I.N.D.I.A.: बिहार में सबसे ज्यादा वर्षों तक मुख्यमंत्री बने रहने का रिकॉर्ड बनानेवाले नीतीश कुमार (Nitish Kumar) सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चैलेंज देने निकले थे, लेकिन उनके साथ खेल हो गया। मल्लिकार्जुन खड़गे को उनके खिलाफ खड़ा करके उनके साथ खेल कर दिया गया। लालू यादव (Laloo Yadav), ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने मिलकर ऐसी पछाड़ दी कि नीतीश खुद को चारों खाने चित पा रहे हैं। गठबंधन की तरफ से दलित प्रधानमंत्री के तौर पर मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) के नाम का प्रस्ताव देकर तीनों नेताओं ने नीतीश कुमार को राजनीति शून्यता की ओर धकेलने में कोई कसर नहीं छोड़ी हैं। विपक्षी गठबंधन इंडीएलाएंस (India Alliance) की दिल्ली बैठक से वैसे भी विपक्ष कुछ हासिल होनेवाला नहीं था, लेकिन नीतीश कुमार को एक बड़ा सबक जरूर मिल गया।
I.N.D.I.A. गठबंधन से खड़गे को पीएम का ख्वाब
इंडीएलाएंस की बैठक में, ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने देश की राजनीति और खासकर कांग्रेस के अंदरूनी सियासत में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का कद छोटा करने की कोशिश में प्रस्ताव रखा कि 2024 के आमचुनाव में नरेंद्र मोदी का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) को गठबंधन के प्रधान मंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश किया जाए। लेकिन 81 वर्षीय बुजुर्ग खड़गे ने इस विचार को खारिज कर दिया। उन्होंने लगभग तंज कसा कि पहले चुनाव जीत लीजिए, फिर देखेंगे कि किस को प्रधानमंत्री बनाना है। खड़गे के कथन का स्पष्ट मतलब यही था कि वे जानते हैं कि 2024 के चुनाव में विपक्षी गठबंधन (India Alliance) की जात तो होनेवाली नहीं है, फिर वे क्यों बलि का बकरा बनें। खड़गे के प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी के लिए ममता और केजरीवाल की वकालत एक आश्चर्यजनक मोड़ था, जिससे कई सहयोगी दल अनजान थे। भले ही खड़गे ने मोदी के खिलाफ गठबंधन का नेतृत्व करने की धारणा को खारिज कर दिया हो, कई लोग पूछ रहे हैं कि क्या खड़गे वास्तव में चुनाव में पीएम के प्रतिस्पर्धी हो सकते हैं?
ममता और केजरीवाल ने खेल किया नीतीश के साथ
प्रधानमंत्री पद के लिए खड़गे के नाम का प्रस्ताव आते ही संदेश साफ था कि इंडीएलाएंस में प्रधानमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के लिए कोई जगह नहीं है। जगह वास्तव में मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) के लिए भी नहीं है, उनका काम भी तो केवल राहुल गांधी को पीछे धकेलने के लिए चलाया गया है। फिर भी नीतीश कुमार ने पिछले कुछ समय में जिन तीन लोगों, लालू यादव (Laloo Yadav), ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) पर बहुत ज्यादा भरोसा कर लिया था और इंडीएलाएंस की इस बैठक ने नीतीश को सिखा दिया कि किसी पर भी आंख मूंद कर भरोसा नहीं करना चाहिए। अब उनका राजनीतिक भविष्य खतरे में पड़ गया है। साफ तौर पर लग रहा है कि जिन लालू , ममता और केजरीवाल पर नीतिश ने सबसे ज्यादा भरोसा किया, उन्हीं तीनों नेताओं ने ही नीतीश को राजनीतिक शून्यता की ओर धकेलने का इंतजाम कर लिया है।
नीतीश के साथ खेल के असली खिलाड़ी लालू
बहरहाल, सबसे पहले बात करते हैं नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के प्रधानमंत्री बनने के ख्वाब की। कहते हैं कि कुछ साल पहले लालू यादव (Laloo Yadav) ने ही नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनाने का ख्वाब दिखाया और 2022 के अंतिम महीनों में अपने लाभ के लिए उनको बीजेपी से अलग कर दिया। बिहार में लालू की पार्टी आरजेडी की ज्यादा सीटें होने के बावजूद महागठबंधन (India Alliance) की सरकार में नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री बनाया और लालू ने नीतीश के साथ करार किया था कि प्रधानमंत्री बनाने के लिए पूरी मदद की जाएगी, तथा उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद बिहार को उपमुख्यमंत्री तेजस्वी के हाथों में सौंप दिया जाएगा। दरअसल नीतीश को विपक्ष में रोके रखने के लिए लालू (Laloo Yadav) का यह ब्रह्मास्त्र था, जो मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए आगे बढ़ते ही सफल हो गया।
गहरी चाल में फंसने के बाद क्या करेंगे नीतीश
बाद के दिनों में जैसे ही विपक्ष में चेहरे की बात शुरू हुई तो लालू ने राहुल गांधी का नाम आगे कर दिया और अब ममता बनर्जी व केजरीवाल प्रधानमंत्री पद के लिए दलित नेता को आगे करने का कार्ड खेलकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) के पक्ष में खड़े दिखाई दिए। हालांकि, नीतीश और लालू की नाराजगी के बाद प्रधानमंत्री पद के लिए दलित नेता खड़गे के प्रस्ताव को फिलहाल टाल दिया है लेकिन इससे एक बात तो साफ हो गई है कि लालू यादव, केजरीवाल और ममता बनर्जी को साफ तौर पर पता है कि भविष्य में भी नीतीश कुमार के नाम पर क्षेत्रीय दल सहमत नहीं होंगे, क्योंकि खड़गे का नाम दरकिनार करते हैं, तो देश में साफ तौर पर संदेश जाएगा कि विपक्षी गठबंधन (India Alliance) दलित विरोधी है। ऐसे, में देश की राजनीति में यह सवाल सबसे ऊपर है कि क्या लालू यादव (Laloo Yadav) के नीतीश (Nitish Kumar) को प्रधानमंत्री बनाने को प्रलोभन, ममता की शातिर चाल और केजरीवाल की कुटिल राजनीतिक के खेल में फंस गए नीतीश कुमार अपनी आगे की राजनीति के लिए गठबंधन (India Alliance) में ही घुटते रहेंगे, या लोकसभा चुनाव से पहले कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।