New Crime Laws: ब्रिटिशकाल से देश में चले आ रहे कानून की जगह आज 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), भारतीय न्याय संहिता (BNS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) के नाम से लागू हुए इन तीन नए कानूनों के साथ ही किसी भी अपराध की एफआईआर (FIR) किसी भी पुलिस थाने में दर्ज की जा सकेगी। कुल 163 साल से चले आ रहे आईपीसी कानून की जगह नये कानून भारतीय न्याय संहिता ने आज से अपनी जगह ले ली है। जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद जैसे खतरनाक अपराधों में सजा को और सख्त किया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) सहित कई नेताओं ने इस कानून को देश हित में बताया है, जबकि राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने कहा है कि इन नए कानूनों का पुनरावलोकन होना चाहिए, ताकि देश पुलिस स्टेट न बन पाए।

गहलोत बोले – नए कानून का पुनरावलोकन हो
आजादी के बाद से अब तल चल रहे आईपीसी और सीपीआरपीसी कानून की आज से छुट्टी हो गई। इसी बीच राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट ‘एक्स’ पर लिखा कि आईपीसी और सीआरपीसी एवं एविडेंस एक्ट की जगह पर 1 जुलाई से लागू हो रहे भारतीय न्याय संहिता को व्यापक रिव्यू की आवश्यकता है। पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने यह भी लिखा है कि इस संहिता में बनाए गए तीन नए कानून देश को एक पुलिसिया राज्य (पुलिस स्टेट) बनाने जैसे हैं। गहलोत का कहना है कि इन तीनों नए कानूनों को सांसदों की समिति को व्यापक समीक्षा के लिए भेजकर सभी हितधारकों की राय ली जानी चाहिए। हालांकि, देश में ये कानून लागू हो गया है, लेकिन गहलोत पहले राजनेता हैं, जिन्होंने इस कानून को फिर से रिव्यू की मांग की है। गहलोत की चिंता यह है कि न्याय के नाम पर देश में कही पुलिस राज कायम ना हो जाए। गहलोत के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने भी ये कानून लागू होने से फिलहाल रोकने की मांग की है।

नए कानून न्याय के लिए, सजा के लिए नहीं
सही मायने में देखा जाए, तो देश की जनता को न्याय मिले, सजा नहीं, यही सरकार की मंशा इन तीनों नए कानूनों को लागू करने के पीछे रही है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि नए आपराधिक कानून न्याय के लिए है। राष्ट्रपति का कहना है कि एक जुलाई से लागू तीन नए आपराधिक कानून सजा के बजाय न्याय प्रदान करेंगे, जो ब्रिटिश शासन के दौरान की मानसिकता थी। उन्होंने कहा कि अब देश में न्याय को प्राथमिकता मिलेगी, सजा को नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 जुलाई से लागू इन तीन नए कानूनों पर कहा है कि देश में चल रहे सदियों पुराने मौजूदा आपराधिक कानूनों के विपरीत तीन नए आपराधिक कानूनों का ध्यान यह सुनिश्चित करने पर होगा कि नागरिकों को न्याय मिले। पीएम मोदी का कहना है कि पहले, ध्यान सजा और दंडात्मक पहलुओं पर था लेकिन अब ध्यान न्याय सुनिश्चित करने पर है। गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश से गुलामी के हर प्रतीक को मिटाने के संकल्प की दिशा में यह एक ऐतिहासिक कदम है, जिससे अब न्याय तेजी से मिलेगा।

पहले से ज्यादा सख्त और त्वरित है तीनों कानून
पहली जुलाई से देश में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय न्याय संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, ये तीन नए क्रिमिनल कानून लागू हो रहे हैं। नए कानून के सहत, यौन उत्पीड़न के मामलों में सात दिन के अंदर रिपोर्ट जमा करानी होगी। साथ ही ऑनलाइन शिकायत दर्ज होने के 3 दिन के अंदर एफआईआर दर्ज होगी या कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा एफआईआर से लेकर कोर्ट के फैसले की सुनवाई पूरी तरह से ऑनलाइन होगी और कोर्ट में पहली सुनवाई से पहले 60 दिनों के अंदर आरोप तय करने का प्रावधान है। भगोड़े अपराधियों पर 90 दिनों के अंदर केस दायर करना जरूरी हो गया है तथा आपराधिक मामलों में सुनवाई पूरी होने के 45 दिनों के अंदर फैसला करना होगा। इसके साथ ही 7 साल से ज्यादा सजा वाले अपराधों में फॉरेंसिक जांच करवानी जरूरी हो जाएगी। खास बात यह ह कि किसी भी अपराध की किसी भी पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज की जा सकेगी। ये तीनों कानून पिछले साल यानी सन 2023 में संसद के मानसून सत्र के दौरान पेश किए गए थे, जो पास कर दिये गए थे और जो देश में आज से लागू हो गए हैं।