Jodha Akbar: कोई नहीं जानता कि अकबर महान था या नहीं, लेकिन स्कूल के इतिहास की किताबों में तो हम यही पढ़ते रहे कि अकबर महान था। इसीलिए अकबर की महानता सदा से विवाद का विषय रही है। इसी तरह से, जोधाबाई से विवाह भी विवाद का विषय है। मुगल सम्राट अकबर और आमेर (वर्तमान जयपुर) की राजकुमारी जोधा बाई के विवाह की कहानी भारतीय इतिहास की सबसे चर्चित और विवादास्पद कथाओं में से एक है। यह कहानी न केवल ऐतिहासिक दस्तावेजों और लोककथाओं में उलझी हुई है, बल्कि राजस्थान की सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना, विशेष रूप से जाट और राजपूत समुदायों के बीच तनाव का कारण भी रही है। हाल ही में, इस विषय ने राजस्थान के सांसद हनुमान बेनीवाल और राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े के बयानों के कारण फिर से सुर्खियां बटोरी हैं। जयपुर राजघराने की सदस्य और राजस्थान की उप-मुख्यमंत्री दीया कुमारी का दृष्टिकोण भी इस बहस में महत्वपूर्ण है।
अकबर की नीतियां ऐसे विवाहों की प्रोत्साहन थीं
ऐसा माना जाता है कि 1562 में मुगल सम्राट अकबर ने आमेर के कछवाहा राजपूत शासक राजा भारमल की पुत्री से विवाह किया था। इस विवाह को एक राजनीतिक गठबंधन के रूप में देखा जाता है, जिसका उद्देश्य मुगल और राजपूत शक्तियों के बीच सौहार्द स्थापित करना था। अकबर की नीतियां, जैसे कि सुलह-ए-कुल (सार्वभौमिक सहिष्णुता), इस प्रकार के विवाहों को प्रोत्साहन देती थीं, जो विभिन्न समुदायों को एकजुट करने में सहायक थीं। इस विवाह के परिणामस्वरूप, आमेर के राजपूतों को मुगल दरबार में उच्च पद प्राप्त हुए, और राजा भारमल के पुत्र मान सिंह ने अकबर के सेनापति के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि, इस विवाह में शामिल राजकुमारी का नाम ऐतिहासिक दस्तावेजों में स्पष्ट नहीं है। कुछ स्रोतों में उन्हें हरखा बाई, हीरा कुमारी, या मरियम-उज़-ज़मानी के नाम से जाना जाता है। जोधा बाई नाम का उल्लेख पहली बार 18वीं सदी में ब्रिटिश लेखक जेम्स टॉड की पुस्तक Annals and Antiquities of Rajasthan में मिलता है, जो अकबर की मृत्यु के लगभग 300 वर्ष बाद लिखी गई थी।
जोधा – अकबर के जरिए राजपूतों को नीचा दिखाने के प्रयास
राजस्थान में जाट और राजपूत समुदायों के बीच जोधा और अकबर के इस विवाह का विवाद एक दूसरे को नीचा दिखाने का कारण बनता रहा है तथा उसी वजह से प्रदेश में कई अवसरों पर दोनों जातियों में तनाव रहा है। राजपूत समुदाय का एक वर्ग इस विवाह को अपनी अस्मिता पर हमला मानता है, क्योंकि यह माना जाता है कि राजपूत राजकुमारियां अपनी स्वतंत्रता और सम्मान के लिए जौहर तक करती थीं, और किसी मुगल से विवाह उनके सिद्धांतों के खिलाफ था। दूसरी ओर, जाट समुदाय के कुछ लोग इस कहानी को राजपूतों को नीचा दिखाने के प्रयास के रूप में देखते हैं। हाल ही में, सांसद हनुमान बेनीवाल ने बिना किसी का नाम लिए इस विवाह को लेकर टिप्पणी की, जिससे सामाजिक तनाव और बढ़ गया। साथ ही, राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने अकबरनामा का हवाला देते हुए दावा किया कि इस विवाह का कोई उल्लेख नहीं है और यह एक मनगढ़ंत कहानी है। उन्होंने यह भी कहा कि अकबर का विवाह आमेर के राजा भारमल की दासी की पुत्री से हुआ था, न कि किसी राजकुमारी से। इन बयानों ने इस बहस को और हवा दी।

जयपुर की वर्तमान राजमाता दीया कुमारी का दृष्टिकोण
