Uniform Civil Code: उत्तराखंड ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) के जरिए भारत में एक ऐतिहासिक शुरूआत की है, मसौदा विधानसभा में पेश कर दिया गया है और उसके पारित होने पर उत्तराखंड (Uttarakhand) समान नागरिक संहिता (UCC) अपनाने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। विधानसभा में समान नागरिक संहिता का मसौदा पेश करने से, पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने कहा कि उत्तराखण्ड की देवतुल्य जनता के समक्ष रखे गए संकल्प के अनुरूप समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में अतिशीघ्र कानून के रुप में लागू किया जाएगा। उन्होंने यह भी लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के विजन “एक भारत-श्रेष्ठ भारत” को साकार करते हुए राज्य में सबको समान अधिकार प्रदान करने हेतु हम सदैव संकल्पित रहे हैं और आज हम यूसीसी के माध्यम से इस संकल्प को सिद्धि की ओर ले जा रहे हैं। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक में उत्तराखंड में सभी समुदायों के लिए समान नागरिक कानून का प्रस्ताव है। बीजेपी (BJP) ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में इसका वादा किया था।
Uniform Civil Code मानना ही होगा मुसलमानों को भी
इस कानून के विरोध में मुसलमान सबसे ज्यादा हैं। भारत में मुस्लिमों के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बनाया गया है, अभी मुस्लिम समुदाय अपनी सुविधा के हिसाब से भारतीय संविधान और मुस्लिम पर्सनल (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट 1937 दोनों का उपयोग करता है। ज्यादा विवाह, लड़कियों की शादी, महिला को गुजाराभत्ता, संपत्ति का बंटवारा व तलाक आदि कई मामलों में मसुलमान इसी का सहारा लेकर बच जाते हैं, लेकिन अगर समान नागरिक संहिता लागू होती है तो ये कानून, मुस्लिम पर्सनल (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट खत्म करके एक सामान्य कानून का पालन करना होगा। जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि भारतीय मुस्लिम देश के किसी भी प्रदेश में ऐसे किसी भी कानून को स्वीकार नहीं कर सकता जो मुस्लिम पर्सनल (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट के खिलाफ हो। मौलाना मदनी का कहना है कि मुसलमान हर चीज से चीज से समझौता कर सकते हैं, लेकिन शरीयत और मजहब पर कभी समझौता नहीं कर सकते।
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता वाला पहला प्रदेश होगा
समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी, यदि यह विधेयक विधानसभा में पारित हो जाता है, राज्यपाल की सहमति मिल जाती है और कानून बन जाता है, तो उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी को अपनाने वाला पहला राज्य बन जाएगा। समान नागरिक संहिता के अंतिम मसौदे पर विचार करने के बाद कैबिनेट द्वारा मंजूरी मिल गई और 6 फरवरी को उसे विधेयक के रूप में विधानसभा में पेश कर दिया गया है। यह कानून, जो सभी धर्मों के नागरिक कानूनों में एकरूपता स्थापित करने का प्रयास करता है, 4 फरवरी को राज्य मंत्रिमंडल द्वारा पारित किया गया था और 6 फरवरी इसे विधानसभा में पेश किया गया। यदि यूसीसी विधानसभा में पारित हो जाता है, तो भाजपा शासित उत्तराखंड आजादी के बाद इसे अपनाने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। विधानसभा का सत्र शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता सभी वर्गों की भलाई के लिए’ होगी और चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सब का साथ, सबका विकास, सबका प्रयास, सबका विश्वास’ और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के दृष्टिकोण को साकार करने में मदद मिलेगी।’
बीजेपी का वादा था समान नागरिक संहिता
यूसीसी सभी धर्मों के लोगों के लिए विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने जैसे व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले कानूनों का एक सामान्य समूह है। समान नागरिक संहिता के बारे में 2022 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी का एक प्रमुख चुनावी वादा था। राज्य में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद, पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली उत्तराखंड सरकार ने यूयीसी मसौदे के लिए एक पैनल बनाकर इसकी 27 मई 2022 को घोषणा की थी। यूसीसी विधेयक भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 से आता है जिसमें कहा गया है – राज्य पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा। इस कानून में उत्तराखंड के निवासियों के लिए विवाह, तलाक, लिव-इन रिलेशनशिप, संपत्ति के अधिकार, विरासत, गोद लेने, रखरखाव, उत्तराधिकार, हिरासत और संरक्षकता जैसे व्यक्तिगत नागरिक मामलों की समानता का अधिकार है। 2 फरवरी को ड्राफ्टिंग पैनल ने मुख्यमंत्री धामी को अपनी अंतिम ड्राफ्ट रिपोर्ट पेश की। हालांकि, इस पैनल को पिछले साल के अंत में अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन अंतिम समय में मूल रूप से अंग्रेजी में लिखे गए मसौदे का हिंदी में अनुवाद करने का निर्णय लिया गया।