Pankaj Udhas: मशहूर गजल गायक पंकज उधास (Pankaj Udha) दुनिया को अलविदा कह गए। वे 72 साल के थे। सिनेमा जगत के जाने माने प्ले बैक सिंगर और देश दुनिया में अनगिनत स्टेज शो करने वाले पंकज उधास के जाने से संगीत (Music) प्रेमियों को बड़ा झटका लगा है, खास कर गजल (Gazal) की दुनिया में वे बेताज बादशाह कहे जाते थे। संसार से उनके जाने पर उनकी मौहें आई ना जग से लाज, कि इतना जोर से नाची आज… गजल की वह पंक्ति सबसे सटीक कही जा सकती है … कि घुंघरू टूट गए। पंकज उधास के परिवार ने कहा है कि ‘बहुत भारी मन से, हम आपको पद्मश्री पंकज उधास के दुखद निधन की जानकारी दे रहे हैं। पंकज उधास बॉलीवुड (Bollywood) में संगीत की दुनिया के लेजेंड कहे जाते थे। गुजरात में राजकोट के पास जैतपुर के एक जमींदार चारण परिवार में उनका जन्म 17 मई 1951 हुआ और मुंबई में उन्होंने 26 फरवरी 2024 को सबसे विदाई ले ली।
माउंट आबू पसंदीदा रहा पंकज उधास का
राजस्थान का माउंट आबू हिल स्टेशन पंकट उधास का सबसे प्रिय स्थान था, जहां 1984 में शरद समारोह में एक बार वे आए, तो दिसंबर की भारी ठंड के बीच भी वहां पोलो ग्राउंट के खुले मैदान में भी उनको सुनने हजारों लोग जुटे थे। समारोह के मुख्य अतिथि तत्कालीन राज्यपाल ओपी मेहरा की फरमााइश पर पंकज उधास ने चांदी जैसा रंग सुनाया, तो लोग झूम उठे थे। उससे कुछ ही दिन पहले उसी साल सन 1984 में लंदन के रॉयल एल्बर्ट हॉल में पंकज उधास का एक कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसने उनके बुलंदियों पर पहुंचा दिया। रॉयल एल्बर्ट हॉल वह जगह है, जहां दुनिया के गिने-चुने कलाकारों को ही गाने के मौके मिलते हैं। रॉयल एल्बर्ट हॉल में ही पंकज उधास ने ‘चांदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल…’ गीत पहली बार गाया था और वहीं से ये गीत जबरदस्त हिट हुआ।
चिट्ठी आई है…’ सुनकर आज भी लोग रो देते हैं
सन 1986 में संजय दत्त और कुमार गौरव की एरक फिल्म आई थी – ‘नाम’… इसमें पंकज उधास के गाए गीत ‘चिट्ठी आई है, वतन से चिट्ठी आई है…’ की भावुक पंक्तियों को सुनकर आज भी लोगों की आंखों में आंसू आ जाते हैं। उस जमाने का बात करें, तो कई लोग विदेश से वापस गांव में आकर अपने परिवार के साथ बस गए थे। कई लोग जो भारत में ही घरों से दूर थे, वे नौकरी छोड़कर फिर से परिवार के साथ रहने लगे थे। इस गीत में उनका एक कंघे पर शॉल लपेटना काफी मशहूर हुआ था। एक गुजराती परिवार में जन्मे पंकज उधास के निधन की जानकारी उनकी बेटी नायाब उधास ने दी। उनके एक और बेटी भी है, जिसका नाम रीवा उधास है। मुंबई के सबसे पॉश इलाके मलबार हिल स्थित पेडर रोड पर हिलसाइड में उनका घर है। जीवन में पहली बार केवल 51 रुपए कमाने वाले पंकज उधास अपने पीछे 25 करोड़ की संपत्ति छोड़ गए हैं।
‘चांदी जैसा रंग है तेरा…’ सबसे हिट रही गजल
पंकज उधास की आवाज में एक खनक थी, कशिश थी और समां बांधने वाली ताकत थी। उनके गानों को हर उम्र की लोग सुनना पसंद करते हैं। पंकज उधास की आवाज में ऐसा जादू रहा कि कोई भी उनके गाने और गजल सुन मंनमुग्ध हो सकता है। वे कैंसर से पीड़ित थे और लंबे समय से उनका इलाज चल रहा था। बीमारी की वजह से वे पिछले कुछ महीने से किसी से भी नहीं मिल रहे थे। मुंबई के ब्रीच केंडी हॉस्पिटल में उन्होंने आखरी सांस ली। पंकज उधास आज भले ही अब इस दुनिया को अलविदा कह गए हैं, लेकिन उनके गीत और गजल आने वाले कई सालों तक दुनिया के दिलों में दर्ज रहेंगे, ओठों पर छाए रहेंगे और मन की गहराइयों में गोते लगाते रहेंगे। आज जब पंकज उधास इस दुनिया में नहीं हैं, तो उनके गाए गीत और गजलों कोे जरिए प्रशंसक उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। ‘चांदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल..’, ‘ना कजरे की धार, ना मोतियों के हार…’, ‘निकलो ना बेनकाब जमाना खराब है…’ और ‘जिएं तो जिएं कैसे बिन आपके’ गीत खूब हिट रहे।
भारत में गजल को नया मुकाम दिया उधास ने
गायकी की दुनिया में पंकज उधास ने शुरूआत की, तो फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और गीत – संगीत व गजल की दुनिया में अपने दम पर अपना एक अलग मुकाम हासिल किया, जिस पर वे अपने अंतिम सांस तक टिके रहे। भारतीय संगीत में गजल की दुनिया के पंकज उधास बेताज बादशाह रहे। गजल के क्षेत्र में अपनी एक बहुत ही अलग छाप छोड़ने वाले पंकज उधास को भारत सरकार की ओर से 2006 में पद्मश्री सम्मान भी मिला। उनके हम उम्र गायक अनूप जलोटा कहते हैं कि पंकज उधास का जाना मेरे लिए एक झटका है। जलोटा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पंकज उधास के साथ अपनी तस्वीरें भी शेयर की हैं। सोनू निगम ने कहा कि उनके बचपन का एक हिस्सा आज खो गया। सोनू ने लिखा – आपको हमेशा बहुत मिस करूंगा, ये जानकर कि आप नहीं हैं, मेरा दिल रो रहा है। इस दुनिया में आने के लिए आपका शुक्रिया। पंकज उधास के सबसे बड़े भाई मनहर भी चोटी के गायक रहे हैं। कुर्बानी फिल्म में मनहर उधास का गाया ‘हम तुम्हें चाहते हैं ऐसे…’ गीत खूब लोकप्रिय रहा। उनके दूसरे बड़े भाई निर्मल उधास भी एक प्रसिद्ध गज़ल गायक हैं और तीनों भाइयों में से सबसे पहले गायिकी पंकज उधास ने ही शुरू की थी।
-साक्षी त्रिपाठी