Rajasthan Politics: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आखिरकार वही किया, जिसकी आशंका थी। पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा को राजस्थान (Rajasthan) का मुख्यमंत्री घोषित करके सभी को चौंका दिया है। हाल ही में जीते हुए तीनों प्रदेशों, सबसे पहले छत्तीसगढ़, फिर मध्य प्रदेश और आज राजस्थान में नए चेहरों को आगे किया। बीजेपी ने राजस्थान (Rajasthan) के लिए अपने मुख्यमंत्री चेहरे की घोषणा कर दी है। भजनलाल शर्मा (Bhajanlal Sharma) जयपुर के सांगानेर विधायक से विधायक हैं और पहली बार विधायक बनकर अब राजस्थान के मुख्यमंत्री बने हैं। विद्याधर नगर की विधायक दीया कुमारी और दूदू के विधायक प्रेमचंद बैरवा उप मुख्यमंत्री होंगे और वासुदेव देवनानी को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया है। 56 साल के भजन लाल शर्मा पहली बार राजस्थान विधानसबा में पहुंचे हैं और सीधे ही मुख्यमंत्री का पद मिल गया। भरतपुर जिले नदबई तहसील के अटारी गांव निवासी किशन स्वरूप शर्मा के बेटे भजनलाल शर्मा ने भरतपुर जिसे से उम्मीदवारी मांगी थी, लेकिन जयपुर शहर की सांगानेर सीट से अपने युवा विधायक अशोक लाहोटी का टिकट काटकर उनको टिकट दिया गया था, तो उनको खुद को भी समझ में नहीं आया था कि ये उनके साथ क्या हो गया। लेकिन वे लड़े और जीते। इसी से लगता है कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को उनको हर हाल में जिताकर विधानसभा में लाना था, इसीलिए उनके लिए ब्राह्मण बहुल वोटों वाली सांगानेर सीट को चुना गया था।
समर्पित कार्यकर्ता कहीं भी पहुंच सकता है
भजनलाल शर्मा राजस्थान (Rajasthan) में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का स्थान लेंगे, जो तीन बार राजस्थान में कांग्रेस की ओर से प्रदेश के शीर्ष पद पर रहे हैं। उनके नाम के ऐलान के बाद बीजेपी (BJP) हाईकमान पर कहा जा सकता है कि जो नेता विधायक बनने तक की आकांक्षा पालने के आगे सपने में भी नहीं सोच पाते हैं, उनके दिलों में भी बीजेपी सियासी समंदर की लहरें लपलपाने की उम्मीद जगाती है। प्रदेश में नए मुख्यमंत्री के ऐलान के बाद राजस्थान (Rajasthan) में एक जो सबसे बड़ा सवाल हर कोई हर किसी से पूछ रहा है, वह यही है कि भाजपा ने राजस्थान में इस शीर्ष पद के लिए आखिर क्यों दिग्गज बीजेपी (BJP) नेताओं को नजरअंदाज करके पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा (Bhajanlal Sharma) का चयन किया? राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भविष्य के भारत की भाजपा बना रहे हैं, तो ऐसे में पुराने किसी भी नेता के मुख्यमंत्री बनने का कोई सवाल ही नहीं था। परिहार कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय और मध्य प्रदेश में मोहन यादव जैसे बिल्कुल पिछली कतार में बैठे विधायकों के मुख्यमंत्री बनने से पहले ही स्पष्ट हो गया था कि राजस्थान में क्या हो सकता है। परिहार कहते हैं कि भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने साफ संदेश दिया है कि कोई भी कार्यकर्ता समर्पित भाव से काम करे, तो किसी भी पद तक पहुंच सकता है।
कांग्रेस को इस फैसले से सीख की जरूरत
