Rajasthan CM: देश में भौगोलिक लिहाज से सबसे बड़े प्रदेश राजस्थान में अब तक कुल 26 बार मुख्यमंत्रियों ने शपथ ली है, जिनमें मोहनलाल सुखाड़िया और अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सबसे लंबे कार्यकाल तक मुख्यमंत्री के पद पर रहे। सुखाडिया 4 बार मुख्यमंत्री बन कर 16 साल और 194 दिन उस पद पर रहे, तो गहलोत कुल 3 बार में 15 साल 4 दिन तक मुख्यमंत्री रहे। हालांकि जातिगत लिहाज से देखा जाए, तो ब्राह्मण सबसे ज्यादा 8 बार मुख्यमंत्री बने और राजपूत व वैश्य 5-5 बार मुख्यमंत्री के पद पर रहे। राजस्थान में अब ब्राह्मण मुख्यमंत्री हैं और प्रदेश की राजनीति में मुख्यमंत्री के रूप में भजनलाल शर्मा को नए सूरज के उदय के रूप में माना जा रहा है। भजनलाल शर्मा (Bhajanlal Sharma) धीरे धीरे प्रदेश की सबसे बड़ी गद्दी पर अपनी मजबूत पकड़ बनाते दिख रहे हैं। सन 1998 से लेकर 2023 के 25 साल लंबे कालखंड तक राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे के इर्द गिर्द घूमती रही, लेकिन इस बार बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) जैसा कि अक्सर करते रहते हैं, भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बना कर सभी को चौंका दिया। शर्मा का चुनावी सफर सरपंच से मुख्यमंत्री का रहा हैं। वे पहली बार विधायक का चुनाव लड़े, पहली बार जीते और पहली बार ही सारे दिग्गजों को दरकिनार करते हुए सीधे मुख्यमंत्री बन गए। 15 दिसंबर 2023 को उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, वे राजस्थान के 26वें मुख्यमंत्री हैं और ब्राह्मण मुख्यमंत्री के तौर पर प्रदेश में 8वें नेता हैं। भरतपुर जिले के निवासी भजनलाल शर्मा बीजेपी संगठन में लंबे समय तक प्रदेश के महामंत्री रहे हैं और अब मुख्यमंत्री हैं।
सुखाड़िया और गहलोत सबसे लंबे काल तक सीएम रहे
रेतीले राजस्थान की रपटीली राजनीतिक राहों से निकलकर मुख्यमंत्री के पद पर सबसे ज्यादा लंबे कालखंड तक काबिज रहने की बात करें, तो तीन बार चुनाव जीतकर अशोक गहलोत प्रदेश में दूसरे सबसे लंबे समय तक, 15 साल से भी कुछ ज्यादा दिनों तक मुख्यमंत्री रहे। और उनसे पहले के इतिहास पर नजर डालें तो 1949 से लेकर अब तक के मुख्यमंत्रियों में सबसे लंबा कार्यकाल मोहनलाल सुखाड़िया कर रहा। गहलोत से डेढ़ साल ज्य़ादा वक्त तक, सुखाड़िया 16 साल और 194 दिन तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। मोहनलाल सुखाड़िया जैन थे, वो 13 नवंबर 1954 से 13 मार्च 1967 तक, लगातार 3 बार कुल 12 साल 120 दिन तक राजस्थान मुख्यमंत्री के पद पर रहे। उसके बाद चौथी बार सुखाड़िया 26 अप्रैल 1967 को एक बार फिर मुख्यमंत्री निर्वाचित हुए, और 9 जुलाई 1971 तक वे इस पद पर बने रहे। चौथी बार का उनका कार्यकाल 4 साल 74 दिन तक रहा। इस हिसाब से मोहनलाल सुखाड़िया 16 साल और 194 दिन तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। अशोक गहलोत अपने कुल तीन कार्यकाल पूरे करके 15 साल और 4 दिन तक मुख्यमंत्री रहे हैं।
आठ बार ब्राह्मण, 5-5 बार राजपूत और बनिया, 3 बार माली
राजस्थान की सियासत के जानकार राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार कहते हैं कि प्रदेश सबसे ज्यादा 8 बार ब्राह्मण मुख्यमंत्री बने, जिनमें जयनारायण व्यास 2 बार, हरिदेव जोशी 3 बार और टीकाराम पालीवाल, हीरालाल शास्त्री और भजनलाल शर्मा 1 – 1 बार सीएम बने। दूसरे नंबर पर 5 – 5 बार राजपूत और बनिया सीएम रहे, जिनमें से राजपूतो में 3 बार भैरोंसिंह शेखावत और 2 बार वसुंधरा राजे। परिहार कहते हैं कि हालांकि राजस्थान के राजपूतों का एक छोटा सा वर्ग वसुंधरा राजे को राजपूत नहीं मानता, जबकि वे ग्वालियर राजघराने की बेटी हैं। उधर, मुश्किल यह है कि जाट राजघराने धौलपुर की बहु होने के बावजूद वसुंधरा राजे को जाटों का एक वर्ग भी अपना नहीं मानता, लेकिन उनके बेटे पांचवी बार सांसद बने दुष्यंत सिंह को जाट के रूप में स्वीकारते हैं। प्रदेश में 5 बार वैश्यों में 4 बार जैन समाज के मोहनलाल सुखाड़िया और माहेश्वरी समाज से 1 बार हीरालाल देवपुरा, माली – सैनी समाज से अशोक गहलोत 3 बार, और 2 बार कायस्थ समाज से शिवचरण माथुर मुख्यमंत्री बने। अनुसूचित जाति से खटीक जाति के जगन्नाथ पहाड़िया, मुसलिम बरकतुल्ला खान व दक्षिण भारतीय एस वैंकटाचारी, ये तीनों 1-1 बार मुख्यमंत्री बने। राजस्थान के 5 मुख्यमंत्रियों के कामकाज को बेहद करीब से जानने वाले राजनीतिक विश्लेषक परिहार कहते हैं कि राजस्थान में सबसे ताकतवर राजनीतिक कौम जाटों को सामाजिक स्तर पर चिंतन की जरूरत है कि आखिर राजनीतिक रूप से सबसे जागृत होने के बावजूद ऐसा क्या है कि वे अपने किसी नेता को मुख्मंत्री बनाने में कमजोर पड़ जाते हैं!
