Uttarakhand: देश के बहुत ही खूबसूरत पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा टनल में फंसे सभी 41 मजदूर बाहर निकल आए हैं और देश ने राहत की सांस ली है। 12 नवंबर को सुरंग का एक हिस्सा उस वक्त ढह गया था, जब ये 41 मजदूर काम समाप्त करके वापस बाहर आ रहे थे। तब से लेकर 28 नवंबर तक पूरे 17 दिन तक हर तरफ से बंद गुफा में फंसे रहकर भी जीवित रहना कोई आसान खेल नहीं था, मगर उन मजदूरों के जीवट, सरकार के साहस, परिवारजनों के धीरज और इंजीनियरिंग के कमाल ने पहाड़ से लड़कर 41 जिंदगियां बचा ली। पहाड़ खोदने वाले रैट माइनर्स इन मजदूरों के लिए देवदूत बनकर आए, और सबको बचा लिया। लगातार 16 दिनों तक हर तरह की मशीनें, विदेशी इंजीनियर, और हर ताकत फेल हो गई, तो उस रैट माइनर्स ने अपने काम में सफलता प्राप्त करके सबको चौंका दिया, जिस पर कोई 9 साल पहले प्रतिबंध लगा दिया गया था। रैट माइनर्स टीम ने बहुत तेजी से काम को खत्म किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी मजदूरों की बहादुरी की प्रशंसा की है, तथा बचाव में लगे सभी लोगों के साहस की भी तारीफ की। मैके पर उपस्थित उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी 41 मजदूरों का शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया एवं उनके धैर्य व साहस के लिए उनकी सराहना की।
प्रधानमंत्री मोदी ने की सबके साहस की तारीफ
सिल्क्यारा टनल में फंसे सभी 41 मजदूरों में सबसे पहले विजय होरी को निकाला गया और विजय के बाद गणपति होरी बाहर निकले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सफलता पर कहा – ‘उत्तरकाशी में हमारे श्रमिक भाइयों के रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता हर किसी को भावुक कर देने वाली है। टनल में जो साथी फंसे हुए थे, उनसे मैं कहना चाहता हूं कि आपका साहस और धैर्य हर किसी को प्रेरित कर रहा है। मैं आप सभी की कुशलता और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं। यह अत्यंत संतोष की बात है कि लंबे इंतजार के बाद अब हमारे ये साथी अपने प्रियजनों से मिलेंगे। इन सभी के परिजनों ने भी इस चुनौतीपूर्ण समय में जिस संयम और साहस का परिचय दिया है, उसकी जितनी भी सराहना की जाए वो कम है। मैं इस बचाव अभियान से जुड़े सभी लोगों के जज्बे को भी सलाम करता हूं। उनकी बहादुरी और संकल्प-शक्ति ने हमारे श्रमिक भाइयों को नया जीवन दिया है। इस मिशन में शामिल हर किसी ने मानवता और टीम वर्क की एक अद्भुत मिसाल कायम की है।’ प्रधानमंत्री मोदी ने यह संदेश सोशल मीडिया साइट एक्स पर 8 बजकर 54 मिनट पर दिया, जब सारे ही मजदूर बाहर निकाले जा चुके थे।
रैट माइनर्स की कोशिशों ने कमाल कर दिया
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा टनल में 17 दिनों से फंसे 41 मजदूरों को निकालने के काम में लगी तमाम तकनीक व सारी मशीनें जब लगातार 16 दिन तक फेल होती रही एवं हर तरफ से निराशा दिखने लगी, तो, सोमवार रात बचाव कार्य उस रैट माइनर्स को दिया गया, जो 9 साल से प्रतिबंधित कर दिया गया था। सोमवार की रात से शूरू हुआ रैट माइनिंग के जरिए यह काम केवल 24 घंटे से भी पहले पूरा हो गया। जैसा कि इसके नाम रैट माइनर, से ही बिल्कुल साफ है कि ‘चूहों की तरह खुदाई करना’, तो पहाड़ों में जहां बेहद कम जगह हो या फिर बहुत ही संकरी जगहें हो, तथा जहां पर बड़ी मशीनें अपनी परफॉर्मेंस न दिखा सके या फिर कोई भी अन्य ड्रिलिंग का ऑप्शन काम न कर सके, तो वहां रैट माइनर्स काम करते हैं। रैट माइनर्स की टीम हाथों से खुदाई करती है तथा ये लोग बहुत ही कम स्पेस में भी धीरे-धीरे अपने हाथों से खुदाई करके सुरक्षित रास्ता बना लेते हैं। इसी कारण इस तकनीक को ‘रैट माइनिंग’ कहा जाता है।
Uttarakhand : लगातार 16 दिनों की मेहनत रही सफल
सिलक्यारा टनल में 17 दिनों से फंसे 41 मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीआरओ, आरवीएनएल, एसजेवीएनएल, ओएनजीसी, आईटीबीपी, एनएचएआईडीसीएल, टीएचडीसी, उत्तराखंड राज्य शासन, जिला प्रशासन, भारतीय थल सेना, वायुसेना समेत तमाम संगठनों, अधिकारियों और कर्मचारियों की अहम भूमिका रही। मुख्यमंत्री धामी ने 28 नवंबर की दोपहर लगभग दो बजे के आस पास ही विश्वास व्यक्त करते हुए बता दिया कि बाबा बौखनागजी की असीम कृपा, करोड़ों देशवासियों की प्रार्थना एवं रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे सभी बचाव दलों के अथक परिश्रम के फलस्वरूप श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए टनल में पाइप डालने का कार्य पूरा हो चुका है। बस, उसी के बाद माना जा रहा था कि 17 दिनों की मेहनत सफल होने को ही है। शाम होते होते काम पूरा हो गया और रात पौने 8 बजे के आस पास एक एक करके सभी को निकाला जाने लगा, तो पूरे देश ने राहत की सांस ली। सरकार का कहना है कि मज़दूरों के बचाव अभियान में राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसियों के साथ ही सेना, विभिन्न संगठन और विश्व के नामी टनल विशेषज्ञ शामिल थे।
-राकेश दुबे
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