Rajasthan कहते हैं कि राजनीति में न कोई स्थाई दुश्मन होता है और ना ही स्थाई दोस्त। वक्त, फायदे और भविष्य की संभावनाओं के हिसाब से रिश्ते कब बदल जाते हैं कोई नहीं कह सकता। कारण यही है कि राजनीति में तो लड़ा ही सत्ता की है। मगर जब सत्ता ही नहीं रहे, तो दुश्मन भी दोस्त बन जाते हैं। बीजेपी (BJP) के नेता गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) और अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) दोनों विपरीत ध्रुव रहे हैं, फिर भी नजदीक आने लगे हैं और शायद इसी वजह से शेखावत ने सार्वजनिक तौर से गहलोत से जादू सीखने की इच्छा जाहिर की है। गहलोत पता नहीं शेखावत को जादू के गुर सिखाएंगे या नहीं, लेकिन अब अशोक गहलोत समय ही समय है, इस फ्री समय में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत उनसे जादूगरी सीखना चाहते हैं।
हंसते – मुस्कुराते साथ बैठे गहलोत व शेखावत
केंंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) ने कहा है कि कांग्रेस के वरिष्ठ और अनुभवी नेता अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) को राजनीति में जादूगर कहा जाता है, और अब उनके पास वक्त ही वक्त है, इस कारण केंद्रीय जलशक्ति मंत्री शेखावत की दिली तमन्ना है कि वे उनसे जादूगरी सीखें। गहलोत को राजनीति का जादूगर कहा जाता है और इसीलिए, राजस्थान दौरे पर आए शेखावत ने उस जोधपुर शहर में यह चाहत जाहिर की, जहां गहलोत व उनका छत्तीस का आंकड़ा है। जोधपुर शेखावत और गहलोत का चुनाव क्षेत्र तो है ही, दोनों की राजनीतिक अदावत भी यहीं से है और दोनों के बीच कोर्ट में मुकदमा भी चल रहा है। यह संयोग ही था कि गजेंद्र सिंह शेखावत जब गहलोत से हाथ मिलाते और हंस हंस कर बात करते देखे गए, ठीक उसी समय गहलोत के मुख्यमंत्री पद पर रहने का वक्त भी समाप्त होता जा रहा था।
दोनों एक ही प्रदेश के नेता, साथ बैठ सकते हैं
जयपुर में 15 दिसंबर को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के शपथ ग्रहण समारोह में शेखावत और वसुंधरा राजे सहित गहलोत पास पास बैठे थे और चर्चा करते, हंसते व मुस्कुराते देखे गए थे। शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस नेता गहलोत और केंद्रीय मंत्री शेखावत के बीच मंच पर लंबे समय बातचीत देखने को मिली। दोनों ‘प्रतिद्वंद्वियों’ के चेहरों की मुस्कुराहट और बातचीत कुछ ऐसा बता रही थी जैसे दोनों के बीच सियासी रिश्ते सामान्य हैं। उसी पर जब उनसे पूछा तो शेखावत ने कहा कि वह एक अनौपचारिक मुलाकात थी। फिर एक ही प्रदेश के तीन नेता जब साथ बैठते हैं तो चर्चा तो होती ही है। शेखावत बोले कि गहलोत और उनकी विचारधारा अलग-अलग है। लेकिन दोनों एक ही प्रदेश के नेता हैं, साथ बैठ सकते हैं, इसमें कुछ नया नहीं है।
गहलोत अब फ्री, साथ चाय पिएंगे, जादू भी सिखाएंगे
शेखावत और गहलोत के साथ चाय पीने को लेकर भी राजस्थान में कई तरह की चर्चा चलती रही है। उसी पर जब उनसे सवाल किया गया कि गहलोत जी के साथ चाय कब पीनेवाले हैं, तो शेखावत ने लगभग तंज की भाषा में कहा कि मुझे गहलोत जी ने कहा है अब मैं फ्री हो गया हूं, कभी चाय पर आओ। लेकिन मुझे उनसे बहुत सी जादूगरी सीखनी है, क्योंकि वो वरिष्ठ नेता और काफी अनुभवी भी हैं। राजस्थान में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान भी शेखावत ने कहा था कि मेरी मुख्यमंत्री गहलोत से कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है, हम दोनों जोधपुर से हैं, जोधपुर हमारा शहर एक अपणायत का शहर है, प्रेम और प्रीती का शहर है। कुछ दिन बार गहलोत साहब की जाने वाली। फिर कांग्रेस का आज जैसा हाल हैं, गहलोत साहब को दिल्ली में भी जगह नहीं मिलेगी। तब उनके पास बहुत फ्री टाइम रहेगा, तो वो एक दिन मुझे चाय पीने के लिये जरूर बुलाएंगे। मैं उनके बुलावे का इंतज़ार कर रहा हूं। शेखावत ने यह भी कहा था कि गहलोत को जादूगर के नाम से जाना जाता है, लोकिन राजनीति में जादूगरी नहीं चलती, फिर भी वे 3 – 3 बार मुख्यमंत्री बन गए। मैं उनसे जादूगरी के कुछ गुर सीखना चाहूंगा।
-निरंजन परिहार