Jyoti Mirdha: राजस्थान की राजनीति में जाटों का दबदबा जबरदस्त है। चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी, या हो आरएलपी, और भले ही निर्दलीय ही क्यों ना हो, जाट (Jat) नेता अपनी ताकत दिखाने में हमेशा से सबसे आगे रहे हैं। प्रदेश में जाट वोटर लगभग 10 प्रतिशत हैं। इसी कारण जाट नेताओं को अपने साथ जोड़ने के मामले में राजनीतिक दलों की नजर सदा उन पर रही है। पूर्व सांसद डॉ ज्योति मिर्धा (Jyoti Mirdha) वैसे तो राजस्थान (Rajasthan) की बेटी हैं, मगर उस हरियाणा की बहू भी हैं, जहां विधानसभा के चुनाव हैं और राजस्थान में भी 6 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हैं। इन सीटों में मेवाड़ की एक सीट को छोड़ दें, तो जाटों का दबदबा हर इलाके में है। राजस्थान में राज्यसभा की एक सीट भी खाली है, जिस पर बीजेपी (BJP) की जीत तय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा की ताजा मुलाकात को भी राज्यसभा और विधानसभा के उपचुनावों के संदर्भ में देखा जा रहा है।
राज्यसभा की 1 और विधानसभा की 6 सीटों पर उपचुनाव
राजस्थान में विधानसभा की 6 और एक राज्यसभा की एक सीट खाली है। कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल राजस्थान से राज्यसभा के सांसद थे और केरल से लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद उन्होंने राजस्थान की राज्यसभा सीट से इस्तीफा दे दिया है। उस राज्यसभा सीट का अभी दो साल का कार्यकाल बाकी है। इस उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग ने चुनाव कार्यक्रम जारी कर दिया है। बीजेपी से इस राज्यसभा सीट के लिए राजस्थान बीजेपी के कई नेताओं के नाम हैं, जिनमें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया, पूर्व मंत्री राजेंद्र राठौड़ और पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा के नाम भी सुने जा रहे हैं। बीती 8 जुलाई को ज्योति मिर्धा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और उससे कुछ दिन पहले उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से भी मिली थीं। इसी कारण ज्योति मिर्धा की राज्यसभा या विधानसभा के उपचुनाव में उम्मीदवारी पर राजनीतिक चर्चा शुरू हो गई है।
लगातार 3 हार के बावजूद ज्योति मिर्धा मजबूत
ज्योति मिर्धा हाल ही में अप्रैल 2024 में हुआ लोकसभा चुनाव हार गई थीं। उससे 5 महीने पहले पहले वे विधानसभा का चुनाव भी हारी थी। ये दोनों ही चुनाव उन्होंने बीजेपी के टिकट पर लड़े थे। उससे पहले 2019 का लोकसभा चुनाव भी वे हारी, जब कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में उन्होंने चुनाव लड़ा था। खास बात यह है कि ये तीनों ही चुनाव वे राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल से हारी है, लेकिन अब कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी ज्योति मिर्धा को राज्यसभा में भेज सकती है, या विधानसभा का उपचुनाव लड़ा सकती है। इसका केवल एक ही कारण है कि वे जाट राजनीति में ताकतवर और बेहद सम्मानित घराने की बेटी हैं तथा बीजेपी में किसी भी बड़े पद पर प्रदेश में कोई जाट फिलहाल नहीं है। नागौर की पूर्व सांसद ज्योति ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात अपनी मुलाकात की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की है। जिसके बाद उनके चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं।
जाट मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में बीजेपी
राजस्थान में लगभग 10 फीसदी से ज्यादा जाट मतदाता हैं। प्रदेश में होनेवाले 6 विधावसभा सीटों में से 5 पर जाट मतदाता प्रभीवी हैं। दिग्गज जाट नेता स्वर्गीय नाथूराम मिर्धा की पोती ज्योति मिर्धा मूल रूप से राजस्थान के नागौर की है। राजनीति उनको विरासत में मिली है और ससुराल में भी राजनीतिक माहौल रहा है। उनका ससुराल हरियाणा में है। राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार कहते हैं कि राजस्थान और हरियाणा के चुनावों में जाट मतदाताओं को लुभाने के लिए के लिए बीजेपी ज्योति मिर्धा को फिर मैदान में उतार सकती है। वे कहते हैं कि बीजेपी में वैसे भी किसी बड़े पद पर कोई जाट नेता नहीं है। इसलिए जाटों को साधने के लिए ज्योति मिर्दा पर बीजेपी दांव लगा सकती है। लेकिन परिहार का कहना है कि ज्योति मिर्धा को राज्यसभा सांसद के तौर पर नई दिल्ली भेजना बीजेपी के लिए और खासकर ज्योति के लिए ज्यादा सुखकर होगा, क्योंकि विधानसभा उपचुनाव में हालात ऐसे भी हो सकते हैं कि उनकी जीत मुश्किल में पड़ा जाए।