राजनीतिक विश्लेषक संदीप सोनवलकर मानते हैं कि बीजेपी जिस तरह से वसुंधरा राजे, शिवराज सिंह चौहान और रमन सिंह जैसे लोकप्रिय मुख्यमंत्रियों को भी पीछे रखकर अपेक्षाकृत युवा नेतृत्व की ओर जा रही है, ऐसे में कांग्रेस को भी आत्म मंथन करना होगा। सोनवलकर कहते हैं कि राहुल गांधी ने सही कहा कि राजस्थान में युवाओं को उम्मीदवारी दी होती, तो कांग्रेस चुनाव जीत सकती थी। ऐसे में कांग्रेस के बारे में चिंता करनेवाले सुशील आसोपा मानते हैं कि कांग्रेस को अपने भीतर बदलाव लाने होंगे। आसोपा कहते हैं कि कांग्रेस को जब राजस्थान (Rajasthan) में 2018 में मौका मिला था तो वह युवा नेता सचिन पायलट को दरकिनार करके अशोक गहलोत जैसे बुजुर्ग के साथ खड़ी हो गई थी। आसोपा की बात में दम है और इसी संदर्भ में कहा जा सकता है कि कांग्रेस को अपने चिर प्रतिद्वंद्वी बीजेपी (BJP) से सीख लेकर युवा पीढ़ी को महत्व देना होगा और प्रादेशिक नेताओं के मुकाबले केंद्रीय नेतृत्व को भी अपनी अहमियत दिखानी होगी।
पहली बार के विधायक और संघ के कार्यकर्ता
मुख्यमंत्री बन रहे भजन लाल शर्मा (Bhajanlal Sharma) राजस्थान बीजेपी (BJP) के महामंत्री हैं और भरतपुर के रहने वाले हैं। बाहरी होने के आरोप के बावजूद सांगानेर से उन्होंने बड़े अंतर से जीत दर्ज की। शर्मा ने कांग्रेस के पुष्पेंद्र भारद्वाज को 48081 वोटों से हराया। भजन लाल शर्मा को संघ और संगठन दोनों का करीबी माना जाता है। शर्मा राजस्थान (Rajasthan) में शीर्ष पद के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी भगवा पार्टी की पसंद हैं। यहां भगवा शब्द इसलिए उपयोग में है क्योंकि 2024 का आम चुनाव भगवा में रंगा होगा और राम मंदिर के नाम पर होने जा रहा है तथा भजनलाल शर्मा (Bhajanlal Sharma) खुद भी भगवा यानी संघ परिवार (RSS) के समर्पित रहे हैं। नव नियुक्त मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को 12 दिसंबर 2023 को जयपुर में तीन केंद्रीय पर्यवेक्षकों – केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े और राज्यसभा सांसद सुश्री सरोज पांडे की उपस्थिति में विधायकों की एक बैठक में चुना गया। भजनलाल शर्मा चार बार प्रदेश बीजेपी (BJP) में महामंत्री के तौर पर कार्य करते रहे हैं। संगठन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए उन्हें मुख्यमंत्री पद का सौंपा गया है।
लोकसभा में 25 सीटें जीतना अहम लक्ष्य
अब, अधिकतर लोग मान रहे हैं कि राजस्थान (Rajasthan) के नए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (Bhajanlal Sharma) के नेतृत्व में सरकार आसानी से चल जाएगी, बीजेपी (BJP) बहुमत में तो है ही, और अगले महीने से सभी लोग लोकसभा चुनाव की तैयारियों में लग जाएंगे। मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले भी, और उससे वंचित रह जाने वाले भी, मुख्यमंत्री बनने वाले भी और इससे महरूम रह जाने वाले भी। आखिर प्रदेश की सभी 25 सीटों पर बीजेपी (BJP) को जीत हासिल करनी है और यही नए मुख्यमंंत्री भजनलाल शर्मा के लिए सबसे अहम चुनौती है। इसी वजह से समझा जा रहा है कि राजस्थान (Rajasthan) की राजनीति के भविष्य की असली तस्वीर लोकसभा चुनावों के बाद ही साफ होगी।
-आकांक्षा श्रीवास्तव (लेखक चुनावी रणनीतिकार हैं)