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Home»देश-प्रदेश»Pilot Cheshta Bishnoi: सपनों की उड़ान से पहले ही अलविदा हुई चेष्टा बिश्नोई की कहानी
देश-प्रदेश 4 Mins Read

Pilot Cheshta Bishnoi: सपनों की उड़ान से पहले ही अलविदा हुई चेष्टा बिश्नोई की कहानी

Prime Time BharatBy Prime Time BharatDecember 19, 2024No Comments
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Pilot Cheshta Bishnoi: राजस्थान में जोधपुर की चेष्टा बिश्नोई (Cheshta Bishnoi) के सपने आकाश में उड़ान भर रहे थे। वह कमर्शियल पायलट (Pilot) बनने की ट्रेनिंग ले रही थी। अगर जी ली होती, तो आसमान पर राज करने वाली साबित होती। लेकिन उससे पहले ही दुनिया से विदा हो गई। उसके अंगदान कर दिए गए हैं और पार्थिव देह को पुणे से जैसलमेर जिले में चेष्टा के पैतृक गांव  खेतोलाई (Khetolai) लाकर अंतिम संस्कार भी कर दिया गया है। जोधपुर (Jodhpur) की रहने वाली केवल 21 साल की चेष्टा जीवन में जी तो बहुत कम, लेकिन मरने के बाद भी वह दानवीरता का वह प्रेरक काम कर गई, जो आम तौर पर समान्य लोग 100 साल जीने पर भी नहीं कर पाते। लेकिन  एक युवा सपने की मौत हो जाने की कहानी केवल इतनी भर नहीं है। कहानी का अंत यह है कि राजस्थान के रेतीले धोरों पर फैले आकाश में उड़ते हवाई जहाजों को देख कर पायलट (Pilot) बनने का निश्चय करने वाली 21 साल की नादान और सपनों की दुनिया मे रहने वाली चेष्टा बिश्नोई को अपने सपनों की यह कीमत अपनी जान का दाम देकर चुकानी पड़ेगी, किसी ने नहीं सोचा था।

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  • आसमान छूने की चाहत दिल में ही रह गई
  • किसी में धड़केगा दिल, कोई देखेगा उसकी आंख से
  • जोधपुर में जन्मी और पुणे में विदा हो गई
        • -राकेश दुबे

आसमान छूने की चाहत दिल में ही रह गई

चेष्टा खेतोलाई की रहने वाली थी। जैसलमेर जिले में पोखरण के पास का खेतोलाई गांव, जहां हर सुबह आकाश में बहुत सारे विमान उड़ते दिखते हैं। चेष्टा रही तो जोधपुर में, लेकिन मेहरानगढ़ का प्राचीर को समसनाते हुए हर जोधपुर के आकाश में भी पल उड़ते सेना के विमानों का शोर सुनाई देता है। इन गरजते विमानों की उड़ानों ने ही चेष्टा को भी आकाश में उड़ने की प्रेरणा दी, तो पिता ज्योति प्रकाश ने बेटी के सपनों को उड़ान भरने देने के लिए महाराष्ट्र के बारामती की फ्लाइट ट्रेनिंग अकादमी में एडमिशन करवा दिया। चेष्टा कमर्शियल पायलट बनने की ट्रेनिंग ले रही थी। वह असाधारण प्रतिभा की धनी थी। चेष्टा अपना फर्स्ट स्ट्राइप्स पहनने की तैयारी में ही थी। उसने पायलट लाइसेंस पाने के लिए जरूरी 200 घंटों में से 55 घंटे अपनी मेहनत और लगन से पूरे कर लिए थे। वह सभी लिखित परीक्षाएं पास कर चुकी थीं। चेष्टा का सपना आसमान की ऊंचाइयों को छूना था।

किसी में धड़केगा दिल, कोई देखेगा उसकी आंख से

पुणे में 9 दिसंबर को एक सड़क हादसे में घायल होने के कारण चेष्‍टा बिश्नोई को सिर में गंभीर चोटें आईं थीं, वह ब्रेन डेड हो गई, पुणे में ही 17 दिसंबर को उसकी मृत्यु हुई, तो माता – पिता सुषमा एवं जयप्रकाश बिश्नोई ने अंगदान का साहसिक निर्णय लिया। यह निर्णय न केवल राजस्थान के लिए बल्कि, समूचे देश के लिए एक प्रेरणा बन गया। चेष्‍टा का ह्दय, लीवर, दोनों किडनी और पैनक्रियाज सहित अन्य अंगों को दान कर कई जिंदगियों को बचाने का काम किया। अब चेष्टा किसी के दिल में धड़कन बनकर धड़केगी, किसी की सांसों में रहेगी, किसी की धमनियों में दौड़ेगी, तो किसी की आंख बनकर फिर नए सपने देखेगी। कुछ लोग होते ही ऐसे हैं, जो संसार से जाने के बाद भी, हमारे ही बीच में, दूसरों के भीतर जीते हैं।

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जोधपुर में जन्मी और पुणे में विदा हो गई

जोधपुर में चेष्टा का परिवार प्रतिष्ठित उम्मेद हेरिटेज सोसायटी में रहता है। पुणे में हादसा 9 दिसंबर को उस वक्त हुआ, जब चेष्टा सहित 4 लोग पुणे के इंदापुर तहसील में बारामती से भिगवान जा रही कार में सवार थे और कार टकरा गई थी। हादसे में दाशु शर्मा, आदित्य कानसे की घटना स्थल पर ही मौत हो गई थी, जबकि चेष्टा बिश्नोई और मंगल सिंह बुरी तरह से घायल हो गए थे। हादसा कतार की ओवर स्पीड के कारण बताया गया। जिसमें चेष्टा के सिर में गंभीर चोटें आई थीं और डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया था, फिर 17 दिसंबर को उसकी मृत्यु हो गई और 18 दिसंबर को पातृक गांव में उसका अंतिम संस्कार किया गया। अब इस हादसे में राजस्थान की होनहार बेटी चेष्टा की भी मौत हो गई।

-राकेश दुबे

 

यह भी पढ़ेंः Rising Rajasthan: ‘राइजिंग राजस्थान’ जैसे आयोजनों पर सवाल है अमेरिका से आए 92 साल के बुजुर्ग निवेशक की ये कहानी

 

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