Donald Trump: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने पर दुनिया भर में बात हो रही है कि उनकी विदेश नीति क्या होगी और ये भी सवाल है कि भारत (India) को ट्रंप (Donald Trump) किस तरह से हैंडल करते हैं। संसार के नक्शे में भारत दक्षिण एशिया में हैं और पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश और मालदीव भी दक्षिण एशिया में ही है। विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक इस इलाक़े में 194 करोड़ लोग रहते हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा लगभग 140 करोड़ लोग भारत में रहते हैं। दक्षिण एशिया में भारत एक तेज़ी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था है, जो दुनिया की पाँचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है, और प्रपधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि आने वाले कुछ वर्षों में भारत दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की तरफ अग्रसर है। वैसे तो, डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका (America) के चुनावी अभियान में दक्षिण एशिया का कोई ज़िक्र नज़र नहीं आया, लेकिन भारत और अमेरिका से उनके संबंधों (Indo-US Relations) तथा प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी व्यक्तिगत ट्यूनिंग की वजह से माना जा रहा है कि आने वाला समय भारत – अमेरिका संबंधों के लिए ठीक ही रहना चाहिए। ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान अमेरिकी भारतीयों को दीपावली की शुभकामनाएं दीं और लोगों को अपने पक्ष में करने के लिए भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता भी जताई थी। इसी से समझा जा सकता है कि भारत से अमेरिका के संबंध अच्छे रहेंगे।
हार में भी जीत की राह तलाशते रहे ट्रंप
राष्ट्रपति के रूप में अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की यह जीत ऐतिहासिक है। अमेरिका के ह्यूस्टन में 3 दशक से रह रही सेजल जय शाह कहती है कि ट्रंप ने बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा की कड़ी निंदा की थी। ऐसे में ये विश्वास करना जरूरी है कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत और अमेरिका के संबंध ठीक ही रहेंगे। अमेरिका के लोकतांत्रिक इतिहास में ऐसा सिर्फ़ दूसरी बार हुआ है जब कोई राष्ट्रपति एक चुनाव हारने के बाद फिर से राष्ट्रपति बन कर व्हाइट हाउस में लौटा हो। सन 2020 में जो बाइडन राष्ट्रपति चुने गए थे, उस समय ट्रंप ही राष्ट्रपति थे और वे लगातार दूसरी बार चुने जाने की जबरदस्त कोशिश के बावजूद बाइडन से चुनाव हार गए थे। जब डोनाल्ड ट्रंप हारे, तो ऐसा लगा था कि उनका राजनीतिक करियर समाप्त हो गया है। लेकिन ट्रंप की ताजा जीत ने इस धारणा को ध्वस्त कर दिया है। अमेरिका की पिछले 5 साल की राजनीतिक गतिविधियों का अध्ययन करें, तो साफ लगता है कि 2020 में चुनाव हारने के बावजूद ट्रेंप चुप नहीं बैठे, वे लगातार अगले चुनाव में जीत के जतन करते रहे। अगले राष्ट्रपति के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा करते हुए डोनाल्ड ट्रंप 82 साल के हो जाएंगे, और इस तरह से अमेरिका के सबसे अहम पद पर सबसे ज़्यादा उम्र के राष्ट्रपति भी ट्रंप ही होंगे।
उम्मीद है कि भारत से रिश्ते ठीक रहेंगे
हमारा भारत दक्षिण एशिया की सबसे तेज उभरती अर्थव्यवस्था है, जिसे अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के सहयोग की भी उम्मीद है। हालांकि अमेरिका में रहने वाले अवैध प्रवासियों को रोकने की बात पर उन्होंने अपने चुनाव अभियान में बड़ा ज़ोर दिया, लेकिन अमेरिका में पढ़ाई करके अपना करियर बनाने का सपना देखने वाले लाखों भारतीयों के लिए वहां काम करने के लिए आवश्यक ग्रीन कार्ड और वीज़ा पाने में कई – कई सालों का इंतज़ार बड़ा रोड़ा बनता जा रहा है, ट्रंप को भारतीयों के लिए इस बारे में भी सोचना होगा। इटली,पाकिस्तान और ब्रिटेन में भारत के राजनयिक रहे राजीव डोगरा कहते हैं कि अमेरिका के फिर से दुनिया में महान बनाना ट्रंप का सबसे बड़ा नारा रहा है और जैसा कि ट्रंप का राजनीतिक नजरिया रहा है, अगर उन्हें किस देश के खिलाफ कदम उठाने पड़े तो वह सोचेंगे नहीं। ऐसे में भारत के लिए भी उनका यही नजरिया हो सकता है। वैसे, राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार मानते हैं कि ट्रंप का सहज स्वभाव है कि वे ताक़तवर देश और ताकतवर नेताओं की तरफ़ आकर्षित होते हैं। प्रधानमंत्री मोदी से उनकी दोस्ती का कारण भी यही है। परिहार कहते हैं कि ट्रंप शुद्ध रूप से एक व्यवसायी हैं और उसी सोच के साथ आगे बढते हैं, जिसमें उनको लाभ हो। इसी कारण वे पीएम मोदी के साथ अच्छा व्यवहार रखते हैं क्योंकि उनको पता है कि अमेरिका के लिए भारत मानव श्रम का सबसे बड़ा स्रोत है। परिहार कहते हैं कि दीपावली पर ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना दोस्त बताया था। इसके साथ ही ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान में रिपब्लिकन की सरकार बनने पर दोनों देशों के बीच की साझेदारी और आगे बढ़ाने का वादा किया था। इसी कारण भारत से भविष्य में उनके रिश्ते ठीक रहने की उम्मीद है।
भारत में काफी चर्चा में रही ट्रंप की जीत
ट्रंप एक तरफ़ राष्ट्रपति चुनाव जीते हैं जो रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार हैं, तो उनके सामने डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस थी, जिनके साथ भारतीयों की सदभावना इसलिए थी क्योंकि उनकी माता भारत मूल की थी। लेकिन ट्रंप के साथ भारतीयों का रिश्ता पीएम मोदी के कारण मजबूत हुआ, क्योंकि दोनों में दोस्ती की चर्चा पूरी दुनिया में रही है और इसी कारण हज़ारों किलो मीटर दूर अमेरिका में ट्रंप का राष्ट्रपति का चुना जाना हमारे भारत में एक आम आदमी की चर्चा का भी विषय बना। पूरे चुनाव के दौरान भारत के समाचार पत्रों और न्यूज टेलीविजन पर भी हर रोज ट्रंप छाए रहे। अभी यह तो भविष्य के गर्त में है कि भारत के लिहाज़ से अमेरिका की कौन सी पार्टी या कौन सा उम्मीदवार बेहतर साबित हो सकता था, लेकिन अब जब ट्रंप ने मैदान मार लिया है, तो सवाल जायज है कि भारत के लिए वे कितने लाभकारी होंगे।
-राकेश दुबे (वरिष्ठ पत्रकार)