निरंजन परिहार
राजस्थान में उम्मीदवार घोषित करने में कांग्रेस पिछड़ी, बीजेपी भारी साबितराजस्थान में विधानसभा चुनाव के तीन महीने पहले अपने उम्मीदवार घोषित करनेवाली कांग्रेस उम्मीवारी के मामले में ही पिछड़ गई है। बीजेपी की दो सूचियां जारी होने के बाद कांग्रेस ने अपनी एक छोटी सी सूची जारी करके फिर शान्ति धर्म कर ली है। कांग्रेसी खुद भी मान रहे हैं कि उम्मीवारों के चयन में बीजेपी उनकी पार्टी से आगे निकल गई है। बीजेपी अब तक जारी दो बार की अपनी सूचियों में कुल 124 उम्मीवार घोषित कर चुकी है। जबकि कांग्रेस कई दिनों की मशक्कत के बावजूद केवल 33 उम्मीदवार की मैदान में उतार पाई है। कांग्रेस में उम्मीदवारी को लेकर बड़ा विवाद साफ तौर पर दिख रहा है जबकि बीजेपी की पहली सूची में छिटपुट विरोध होने के बाद दूसरी सूची में वसुंधरा राजे के समर्थकों के बड़ी तादाद में उम्मीदवारी दिए जाने से कोई बड़ा विवाद सामने नहीं आ रहा है। इन दोनों ही पार्टियों की अपने अपने उम्मीदवारों की घोषणा के साथ ही प्रदेश की 18 विधानसभा सीटों पर दोनों पार्टियों के बीच सीधा मुकाबला तय हो गया है।
कांग्रेस और बीजेपी की उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद कुछ चेहरे निश्चिंत नजर आ रहे हैं। बीजेपी में वसुंधरा राजे के ज्यादातर समर्थकों को समाहित कर दिया गया है तो कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं कांग्रेस में ही उनके कट्टर विरोधी पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की उम्मीदवारी भी घोषित हो गई है। लेकिन जोशी की जीत अभी से खटाई में दिख रही है क्योंकि उनके सामने महाराणा प्रताप के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ को नाथद्वारा से बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में उनके सामने चुनाव मैदान में बड़ा संकट खड़ा कर सकते है।
विधानसभा चुनाव से कई महीने पहले फिर से सत्ता में आने की ललक में चुनाव पूर्व 3 महीने पूर्व उम्मीदवारों की घोषणा करने का ऐलान कर चुकी कांग्रेस चुनाव से महीने भर पहले तक भी अपने सारे उम्मीदवार घोषित नहीं कर पाई है। साफ कहा जा सकता है कि टिकट बांटने में कांग्रेस पिछड़ रही है। कांग्रेस ने 21 अक्टूबर को जारी अपनी पहली लिस्ट के 33 लोगो में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, विधानसभा अध्यक्ष सी.पी. जोशी और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को टिकट की घोषणा की, जिसमें चौंकाने वाला केवल एक नाम है, अर्चना शर्मा, जिन्होंने अपनी ही पार्टी के नेताओं पर 40 करोड़ में उम्मीदवारी का सौदा करने का आरोप लगाया था। अर्चना शर्मा के अलावा इनमें से ज्यादातर उन्हीं चेहरों को मौका दिया गया है, जिनके बारे में लगभग तय था। जबकि बीजेपी की दूसरी लिस्ट में 83 नामों में वसुंधरा राजे सहित उनके खेमे के कई नेताओं को टिकट दिया गया है। इस सूची में 7 विधायकों के टिकट काटे गए हैं। इससे पहले भाजपा ने 41 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की थी। पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी को भी आखिरकार जयपुर के बजाय बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के गृह नगर चित्तौड़गढ़ से उम्मीदवार बना दिया गया है। हालांकि राजवी चित्तौड़गढ़ से पहले दो बार जीत चुके हैं लेकिन ताजा परिस्थितियों में माना जा रहा है कि राजवी को जितना अब प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी की व्यक्तिगत जिम्मेदारी बन गया है।
