कायदे से देखा जाए, तो राजनीति में जीत के मुकाबले उम्र कोई मायने नहीं रखती। फिर भी, राजस्थान में कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भले ही कह दिया हो कि बड़ी उम्र वाले लोगों को पद त्याग देने चाहिए और उदयपुर के अपने चिंतन शिविर में भी पार्टी ने भले ही संकल्प लिया था कि सत्ता व संगठन दोनों में 50 फीसदी पदों पर, 50 साल से कम उम्र के लोग ही रहेंगे। लेकिन जिस पार्टी का राष्ट्रीय अध्क्ष खुद 82 पार का हो, उस पार्टी की अपने प्रादेशिक नेताओं को उम्र के हवाले से पद छोड़ने की सलाह व शिविरों के संकल्प कोई खास मायने नहीं रखते। राजनीति के जानकारों की राय में हैं कि सचिन पायलट के दिल को तसल्ली देने के लिए प्रभारी रंधावा ने केवल कहने को कह दिया है। क्योंकि कांग्रेस के वर्तमान 106 विधायकों में से 60 साल से ज्यादा उम्र के 45 विधायक हैं, जिनको राजस्थान में कांग्रेस का स्तंभ कहा जाता है। अशोक गहलोत सरकार में 70 पार के 9 मंत्री हैं। शांति धारीवाल, उदयलाल आंजना, परसादीलाल मीणा, सुखराम विश्नोई, बृजेंद्र ओला, हेमाराम चौधरी और बीडी कल्ला 70 पार के हैं। इनके अलावा महेश जोशी, विश्वेंद्र सिंह, महेंद्रजीत मालवीय, गोविंद मेघवाल, मुरारी मीणा, रमेश मीणा और राजेंद्रसिंह यादव, सुभाष गर्ग आदि 8 मंत्रियों की उम्र 60 पार हैं। उदयपुर के चिंतन शिविर में 50 साल से कम उम्र के 50 फीसदी लोगों को रखने की सीमा के संदर्भ में देखा जाए, तो प्रतापसिंह खाचरियावास, प्रमोद जैन भाया, रामलाल जाट, लालचंद कटारिया, जाहिदा खान, शकुंतला रावत, राजेंद्र गुढ़ा, भजनलाल जाटव, ममता भूपेश और अर्जुन बामनिया जैसे कुल 10 मंत्री 50 व 60 साल के बीच के हैं। हालांकि जीवन की अंतिम संध्या की प्रतीक्षा कर रहे नरसिम्हाराव और मनमोहन सिंह जैसे नेताओं को बिस्तर से उठाकर प्रधानमंत्री पद पर पहुंचाने का जिस पार्टी का इतिहास रहा हो और राहुल गांधी जैसा युवा नेता जहां खुद पद लेने को तैयार नहीं हो, वहां होना जाना कुछ भी नहीं है। फिर प्रभारी रंधावा खुद भी तो 65 पार के होने जा रहे हैं, ऐसे में उनके बयानों के क्या गंभारता से लेना… मजे कीजिए!
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21st November, Thursday, 9:05 PM