Manvendra Singh: राजस्थान की राजनीति बदल गई है, कांग्रेस (Congress) सत्ता से बेदखल हैं और सत्ता बीजेपी (BJP) के हाथ है। केंद्र व राजस्थान (Rajasthan) दोनों जगह बीजेपी सरकार में होने से कांग्रेस के अंदरूनी हालात खराब हैं। राजस्थान (Rajasthan) विधानसभा में सत्ता गंवाने के बाद लोकसभा चुनाव में भी 25 में से एक भी सीट तक आने के आसार नहीं है। फिर, बीजेपी में अब वो हालात नहीं है, जिनकी वजह से बीजेपी के दिग्गज नेता स्वर्गीय जसवंत सिंह (Jaswant Singh) के बेटे पूर्व सांसद मानवेंद्र सिंह (Manvendra Singh) ने पार्टी छोड़ी थी। नेतृत्व के चेहरे बदल चुके हैं। वसुंधरा धरा पर आ चुकी हैं और कमल की खिलखिलाहट लगातार बढ़ रही है। ऐसे में मानवेंद्र सिंह जसोल के लिए क्या फिर से बीजेपी में संभावनाएं बन सकती है, राजनीति के जानकार इसी चिंतन कर रहे हैं, तो मानवेंद्र भी सोच तो रहे ही होंगे, क्योंकि दुखद हालात में चल रही कांग्रेस में तो उनके सुखद भविष्य की कोई राजनीतिक गुंजाइश फिलहाल तो नहीं दिखती। क्या कहीं इसी कारण तो मानवेंद्र भी रास्ता खोलने की गुंजाइश नहीं तलाश रहे हैं? यही सवाल राजस्थान की राजनीति की हवा में तैर रहा है, क्योंकि वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री न बनने पर उन्होंने मारवाड़ी में कहा कि ‘जी सोरो होयो…’ मतलब कि दिल खुश हो गया। वैसे तो रकाजनीति में मानने के केई मायने नहीं होते, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह कांग्रेस को झटका दे सकते हैं, यह माना जा रहा है।
मानवेंद्र के संकेतों को समझना मुश्किल नहीं
मानवेंद्र सिंह के लिए अब कांग्रेस में बने रहना कोई बहुत लाभ का सौदा नहीं है। वैसे भी राजनीति कुल मिलाकर लेन देन से ज्यादा कुछ भी नहीं है। जब तक कोई किसी के काम का होता है, तब तक ही साथ निभाया जाता है। कांग्रेस उनको कुछ भी देने की हालत में नहीं है और अब मानवेंद्र कांग्रेस को लिए मेहनत भी करे, तो उसका कोई लाभ कांग्रेस को होता नहीं दिखता। मतलब साफ है कि नया रास्ता पकड़ने के लिए हालात बेहद अनुकूल हैं। यही वजह है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह की बातों और संकेतों में राजनीति के जानकार कांग्रेस को झटका देने की जमीन तलाश रहे हैं। मानवेंद्र का जसवंत सिंह की जयंती के दिन अटलजी के आशीर्वाद की बात और अपने लक्ष्य पर अटल रहने की शिक्षा को याद करते हुए सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर अटलजी की तस्वीर लगाना, अपन परिचय में कहीं भी कांग्रेस के नाम तक का उपयोग नहीं करना, वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री न बनने पर मारवाड़ी में दिल खुश होने की बात कहते हुए इसे स्वाभिमान की जीत बताने जैसे संकेत आखिर राह बदलने के संकेत नहीं तो और क्या है।
बीजेपी में हालात बदले, वसुंधरा युग की समाप्ति
दरअसल, सिंतबर 2018 में ही बीजेपी से मानवेंद्र का रास्ता अलग हो गया था। मानवेंद्र सिंह वैसे तो वसुंधरा राजे से तब से नाराज चल रहे थे जब से उनके पिता जसवंत सिंह का टिकट बाड़मेर से काटा गया था, लेकिन लेकिन राजस्थान में विधानसबा चुनाव से ऐन पहले स्वाभिमान रैली के नाम से राजपूतों की एक विराट रैली करके मानवेंद्र के बीजेपी के बगावत का झंडा बुलंद कर दिया था। वास्तव में यह ताकत वसुंधरा राजे को दिखाई थी और वास्भिमान रैली में मानवेंद्र सिंह की पत्नी चित्रा सिंह ने ऐलान किया था कि वसुंधरा राजे तक यह आवाज पहुंचा देनी है कि अब वह महज दो महीने की मेहमान हैं। इस रैली में एक भावुक अपील भी की गई कि जसवंत सिंह के राजनतिक जीवन को गर्त में धकेलने के लिए वसुंधरा राजे जिम्मेदार हैं और हमें इसका बदला लेना है। बाद में तो उसी विधानसभा चुनाव में मानवेंद्र ने वसुंधरा के सामने चुनाव भी लड़ा, जिसमें वे जीती भले ही, मगर सत्ता से बेदखल हो गई, तो मानवेंद्र का बदला भी पूरा हो गया। अब राजस्थान में बीजेपी की राजनीति में वसुंधरा युग का लगभग अवसान हो ही ग.या है और फिर से उनके उभरने या हालात से उबरने के कोई संकेत दूर दूर तक नहीं है। ऐसे में बीजेपी में मानवेंद्र अपने लिए कोई जगह बना सकते हैं, इसी पर सबकी नजर है।