भैरोंसिंह शेखावत 1977 में पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने
प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री हीरालाल शास्त्री ब्राह्मण थे, वे 7 अप्रैल 1949 से 6 जनवरी 1951 तक, कुल 1 साल 274 दिन का तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। उनके बाद सीएस वेंकटचारी 6 जनवरी 1951 से लेकर 26 अप्रैल 1951 तक मात्र 110 दिन तक के लिए मुख्यमंत्री के पद पर रहे। जय नारायण व्यास भी ब्राह्मण थे, वे 26 अप्रैल 1951 को राजस्थान के मुख्यमंत्री बने और इस पद पर 3 मार्च 1952 तक रहे। इस तरह उनका सीएम कार्यकाल कुल 312 दिन तक रहा। टीकाराम पालीवाल भी ब्राह्मण थे, और वे 3 मार्च 1952 से 1 नवंबर 1952 तक कुल 243 दिन तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। उनके बाद व्यास का दूसरा कार्यकाल 1 नवंबर, 1952 से 12 नवंबर, 1954 तक रहा और इस दौरान वे 23 महीने 12 दिन तक सीएम रहे। राजस्थान के पहले मुस्लिम मुख्यमंत्री के रूप में बरकतुल्लाह खान 9 जुलाई 1971 से 11 अक्टूबर 1973 तक, कुल 2 साल 94 दिन तक अपने पद पर रहे। उनके बाद हरिदेव जोशी 11 अक्टूबर 1973 को राजस्थान के मुख्यमंत्री बने और इस पद पर 29 अप्रैल 1977 तक बने रहे। इस दौरान वे कुल 3 साल 200 दिनों तक इस पद पर रहे। फिर इमरजेंसी के बाद जनता पार्टी की सरकार में भैरोंसिंह शेखावत राजस्थान में पहले गैर कांग्रेस मुख्यमंत्री बने। शेखावत पहली बार 22 जून 1977 को राजस्थान के मुख्यमंत्री बने, उनका ये कार्यकाल 16 फरवरी 1980 तक यानी 2 साल 239 दिनों तक रहा था। बाद में जगन्नाथ पहाड़िया 6 जून 1980 से 14 जुलाई 1981 तक, कुल 1 साल 38 दिन का राजस्थान के मुख्यमंत्री पद पर रहे।
शेखावत, जोशी और गहलोत 3-3 बार रहे मुख्यमंत्री
अपने जीवन के उत्तरार्द्ध में उपराष्ट्रपति बनकर राजनीति से रिटायर हुए भैरोंसिंह शेखावत एवं कांग्रेस के दिग्गज नेता हरिदेव जोशी और अशोक गहलोत अलग अलग काल में प्रदेश में 3-3 बार मुख्यमंत्री पद पर रहे। लेकिन शेखावत लगातार दो बार इस पद पर रहे। जगन्नाथ पहाड़िया के बाद शिवचरण माथुर मुख्यमंत्री बने, वे कायस्थ थे। माथुर 14 जुलाई 1981 से 23 फरवरी 1985 तक, कुल 3 साल 224 दिन तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। हीरालाल देवपुरा माहेश्वरी थे, वे 23 फरवरी 1985 से 10 मार्च 1985 तक, कुल 15 दिन तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। उनके बाद हरिदेव जोशी दूसरी बार 10 मार्च 1985 से 20 जनवरी 1988 तक, कुल 2 साल 316 तक मुख्यमंत्री रहे। उनको हटाकर शिवचरण माथुर फिर दूसरी बार 20 जनवरी 1988 से 4 दिसंबर 1989 तक, कुल 1 साल 318 दिन तक मुख्यमंत्री रहे। फिर माथुर को हटाकर हरिदेव जोशी तीसरी बार 4 दिसंबर 1989 से 4 मार्च 1990 तक मुख्यमंत्री बने, उनका यह तीसरा कार्यकाल कुल 90 दिनों तक का ही रहा। उसके बाद दुए विधानसभा चुनाव में भैरोसिंह शेखावत भारतीय जनता पार्टी की तरफ से 4 मार्च 1990 को दूसरी बार मुख्यमंत्री बने, वह इस पद पर 15 दिसंबर 1992 तक, कुल 2 साल 286 दिन तक रहे। केंद्र की कांग्रेस सरकार ने बाद में विधानसबा को भंग करके उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया, लेकिन 10वीं विधानसभा में बीजेपी की फिर जीती और शेखावत तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने। तीसरे टर्म में वो 4 दिसंबर 1993 से 1 दिसंबर 1998 तक कुल 4 साल 362 दिन तक मुख्यमंत्री के पद पर रहे।
