Rajasthan BJP President: लोकसभा चुनावों में राजस्थान (Rajasthan) में 11 सीटें गंवाने से प्रदेश में बीजेपी (BJP) को बड़ा नुकसान पहुंचा हैं। प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी (CP Joshi) भले ही 3,89,877 वोटों से जीत गए हों, लेकिन लगातार दो आम चुनावों में सभी 25 सीटें जीतने वाले राजस्थान में बीजेपी की सत्ता होने के बावजूद 11 सीटों का नुकसान होना बीजेपी को साल रहा है। लोकसभा चुनाव हो जाने के बाद और केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) का मंत्रिमंडल बन जाने के बाद अब राजनीतिक चर्चाओं में संगठन में बदलाव की बातचीत शुरू हो गई है। राजस्थान की सियासत में चर्चा केवल एक ही हैं कि बीजेपी का अगला प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा? प्रदेश अध्यक्ष पद की रेस में फिलहाल राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत (Rajendra Gehlot) सबसे आगे हैं। उनके अलावा पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी (Prabhulal Saini) और राज्यसभा सांसद मदन राठौड़ (Madan Rathod) के नाम भी चर्चा में हैं। खास बात यह है कि बीजेपी को अपने प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी की जगह किसी और के अध्यक्ष बनाना ही पड़ेगा। क्योंकि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (Bhajanlal Sharma) और प्रदेश अध्यक्ष जोशी दोनों का ब्राह्मण होना राजनीतिक लिहाज से अनुकूल नहीं है। हालांकि केंद्र में मंत्री बनने की चर्चा में भी राठोड़ व गहलोत के नाम पर दबी चुबान से चर्चा थी, लेकिन अब प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर इनके नाम सबसे आगे हैं। उपचुनावों में जीत के लिहाज से वसुंधरा राजे का भी फिर से बीजेपी की मुख्यधारा में आना राजनीतिक संभावना माना जा रहा है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में कुछ सीटों पर नुकसान उनको दरकिनार करने की वजह से भी हुआ माना जा रहा है।
राजेंद्र गहलोत और प्रभुलाल सैनी के सियासी समीकरण
भाजपा अपनी हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी को बदलने का मन बना चुकी है। राजपूत नेता गजेंद्र सिंह शेखावत और जाट नेता भागीरथ चौधरी के केंद्र में मंत्री बनने के बाद प्रदेश संगठन में मूल ओबीसी को प्रतिनिधित्व दिया जाना जरूरी हो गया है। राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत वर्तमान में प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार का कहना है कि गहलोत मूल रूप से संगठन के व्यक्ति हैं, मारवाड़ से आते हैं और युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सहित राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, विधायक, मंत्री व प्रदेश संगठन में विभिन्न पदों पर रहे हैं। राजेंद्र गहलोत के बारे में खास बात यह है कि वे किसी भी गुट से नहीं है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी हैं, उन्हीं ने गहलोत को सीधे राज्यसभा में भेजा है। गहलोत के मामले में केवल एक पेंच फंस सकता है कि वे जोधपुर से हैं और केंद्रीय मंत्री शेखावत भी जोधपुर से हैं। ऐसे में हाड़ौती संभाग से फिलहाल केंद्र में कोई मंत्री भी नहीं है, तो, ऐसे में प्रभुलाल सैनी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। वे बीजेपी की सरकारों में दमदार मंत्री रहे हैं, हाड़ौती के भी हैं और संगठन में भी सक्रिय रहे हैं। लेकिन बीजेपी आलाकमान की राजनीतिक सूझ बूझ की समीक्षा करते हुए राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार का मानना हैं कि जोधपुर में कांग्रेस के दिग्गज अशोक गहलोत को कमजोर करने की कोशिश के तहत बीजेपी आलाकमान के लिए सांसद राजेंद्र गहलोत ज्यादा जरूरी साबित हो सकते हैं। फिर भी हिंडोली से पिछला विधानसभा चुनाव हारे पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी को समायोजित करने के लिए बीजेपी अगर उन पर दांव लगाती है, तो वे भी पार्टी के लिए क्षमतावान साबित होंगे। सैनी फिलहाल प्रदेश बीजेपी में उपाध्यक्ष हैं।
वसुंधरा राजे और सांसद मदन राठौड़ भी अहम चर्चा में
