Baramati: महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के दिग्गज शरद पवार (Sharad Pawar) के गृह क्षेत्र बारामती निर्वाचन क्षेत्र में चुनावी रैली करना चाहते थे, लेकिन प्रदेश के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार (Ajit Pawar) ने मोदी से वहां पर रैली नहीं करने का अनुरोध किया है। क्योंकि अजीत पवार अपने भतीजे युगेंद्र पवार के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। वहां चुनावी लड़ाई पवार परिवार की भीतरी जंग है। अजीत पवार वर्तमान में वहीं से विधायक हैं और उनकी भतीजा युगेंद्र अपने दादा शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) से उम्मीदवार हैं। वहां महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए 20 नवंबर को मतदान होगा। प्रधानमंत्री मोदी 8 नवंबर से चुनाव प्रचार में उतरे हैं। इस बारे में अजीत से पूछा गया कि प्रधानमंत्री उनके निर्वाचन क्षेत्र बारामती (Baramati) में रेली करेंगे, तो अजीन ने इंकार कर दिया और कहा कि बारामती में मुकाबला परिवार के भीतर है। अजीत के इस बयान से साफ जाहिर है कि उनके लिए राजनीति से बड़ा पवार परिवार है।
परिवार का मामला, मोदी रहें बारामती से दूर
बीजेपी को केंद्रीय नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बारामती में अजीत पवार के समर्थन में प्रचार रैली करवाना चाह रहा था। क्योंकि अजीत पवार एनडीए के सदस्य हैं और मोदी एनडीए के सबसे बड़े प्रचारक हैं। देश में कहीं भी जाएं, किसी भी पार्टी और मोदी के समर्थकों की तरफ से आम तौर पर यही माना जाता है कि मोदी के प्रचार में उतरते ही चुनाव पलट जाता है। बीजेपी बारामती की रंगत बदलने की रकोशिश में मोदी की रैली वहां चाहती थी, लेकिन अजीत पवार ने बारामती को परिवार का मामला बताकर प्रधानमंत्रीमोदी को बारामती से दूर रखने का निवेदन किया। आम तौर पर गठबंधन के उम्मीदवारों ये चाहत होती है कि मोदी उनके इलाके में उनके लिए चुनाव प्रचार करे। लेकिन अजीत पवार की मनाही से असमंजस की स्थिति है।
पत्नी की हार से अजीत का ताकत को बट्टा
बारामती विधानसभा सीट पर शरद पवार और अजीत पवार दोनों की साख दांव पर लगी है। क्योंकि लोकसभा चुनाव में अजीत पवार की पत्नी की हार को परिवार की लड़ाई में ही अजीत के लिए बड़ा झटका माना गया था। इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में अजीत पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार यहां से चुनाव हार गई थीं। यहां उनका मुकाबला अपनी ननद और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले से हुआ था। सुनेत्रा की हार के बाद अजीत ने सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया था कि उन्हें इस सीट बहन के खिलाफ अपनी पत्नी को चुनावी मैदान में नहीं उतारना चाहिए था। लोकसभा चुनाव में 4 में से केवल 1 सीट अजीत पवार को मिली। फिर भी विधानसभा चटुनाव में अजीत पवार ने पीएम मोदी से प्रचार नहीं करने का अनुरोध किया है।
शरद पवार की संन्यास की घोषणा के मतलब
शरद पवार को राजनीति का खिलाड़ी माना जाता है। बारामती शरद पवार की पारिवारिक सीट है।पिछले चुनाव में शरद पवार ने अपने बूढ़े पहलवान होने के हवाला दे कर लोगों का दिल जीता था, तो तरह इस बार भी दो दिन पहले शरद पवार ने यह कह कर सबको चौंका दिया है कि अब वो कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे। शरद पवार ने चुनावी राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा करते हुए युगेंद्र पवार पक्ष में प्रचार किया। हालांकि, इस दौरान उन्होंने अजीत पवार के खिलाफ कुछ नहीं बोला। साथ ही उनके काम की भी तारीफ की। इसी कारण शरद पवार की संन्यास लेने की घोषणा के राजनीतिक मतलब तलाशे जा रहे हैं।
परिवार से टूटने के बाद अजीत का पहला चुनाव
महाराष्ट्र में बारामती शरद पवार का राजनीतिक गढ़ माना जाता है। बारामती में छह दशक से शरद पवार का कब्जा है। अगर इस सीट से अजीत पवार जीत जाते हैं तो शरद पवार का 60 साल पुराना वर्चस्व समाप्त हो जाएगा। 30 साल तक खुद शरद पवार ने इस सीट का प्रतिनिधित्व किया। वहीं, प्रतिष्ठा की इस लड़ाई में अगर इस बार अजीत पवार यहां से चुनाव हार जाते हैं तो माना जा रहा है कि उनके लिए शायद ही कोई विकल्प बचे। मगर अजीत के शरद पवार से नाता तोड़कर एनडीए में जाने के बाद बारामती सीट पर यह पहला विधानसभा चुनाव है, जहां पारिवारिक लड़ाई है। इसी कारण अजीत पवार के लिए इस चुनाव को उनके राजनीतिक अस्तित्व का चुनाव माना जा रहा है।
-राकेश दुबे (वरिष्ठ पत्रकार)