जयपुर राजघराने की सदस्य और राजस्थान की उप-मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने इस मुद्दे पर प्रत्यक्ष रूप से कोई बयान नहीं दिया है, जैसा कि उपलब्ध स्रोतों में उल्लेख है। हालांकि, जयपुर राजघराना, जो कछवाहा राजपूतों का प्रतिनिधित्व करता है, ऐतिहासिक रूप से इस विवाह को एक राजनीतिक गठबंधन के रूप में स्वीकार करता रहा है। दीया कुमारी, एक बीजेपी नेता होने के नाते, संभवतः इस मुद्दे पर संवेदनशीलता बरतेंगी, क्योंकि यह राजपूत गौरव और सामाजिक एकता से जुड़ा है। उनकी चुप्पी इस बात का संकेत हो सकती है कि वह इस विवाद को और तूल देने से बचना चाहती हैं, विशेष रूप से राजस्थान के संदर्भ में, जहां राजपूत और जाट समुदायों के बीच संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
जोधा बाई और अकबर के विवाह की सत्यता पर संशय
जोधा बाई और अकबर के विवाह की सत्यता को समझने के लिए हमें प्राथमिक और द्वितीयक स्रोतों पर विचार करना होगा। प्राथमिक स्रोतों में अकबरनामा और तुज़ुक-ए-जहांगीरी जैसे दस्तावेज शामिल हैं, जिनमें जोधा बाई नाम का कोई उल्लेख नहीं है। अकबरनामा में अकबर की पत्नी का नाम मरियम-उज़-ज़मानी या हरखा बाई के रूप में आता है। इसके अलावा, जयपुर के अभिलेखों और राजपूत भाटों के रिकॉर्ड में भी यह उल्लेख है कि अकबर का विवाह एक दासी की पुत्री से हुआ था, न कि राजकुमारी से। हालांकि, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि जोधा बाई नाम 18वीं सदी में ब्रिटिश इतिहासकारों, विशेष रूप से जेम्स टॉड, द्वारा प्रचारित किया गया, जिसका उद्देश्य अकबर को उदार और समावेशी शासक के रूप में चित्रित करना था। यह भी संभव है कि यह कहानी राजपूत-मुगल गठबंधन को रोमांटिक रूप देने के लिए गढ़ी गई हो। दूसरी ओर, पुरातत्व विभाग और भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (ICHR) ने जोधा बाई के अस्तित्व को नकारा है। यह दावा भी किया जाता है कि जोधा बाई का किरदार काल्पनिक है, जिसे लोकप्रिय संस्कृति ने बढ़ावा दिया। फिर भी, यह तथ्य निर्विवाद है कि अकबर ने आमेर की एक राजपूत राजकुमारी से विवाह किया था, जिसे बाद में मरियम-उज़-ज़मानी की उपाधि दी गई, और वह जहांगीर की मां थी।
जटिल ऐतिहासिक विवाह का विवाद गहन जांच का विषय
जोधा बाई और अकबर के विवाह की कहानी को लेकर कई विवाद हैं। पहला विवाद यह है कि क्या जोधा बाई नाम की कोई राजकुमारी वास्तव में थी। कुछ इतिहासकारों, जैसे प्रो. इरफान हबीब, का कहना है कि जोधा बाई नाम का कोई ऐतिहासिक पात्र नहीं था। उनका मानना है कि यह नाम काल्पनिक हो सकता है, और अकबर की पत्नी का असली नाम हरखा बाई या मरियम-उज़-ज़मानी था। दूसरी ओर, कुछ इतिहासकार और लोकप्रिय संस्कृति, विशेष रूप से फिल्में और धारावाहिक जैसे जोधा अकबर, इस कहानी को सच्चाई के रूप में प्रस्तुत करते हैं। जोधा बाई और अकबर का विवाह एक जटिल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विषय है, जो तथ्यों, मिथकों और सामाजिक संवेदनाओं से घिरा हुआ है। ऐतिहासिक दस्तावेजों के आधार पर, यह स्पष्ट है कि अकबर ने आमेर की एक राजकुमारी से विवाह किया था, लेकिन जोधा बाई नाम संभवतः बाद में प्रचारित हुआ। इस विवाह को लेकर राजस्थान में जाट और राजपूत समुदायों के बीच तनाव ऐतिहासिक तथ्यों से अधिक सामाजिक गौरव और पहचान से जुड़ा है। हनुमान बेनीवाल और हरिभाऊ बागड़े के बयानों ने इस बहस को और जटिल किया है, जबकि दीया कुमारी की चुप्पी इस मुद्दे की संवेदनशीलता को दर्शाती है। अंततः, यह कहानी हमें इतिहास लेखन में सावधानी और तथ्यों की गहन जांच की आवश्यकता को याद दिलाती है।
-राकेश दुबे