Rajasthan News: राजस्थान में अंता विधानसभा सीट के उपचुनाव में प्रमोद जैन भाया (Pramod Jain Bhaya) जीत गए। भाया की जीत से उनकी पार्टी व समर्थकों में गजब उत्साह है। बीजेपी (BJP) के उम्मीदवार सुमन मोरपाल दूसरे नंबर पर रहे और बहुत बड़बोले नेता के तौर पर चर्चित नरेश मीणा (Naresh Meena) तीसरे नंबर पर रहे। कांग्रेस के भाया को जबरदस्त जनसमर्थन मिला मगर बीजेपी के सुमन को उम्मीद के बावजूद हार का सामना करना पड़ा। और मीणा को मीणा समाज के भी वोट बहुत कम वोट मिले। मोरपाल और मीणा दोनों का ही जातिगत जनाधार बहुत मजबूत होने और विजेता प्रमोद जैन का जातिगत जनाधार बिल्कुल ही ना होने के बावजूद उनकी जीत ता कारण मतदाताओं में उनकी लोकप्रियता मानी जा रही है। कांग्रेस अपनी जात पर खुश है, तो बीजेपी में सन्नाटा छाया हुआ है।

खुशी है कि जनता ने कांग्रेस का साथ दिया – गहलोत
विधानसभा उपचुनाव में अंता में मतगणना के पंद्रहवें राउंड के बाद ही नरेश मीणा को अहसास हो गया था कि वे हार रहे हैं, सो उन्होंने मतगणना केंद्र छेड़कर बाहर निकल जाना ही बेहतर समझा। मतदान केंद्र से बाहर निकलते हुए नरेश मीणा ने कहा कि अंता के मतदाताओं ने भ्रष्टाचार को चुना है। कांग्रेस की जीत पर दिग्गज नेता अशोक गहलोत ने कहा है कि मुझे खुशी है कि अंता की जनता ने कांग्रेस का साथ दिया है। गहलोत ने कहा है कि उपचुनाव में कांग्रेस की यह जीत राजस्थान में बीजेपी की सरकार के फेल होने की निशानी है। विजेता प्रमोद भाया ने कहा कि यह अंता की जनता की जीत है।
मतदाता, मतदान और अंता का चुनाव
त्रिकोणीय संघर्ष के लिए चर्चित राजस्थान की अंता विधानसभा सीट पर हुए 11 नवंबर 2025 को हुए उपचुनाव में मतदान से जुड़े आंकड़े देखें, तो इस विधानसभा क्षेत्र में 2 लाख 28 हजार 264 कुल मतदाता हैं। जिनमें से 1 लाख 83 हजार 099 ने मतदान किया। इनमें से पुरुष मतदाता 96 हजार 141 थे, तो महिला मतदाताओं की संख्या 86 हजार 955 रही। अन्य वर्ग में 3 मतदाताओं ने वोट दिया। अंता के बारे में कहा जाता है कि यह इलाका बीजेपी की वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे का गढ़ रहा है, लेकिन कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया भी अपना जातिगत आधार बेहद कम होने के बावजूद काफी प्रभावी रहे हैं। इसीलिए इस चुनाव में प्रमोद जैन भाया ने जीत दर्ज की। कांग्रेस में उनकी जीत से खुशी का माहौल है।

जातीय समीकरण की सियासत में चुनाव के परिणाम
अंता विधानसभा सीट ऐतिहासिक रूप से भाजपा और कांग्रेस के बीच झूलती रही है, और यहां जातिगत समीकरण, स्थानीय मुद्दे और राज्य सरकार का प्रदर्शन चुनाव परिणामों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जातीय समीकरण में माली समुदाय के मतदाताओं का प्रभुत्व है, जो किसी भी चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। लगभग 40,000 से 45,000 माली मतदाता हैं और बीजेपी ने माली समुदाय के सुमन मोरपाल को इसीलिए चुनाव मैदान में उतारा हैं, वे फिलहाल पंचायत समिति के प्रधान हैं। अन्य प्रमुख जातीय समूहों और उनके अनुमानित मतदाताओं की संख्या देखें, तो मीणा समुदाय के लगभग 30,000 मतदाता हैं और नरेश मीणा इसीलिए निर्दलीय चुनाव लड़ने का साहस जुटा पाए। इस इसाके में अनुसूचित जाति के लगभग 35,000 मतदाता हैं, जिनका झुकाव कांग्रेस की तरफ रहा है, मगर बीते कुछ चुनावों से यह वर्ग बीजेपी का साथ भी देता रहा है। इनके अलावा धाकड़ समाज भी इस क्षेत्र में अच्छी खासी संख्या में है, साथ ही राजपूत और अन्य ओबीसी समुदायों के मतदाता भी बड़ी तादाद में मौजूद हैं, जो चुनावी परिणामों को प्रभावित करते हैं। माना जा रहा है कि मतदाताओं में अपने प्रभाव के कारण कांग्रेस के भाया को सभी जातियों का साथ मिला और वे इस सीट से जीतने में कामयाब रहे।
– आकांक्षा कुमारी