कांग्रेस में आसार कम, राहुल गंभीर नहीं और पायलट पस्त
मानवेंद्र सिंह ने सन 2018 में जब बीजेपी छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा था, तो मानवेंद्र सिंह भी चमकते सितारे थे और कांग्रेस में भी दम ता। वह सत्ता में आ रही थी। मानवेंद्र की कांग्रेस में सबसे बड़ी ताकत राहुल गांधी से नजदीकियां है, राहुल गांधी उनके फोन पर तत्काल जवाब देते हैं और यूके व यूएस में पढ़े मानवेंद्र की ब्रिटिश अंग्रेजी राहुल को सुहाती हैं, उइसी वजह से वे उनसे लंबी बात भी करते हैं। सचिन पायलट के साथी रहे हैं और पायलट जब प्रद्श कांग्रेस अध्यक्ष थे, तभी वे बीजेपी छोड़ कांग्रेस में आए थे। उम्मीद थी कि सरकार आ, तो कुछ तो बन ही जाएंगे, लेकिन मुख्यमंत्री बने अशोक गहलोत, तो फिर पायलट के किसी करीबी आदमी को कुछ मिलना कहां आसान था। हालांकि, जसवंत सिंह के बेचे होने के कारण मानवेंद्र को स्नेह जरूर करते रहे, अवहेलना कभी नहीं की, लेकिन पायलट जैसे सत्ता पलटने निकले राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के साथी होने का खामियाजा मानवेंद्र को भी भुगतना पड़ा। अब राजस्थान में न तो कांग्रेस में दम है, न राहुल गांधी उनके लिए कुछ करने की हालत में है और पायलट तो खुद ही पस्त होकर छत्तीसगढ़ जैसे छोटे से प्रदेश के प्रभारी बनने की कांग्रेसी मजबूरी ढो रहे हैं। ऐसे में अगर मानवेंद्र सिंह जसोल कांग्रेस छोड़ भी देते हैं, तो क्या तो कांग्रेस और क्या ही मानवेंद्र का खुद का नुकसान।
मानवेन्द्र बोले – कई समर्थकों की राय यही है
राजनीति के संसार में लक्ष्य सबसे ज्यादा मायने रखते हैं और मानवेंद्र सिंह के पास कांग्रेस में बने रहने का कोई लक्ष्य नहीं है। वे जानते हैं कि विधानसभा चुनाव के बाद राजस्थान बीजेपी में वसुंधरा युग की समाप्ति हो गई है और कांग्रेस तो सत्ता से बेदखल हो ही गई है, साथ ही वहां उनका खयाल रखनेवाले राहुल गांधी का राजनीतिक नज़रिया साफ नहीं है और कांग्रेस का नेतृत्व करके उसको बेहतर ढंग से चलाने में भी राहुल की कोई बहुत ज्यादा रूचि नहीं है। फिर जिन सचिन पायलट से उनको उम्मीद थी, वह खुद भी कांग्रेस में मन नहीं लगा पा रहे हैं। राहुल गांधी को भी यह समझ में आ गया है कि पायलट की वजह से ही राजस्थान में कांग्रेस की सरकार फिर से नहीं आ सकी, क्योंकि पायलट के प्रभावी इलाकों में कांग्रेस ज्यादा हारी है और पायलट ने कोई बहुत प्रभावी तरीके से काम भी नहीं किया । खास बात क्या है कि राहुल गांधी को यह तथ्य समझ में आ गया है कि पायलट के इशारे पर ही गुर्जरों ने कांग्रेस को वोट नहीं किया वरना कांग्रेस की सरकार फिर आ जाती। इन्हीं कारणों पायलट की भी राजस्थान से बेदखली कर दी गई हैं। फिर, मानवेंद्र सिंह के समर्थक भी चाहते हैं कि कांग्रेस में उनके पास कोई महत्वपूर्ण काम नहीं है तो भाजपा ही ज्यादा सही है और मनोज सिंह के पास बीजेपी में संपर्कों का भी अभाव नहीं है। इसी कारण मानवेंद्र सिंह जसोल के वापस बीजेपी में जाने की राजीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म है। वैसे अपने सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर मानवेंद्र ने अटल बिहारी वाजपेई के साथ अपने पिता जसवंत सिंह की तस्वीर लगा दी है और बीजेपी में घर वापसी के सवाल मानवेंद्र सिंह ने भी पिछले दिनों भाजपा में जाने के संकेत देते हुए कहा मौसम अच्छा बना हुआ है मौसम कब बदलता है देखो। मानवेंद्र सिंह से घर वापसी के बारे में कहा कि, मैं इसे घर वापसी नहीं मानता, क्योंकि मैं घर में ही हूं। भारत में हूं। आप पार्टी बोलिए। उन्होंने कहा कि अधिकतम समर्थकों की राय यही है, समर्थकों के साथ आगे चर्चा होगी और बैठकर कोई फैसला लिया जाएगा।