गहलोत और वसुंधरा 25 साल तक एक के बाद एक मुख्यमंत्री बने
प्रधानमंत्री इंदिरा गाांधी, राजीव गांधी और नरसिम्हाराव के साथ केंद्र सरकार में मंत्री रहे पांच बार के सांसद अशोक गहलोत पहली बार सन 1998 में बीजेपी की सरकार को हराकर भैरोंसिंह शेखावत के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री बने। गहलोत कांग्रेस की तरफ से 1 दिसंबर 1998 से 8 दिसंबर 2003 तक, कुल 5 साल 7 दिन तक मुख्यमंत्री रहे। फिर हुए 2003 के विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे सिंधिया पहली बार 8 दिसंबर 2003 को मुख्यमंत्री बनी, वह इस पद पर 12 दिसंबर 2008 तक, 5 साल 4 दिनों तक रहीं। लेकिन राजस्थान में फिर सत्ता पलटी और 2008 में कांग्रेस की जीत पर अशोक गहलोत दूसरी बार 12 दिसंबर 2008 को मुख्यमंत्री बने। गहलोत अपने दूसरे कार्यकाल में 13 दिसंबर 2013 तक, कुल 5 साल 1 दिन तक सीएम के पद पर रहे। साल 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हार गई और बीजेपी की जीत पर वसुंधरा राजे सिंधिया दूसरी बार मुख्यमंत्री बनीं। राजे का दूसरा कार्यकाल 13 दिसंबर 2013 से 17 दिसंबर 2018 तक, कुल 5 साल 4 दिन रहा। साल 1993 से कायम हुआ हर पांच साल में सरकार बदलने का रिवाज 2018 में भी कायम रहा और साल 2018 में कांग्रेस की जीत हुई, तो अशोक गहलोत तीसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। इस बार वे इस पद 17 दिसंबर 2018 से 13 दिसंबर 2023 तक पर कुल 4 साल 361 दिन रहे। गहलोत पहली बार 5 साल 7 दिन, दूसरी बार 5 साल 1 दिन और तीसरी बार 4 साल 361 दिन, यानी कुल 15 साल 4 दिन तक मुख्यमंत्री रहे।
पहली बार मुख्यमंत्री बने भजनलाल शर्मा लगातार मजबूती की तरफ
ऐसे में देखें तो सबसे लंबे समय का मुख्यमंत्री का कार्यकाल मोहनलाल सुखाडिया का और उनसे थोड़ा सा कम गहलोत का कार्यकाल रहा। अब भजनलाल शर्मा मुख्यमंत्री हैं। शर्मा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ अपने स्कूली दिनों से ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के माध्यम से की थी। बाद में वे वहां जिला सह-संयोजक और सह-जिला प्रमुख बने। फिर भारतीय जनता युवा मोर्चा में शामिल हो गए और 27 वर्ष की आयु में अपने पैतृक गांव के सरपंच बन गए। वे लगातार चार बार राजस्थान में बीजेपी के महासचिव के रूप में कार्य कर रहे थे और वहीं से सीधे जयपुर में सागानेर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीत कर मुख्यमंत्री बने। राजस्थान देख रहा है कि जैसे जैसे वे इस पद पर मजबूत होते जा रहे हैं साथ ही उनके आलाकमान का जिस तरह से उन पर भरोसा है, उसे देख कर तो ऐसाे संकेत है कि राजनीति में वे लंबे चलेंगे। हालांकि, राजनीति में किसी के भी बारे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता, इसीलिए देखते हैं, भजनलाल शर्मा कितने दिन तक प्रदेश की कमान सम्हाले रखते हैं। वे कोई अपना नया रिकॉर्ड बनाते हैं, या किसी का रिकॉर्ड तोड़ते हैं, यह देखना अभी बाकी है।
-राकेश दुबे (वरिष्ठ पत्रकार)
यह भी पढ़िए Vasundhara Raje: पद, मद और कद के जरिए आखिर किस पर वसुंधरा का निशाना?
इसे भी पढ़ेंः Rajasthan Politics: भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाकर फिर चौंकाया मोदी ने