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए वसुंधरा राजे का नाम भी दबी जुबान से लिया जा रहा है। हालांकि उनका राजनीतिक कद राष्ट्रीय अध्यक्ष के बराबर माना जाता है, अतः वे इस पद पर मानेंगी, इसकी संभावना न के बराबर हैं। माना जा रहा है कि विधानसबा के उपचुनावों से पहले वसुंधरा को महत्व दिया जाना बेहद जरूरी है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में उनकी निष्क्रियता की वजह से पार्टी को कुछ सीटों पर हार का सामान करना पड़ा है। माना जा रहा है कि उनके समर्थक कुछ विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है। लेकिन मूल ओबीसी वर्ग के नेता मदन राठौड़ को प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए प्रबल दावेदार मनाया जा रहा है। राज्यसभा सांसद राठौड़ घांची जाति से ताल्लुक रखते हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाते हैं। वे सुमेरपुर से विधायक रहे हैं और वसुंधरा राजे की सरकार में उप मुख्य सचेतक भी रहे है। मारवाड़ की राजनीति के जानकार वरिष्ठ पत्रकार हरिसिंह राजपुरोहित कहते हैं कि बेहद लो प्रोफाइल राजनेता के रूप में अपनी पहचान रखने वाले मदन राठौड़ को राजनीति का डार्क हॉर्स माना जाता है। राजपुरोहित कहते हैं कि मदन राठौड़ पर ‘ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर’ उक्ति फिट बैठती है। सभी को साथ लेकर चलनेवाले वाले नेता की पहचान रखनेवाले मदन राठौड़ के साथ प्रधानमंत्री मोदी का नाम जुड़ा होने से उनका विरोध करना भी किसी के लिए आसान नहीं होगा। खास बात यह भी है कि राजेंद्र गहलोत का तरह ही राठौड़ भी किसी भी गुट में शामिल नहीं है और सीधे आलाकमान से जुड़ाव रखते हैं। इसके अलावा उन्हें संगठन में कार्य करने का लंबा अनुभव है और संघ के भी विश्वासपात्र हैं। हरिसिंह बताते हैं कि मदन राठौड़ की निर्विवाद छवि के कारण प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। माना जा रहा है कि उनकी इसी छवि के कारण बीजेपी संगठन में उनका किसी भी गुट से कोई विरोध नहीं है। ऐसे में बीजेपी निर्विवाद चेहरे राठौड़ पर भी बड़ा दांव खेल सकती है।
ओबीसी से प्रदेश अध्यक्ष बनाना अब सबसे ज्यादा जरूरी
वर्तमान में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी दोनों ही ब्राह्मण हैं। राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार बताते हैं कि प्रदेश में ओबीसी कोटे में 81 जातियां हैं, जो जातीय समीकरण के आधार पर बीजेपी के वोटों का सबसे बड़ा आंकड़ा है। लिहाजा बीजेपी मूल ओबीसी वर्ग को साधते हुए प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने मंत्रिमंडल में 71 मंत्रियों में से सर्वाधिक मूल ओबीसी वर्ग के 27 सांसदों को तवज्जो दी है। परिहार कहते हैं कि राजपूत, यादव, जाट और मेघवाल जातियों से केंद्र में मंत्री बनाए जाने के बाद अब सियासी लिहाज से मूल ओबीसी के किसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाना लगभग अनिवार्य सा हो गया है, क्योंकि बीजेपी का कोर वोटर भी यही वर्ग है। ऐसे में, राजस्थान की राजनीतिक हवाओं में नाम भले ही राजेंद्र गहलोत, मदन राठोड़ और प्रभुलाल सैनी के तैर रहे हों, लेकिन बीजेपी में प्रदेश का नया अध्यक्ष बनाए जाने के पीछे की गणित और सियासी समीकरण, दोनों समझे जा रहे हैं। इस समीकरण में सबसे अहम चर्चा केवल यही है कि इस बार बीजेपी मूल ओबीसी, समाज से ही नया प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। फिर, बाकी तो नई दिल्ली में बैठे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और उनकी पार्टी के अंदरूनी निर्णय लेने वाले ही सच्चाई जानते हैं। वैसे, बीजेपी के कई राष्ट्रीय नेताओं के करीबी परिहार कहते हैं कि पहले बीजेपी अपने राष्ट्रीय अघ्यक्ष पद का फैसला करेगी, क्योंकि वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा केंद्र में मंत्री बन चुके हैं और उनकी जगह भी पार्टी महासचिव विनोद तावड़े के नाम की चर्चा सुनाई दे रही है, और राजस्थान का नंबर बाद में ही आएगा। ऐसे में सभी को कुछ दिनों का इंतजार ही करना होगा।
-राकेश दुबे (वरिष्ठ पत्रकार)
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