने की 19 तारीख को बीते सप्ताह भर हो रहा है और फिर भी उस दिन की घटनाओं के आइने में देश गठबंधन की गांठ को ढीली पड़ते देख रहा है। दिल्ली में उस दिन की इंडी अलाइंस बैठक से पहले और बाद में आए विरोधाभासी बयानों और एक दूसरे को नीचा दिखाने की राजनीतिक रणनीति की विभिन्न घटनाओं के कारण गठबंधन की एक अलग ही तस्वीर उभर कर सामने आ रही हैं। बीजेपी विरोधी वोटों पर देश में समान रूप से केवल अपना मालिकाना हक सुरक्षित रखने की कोशिश में कांग्रेस (Congress) इस गठबंधन में अपने प्रभुत्व को साबित करना चाहती है, और नीतीश कुमार (Nitish Kumar) गठबंधन के सूत्रधार के रूप में सबसे ऊपर रहने की हसरत में जी रहे हैं, लेकिन ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और लालू यादव सबके सपनों पर पानी फेरने की ऐसी राजनीति कर रहे हैं कि हर कोई खुद को चारों खाने चित देख रहा ह।
ज्यादा सीटें झटकने की खींचतान
इंडी अलाइंस के मौजूदा स्वरूप के बने रहने पर संशय लग रहा है। गठबंधन के संयोजक पर दुविधा है और प्रधानमंत्री के चेहरे को लेकर विवाद पहले से ही उठ खड़ा हुआ है। वैसे तो कांग्रेस (Congress) ही सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है, जिसका जनाधार भी पूरे दश मे है, और गठबंधन का नेतृत्व कांग्रेस के पास है। लेकिन, इंडी अलाइंस के नेताओं को कुछ दिनों में लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी से मुकाबला कर सकने वाले मजबूत उम्मीदवारों की तलाश हैं। लेकिन फिलहाल तो भीतर ही कलह चल रही है। सीटों के बंटवारे को लेकर हर पार्टी आमने सामने हैं। महाराष्ट्र मे शिवसेना कांग्रेस से ज्यादा सीटें चाहती है, तो बिहार में कांग्रेस नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पार्टी से ज्यादा सीटों पर लड़ने के सपने देख रही है। इसी तरह स हर तरफ एक दूसरे के मुकाबले ज्यादा सीटें झटकने की कोशिश में खींचतान बढ़ती जा रही है। जंग जारी है और सबका एकमत होना आसान नहीं है। गठबंधन में 28 दल हैं और सबका अपना अपना राजनीतिक चरित्र है, सारे एक से नहीं हैं और सबके अपने अपने असाध्य लक्ष्यों का पूरा हो पाना आसान नहीं है। खास बात यह भी है कि अलग अलग राज्यों में अलग अलग दलों की सरकारें हैं, सबकी अपनी अपनी अलग अलग चुनौतियां हैं। ऐसे में सब एक हों भी तो कैसे।
कोंग्रेस में कलह की कोशिश सफल
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने इंडी अलाइंस की ओर भारत के प्रधानमंत्री के भावी उम्मीदवार के रुप में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम जब से सुझाया है तभी से नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की जनता दल यूनाइटेड में बेचैनी का माहौल है। उनके सभी 16 सांसदों से लेकर पार्टी पदाधिकारियों के बीच अपने भविष्य को लेकर चर्चाएं हैं। तो कांग्रेस में भी भीतर ही भीतर कोहराम मचा हुआ है। कांग्रेस के वास्तविक नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) हैं, लेकिन ममता और केजरीवाल ने इंडी अलाइंस की ओर प्रधानमंत्री के भावी उम्मीदवार के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम का प्रस्ताव करके राहुल गांधी को पीछे धकेल दिया है। ऐसे में राहुल गांधी का कांग्रेस में तो अस्तित्व बना रहेगा, लेकिन गठबंधन में नके लिए कोई जगह ही नहीं होना कांग्रेस (Congress) को कैसे सुहा सकता है। वैसे, गठबंधन के बावजूद हाल के पांच विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने अकेले लड़कर चार में करारी हार का सामना झेला है।
कांग्रेस से ही सबको तकलीफ
इंडी गठबंधन बीजेपी को केंद्र की सत्ता से हटाने के लिए बना है, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पहल इसमें सबसे आगे रही। जून में पहली बैठक हुई थी। कांग्रेस समेत उस समय केवल 16 पार्टियां शामिल थीं। दूसरी बैठक बेंगलूरु में हुई। तब कर्नाटक में बीजेपी को हराकर कांग्रेस उत्साहित थी। कांग्रेस (Congress) पार्टी की पहल पर उस बैठक में 28 राजनीतिक दल शामिल हुए। और इस तरह से बीजेपी को सत्ता से रुखसत करनावालों का कारवां बड़ा हो गया। उसके बाद कांग्रेस के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने इसका नामकरण इंडिया कर दिया, जिसे सबसे स्वीकार भी कर लिया, और खुद को नेता के रूप में आगे बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन इसी वजह से नीतीश कुमार गठबंधन में हाशिए पर धकेले जाने की आशंका हुई। हालांकि लालू यादव ने ही नीतीश कुमार को इंडी गठबंधन से प्रधानमंत्री का चेहरा बनाने का सपना दिखाते रहे और मांग भी करते रहे, मगर अंदरखाने ममता बनर्जी और केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को आगे करके मल्लिकार्जुन खड़के के दलित होने के हवाले से उनको चाहरा बनाने की मांग रखवाकर एक निसाने में दो तीर साध लियए। नीतीश कुमार को तो पीछे धकेला ही, राहुल गांधी को भी दरकिवार करने की कोशिश सफल हो गई।
ये भी पढ़ें :
Sachin Pilotः राजस्थान में क्यों नहीं रखा और क्यों छत्तीसगढ़ भेजा गया पायलट को?
केजरीवाल और राहुल की जंग
वरिष्ठ पत्रकार अजय सेतिया वन इंडिया पर लिखते हैं कि अरविन्द केजरीवाल (Arvind Kejriwal) 2014 से ही खुद को मोदी के विकल्प के रूप में तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने पहला लोकसभा चुनाव भी इसीलिए मोदी के सामने वाराणसी से लड़ा था, उसके बाद से वह लगातार नरेंद्र मोदी पर हमलावर होते रहे हैं, ताकि देश की जनता उन्हें विकल्प के तौर पर देखें। उधर, कांग्रेस (Congress) के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) भी खुद को प्रधानमंत्री पद के लिए तैयार कर रहे हैं, इसलिए 2014 से वह भी नरेंद्र मोदी पर हमलावर बने हुए हैं, ताकि देश की जनता उन्हें मोदी के विकल्प के रूप में देखे। ऐसे में सारे एक कैसे हो सकते हैं, यह सबसे बड़ा सवाल है।
-निरंजन परिहार