कुल 200 विधानसभा सीटों वाले राजस्थान विधानसभा के चुनाव में बीजेपी ने 124 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं जबकि दूसरी ओर कांग्रेस अभी तक मशक्कत ही कर रही है। राजनैतिक हलको में इसे कांग्रेस की कमजोरी माना जा रहा है, और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद टिकट घोषणा में कांग्रेस का पिछड़ना सरकार को बैकफुट पर धकेल रहा है। कांग्रेस और उसके नेता सरकार बदलने की परंपरा परम्परा को तोड़कर इस बार प्रदेश में कांग्रेस की सरकार दोहराने की बाते कर रहे थे, लेकिन साफ तौर पर कांग्रेस टिकट घोषणा में ही पिछड़ती नजर आ रही है। कांग्रेस में लंबी कवायद के बाद भी 21 अक्टूबर को सिर्फ 33 उम्मीदवारों के नाम घोषित करने का कारण पार्टी की राजनीतिक कमजोरी माना जा रहा है और कांग्रेस पर बीजेपी की बढ़त भी साबित हो रहा है।
बीजेपी ने 9 अक्टूबर को अपने 41 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी, जिसमें सात सांसद भी विधानसभा के चुनावी मैदान में उतारे गए थे। पहली लिस्ट जारी होने के बाद कई सांसदों के विरोध में बगावत भी देखने को मिली, फिर भी निडरता के साथ बीजेपी ने 21 अक्टूबर को 83 नामों की दूसरी जारी कर दी, और कांग्रेस पर भारी होने के संकेत दिए। बीजेपी ने इस दूसरी सूची में वसुंधरा खेमे को तो टिकट दिए ही है, लेकिन 56 वर्तमान विधायकों के टिकट काटकर अपनी ताकत का संदेश भी दिया है। बीजेपी की दूसरी सूची में 27 सीटें वे हैं, जिन पर पिछली बार बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। झालरापाटन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तथा प्रतिपक्ष के नेता राजेन्द्र राठौड़ को इस बार चूरू की बजाय तारानगर विधानसभा सीट से मैदान में उतारा है। पहली सूची में जयपुर की विद्याधर नगर विधानसभा से टिकट कटने से नाराज हुए नरपतसिंह राजवी को चित्तौड़गढ़ से मैदान में उतारे जाने से वर्तमान विधायक चंद्रभान आक्या नाराज़ है। बीजेपी के उम्मीदवारों में प्रताप सिंह सिंघवी, श्रीचंद कृपलानी, नरपतसिंह राजवी, ओटाराम देवासी, पुष्पेन्द्रसिंह राणावत, अनिता भदेल, वासुदेव देवनानी, कालीचरण सरार्फ आदि पूर्व मंत्री शामिल हैं।
राजस्थान कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान पर नज़र रखने वाले विश्लेषक मानते हैं कि अब कांग्रेस को अपनी दूसरी सूची जारी करने के लिए ज्यादा मशक्कत करनी पड़ेगी, क्योंकि ये ही विवाद के कारण बन सकते हैं। खास बात यह है कि बीजेपी के प्रत्याशियों के नाम सामने आने के बाद कांग्रेस के लिए मुश्किले बढ़ गई है।
कांग्रेस ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले में चार विधानसभा प्रत्याशी घोषित किए है तो भाजपा ने वहां अभी तक केवल दो नाम ही घोषित करके सभी को लटकाए रखा है। कांग्रेस की पहली सूची से जाहिर हो रहा है कि भाजपा टिकटों में ना केवल कांग्रेस से आगे रही बल्कि मजबूत और आमजनता के बीच रहने वाले लोगो पर भरोसा जताया है। कांग्रेस के पास उम्मीवारी घोषित करने और ना घोषित करने के पीछे अपनी विशेष योजनाएं हैं तो भाजपा के उम्मीदवारों को अपने काम के लिए वक्त मिल गया है। इसी वजह से मुकाबला कड़ा होता दिखाई दे रहा है और अब चुनाव की यह तस्वीर बेहद दिलचस्प होगी किकांग्रेस आने वाले दिनों में अपने आप को कैसे सम्हाल पाती है।