निरंजन परिहार
राजस्थान में विधानसभा चुनाव शुरू हो गया है और मतदान में एक महीने से भी कम वक्त बचा है। मगर, राजस्थान की 200 सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों मिलाकर 400 के मुकाबले केवल 200 उम्मीदवार ही मैदान में उतार पाई है, 200 अभी बाकी हैं। मशक्त जारी है और उम्मीदवार प्रतीक्षा में। राजस्थान में 25 नवंबर को होनेवाले विधानसभा चुनाव के मतदान में जीतने के लिए कांग्रेस अब तक कुल 76 तो बीजेपी अपने 124 उम्मीदवारों की सूची जारी कर चुकी है। कांग्रेस ने पहले 33 और फिर 43 की सूची जारी की, तो बीजेपी ने पहले 41 और बाद में 83 उम्मीदवारों को घोषित करके प्रकट तौर पर कांग्रेस पर अपनी पहली बढ़त बना ली है। जिनको टिकट मिल गया, उनमें अपनों की नाराजगी सुलझाने की जद्दोजहद जारी है, तो जिनको नहीं मिला वे अपनी ही पार्टी के उम्मीदवारों को हराने पर उतारू हैं। घमासान दोनों तरफ जारी है। लेकिन कार्यकर्ताओं को अपनी अगली सूची की प्रतीक्षा है।
नई दिल्ली में 24 अकबर रोड़ स्थित कांग्रेस मुख्यालय पर राजस्थानी कांग्रेसियों को मजमा मचा हुआ है, तो बीजेपी के दफ्तर 6 दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर राजस्थान का कोई कार्यकर्ता ढूंढे भी नहीं मिल रहा। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों के कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों के इस राजनीतिक कल्चर की बात फिर कभी और करेंगे, लेकिन फिलहाल दोनों तरफ उम्मीदवारों की दो – दो सूची के घोषित होने के बाद अगली सूचियों की प्रतीक्षा है। मतदान में केवल महीना भर भी नहीं बचा है, मगर उम्मीदवारों की घोषणा अब तक न होना कार्यकर्ताओं को बहुत सता रहा है। परेशान तो पार्टियों का अलाकमान भी है, क्योंकि जितना कम वक्त होगा, जीत में मुश्किलें उतनी ही ज्यादा आएंगी। बीजेपी में अपनी पहली 41 उम्मीदवारों की सूची जारी करने के बाद फूटे बवाल को समझते देर नहीं लगी और नाराजगी को निपटाने में आलाकमान तक जुट गया। फिर बीजेपी की दूसरी सूची आने पर पहली के मुकाबले बेहद कम बवाल हुआ। जबकि कांग्रेस में बीजेपी के मुकाबले अब तक घोषित 48 उम्मीदवार कम होने के बावजूद बवाल बहुत ज्यादा मचा हुआ है, जिसे सुलझाने में न तो आलाकमान कोई कोशिश कर रहा है और न ही प्रदेश के नेता, क्योंकि वे तो खुद ही परेशान हैं। उम्मीदवारों की अगली सूचियों की दोनों ही पार्टियों में विधायकी के दावेदारों और उनके समर्थकों को बेसब्री से प्रतीक्षा है। लेकिन प्रतीक्षा की घड़ियां है कि लगातार लंबी ही होती जा रही है।
राजस्थान की राजनीति में उम्मीदवारी के मामले में माहौल मुश्किल है और हालात उससे भी ज्यादा परेशान करने वाले। कई नेताओं और टिकट के दावेदारों को उनके टनटनाते फोन परेशान कर रहे हैं, तो कुछ को उनको कार्यकर्ता। बड़े बड़े धंुरंधर नेताओं के चेहरों पर भी हवाईयों उड़ती साफ नजर आने से उनके कार्यकर्ता भी बेहद परेशान हैं। कांग्रेस में शांति धारीवाल और महेश जोशी जैसे दिग्गज नेताओं के टिकट अटके हुए हैं, को कई बडे बड़े नेताओं के टिकट न घोषित होने की वजह से उनके मुंह लटके हुए हैं। कांग्रेस अपनी तीसरी सूची कभी भी जारी कर सकती है, तो बीजेपी की तीसरी लिस्ट पर मंथन का दौर जारी है। नई दिल्ली में होनेवाली कांग्रेस और बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठकों की प्रतीक्षा है।
कांग्रेस की बैठक अब 30 और 31 अक्टूबर को होने की खबर है, लेकिन पहली बैठक में जो 106 लोगों की सूची फाइनल हो गई थी, उनमें से भी अब तक केवल 76 ही जारी किए जाने से कार्यकर्ता और उम्मीदवारी की आस लगाए लोग परेशान हैं। दिन भर कार्यकर्ताओं के फोन आ रहे हैं और फोन पर यही सुनने को मिल रहा है कि उनका टिकट पक्का हो गया है, और तैयारी करो क्योंकि चुनाव में जीत पक्की है। ऐसे माहौल का मजा लेने वाले शरारती तत्वों की भी कोई कमी नहीं है, वे नेताओं की फिरकी ले रहे हैं फोन करके बोल रहे हैं की आपकी टिकट पक्की है, चुनाव की तैयारियां शुरू कीजिये। दोनों ही पार्टी के कार्यकर्ता और नेता अब चुनाव में अपनी दावेदारी जता चुके हैं, मगर उम्मीदवारी की घोषणा होने की नेता प्रतीक्षा हैं। प्रतीक्षा का यह माहौल अब ज्यादा लंबा नहीं है, क्योंकि इसी महीने के अंत तक तो सब कुछ घोषित करना ही होगा, क्योंकि वक्त बहुत कम है। इसलिए, उम्मीदवारी की आस में अब प्रतीक्षा के इन दिनों में कोई नेता मंदिरों में जाकर प्रसाद बांट रहा है, तो कोई घंटा बजा रहा हैं, इसके सिवाय करे भी तो क्या करे!