Jagdeep Dhankhar: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था। लेकिन दो साल 1 महीने पहले ही उनका यह इस्तीफा बेहत अप्रत्याशित माना जा रहा है। इस्तीफे के कुछ पल पहले तक किसी को नहीं पता था कि धनखड़ उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने वाले हैं। हालांकि, इस्तीफे का कारण उन्होंने गिरता स्वास्थ्य बताया है, लेकिन राजनीति अपने जवाब तलाश रही है। राजस्थान के झुझुनू जिले में एक किसान परिवार में जन्मे धनखड़ का राजनीतिक सफर गर्व करने लायक माना जाता है।
स्वास्थ्य कारणों से धनखड़ ने दो साल पहले ही छोड़ा पद
राष्ट्रपति को प्रेषित अपने इस्तीफे में उन्होंने लिखा है कि वे स्वास्थ्य की प्राथमिकता और चिकित्सकीय सलाह का पालन करते हुए भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र दे रहे हैं। इस त्यागपत्र में उन्होंने राष्ट्रपति के प्रति उनके सहयोग और सौहार्दपूर्ण संबंधों के लिए आभङार जताते हुए धन्यवाद दिया है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्रिमंडल को भी सहयोग के लिए आभार जताया। सन 2022 में 6 अगस्त को हुए उप राष्ट्रपति पद के चुनाव में जगदीप धनखड़ ने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को भारी बहुमत से हराया था। धनखड़ को 725 में से कुल 528 वोट मिले थे, जबकि अल्वा को केवल 182 वोट ही मिले थे। उपराष्ट्रपति के स्वास्थ्य की हाल ही के दिनों की बात करें, तो 9 मार्च 2025 को अचानक सीने में दर्द की शिकायत पर दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। तीन सप्ताह पहले ही 25 जून को उत्तराखंड में जगदीप धनखड़ की अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। वे नैनीताल स्थित कुमाऊं यूनिवर्सिटी के गोल्डन जुबली समारोह में बतौर चीफ गेस्ट पहुंचे थे। कार्यक्रम खत्म होने के बाद धनखड़ पूर्व सांसद महेंद्र सिंह पाल के कंधे पर हाथ रखकर बाहर निकले। धनखड़ केवल 10 कदम भी नहीं चले थे कि उनके सीने में अचानक बहुत तेज दर्द उठा था। कहते हैं कि उसके बाद फिर महेंद्र पाल से गले लगकर रोने लगे, तो सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें संभाला था।
किसान का घर में जन्मे और पहुंचे उपराष्ट्रपति पद पर
मूल रूप से राजस्थान के झुंझुनू निवासी धनखड़ 18 मई 1951 को एकसाधारण किसान परिवार में पैदा हुए थे। वहां से उन्होंने राजनीति में कदम रखा और देश के उपराष्ट्रपति के पद पर पहुंचे। धनखड़ की शुरुआती शिक्षा गांव में हुई फिर वे सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में पढ़े। नेशनल डिफेंस अकादमी में प्रवेश हो गया था, लेकिन वे नहीं गए और राजस्थान विश्वविद्यालय से ग्रोडजुएशन व लॉ करने के बाद जयुपर वकालत थी। फिर वे राजनीति में आए, तो विधायक भी रहे और 1989 से 1991 तक झुंझुनू से लोकसभा सांसद रहे। उस दौरान वे प्रधानमंत्री वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकारों में केंद्र में मंत्री भी रहे। पहले वे जनता दल में थे, लवलेकिन बाद में बीजेपी में आ गए और पीएम मोदी के राज में वे बंगाल के राज्यपाल रहे, वहीं से वे उपराष्ट्रपति बने।