Rajasthan Politics : चंबल रिवर फ्रंट विवाद के घेरे में है, चुनावी चौपाल पर भी इसकी चर्चा है और अब उसकी जांच करने वाली कमेटी के निष्पक्षता पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं। करीब 1500 करोड़ की लागत से Kota में बने चंबल रिवर फ्रंट की जांच करने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की टीम दौड़ धूप कर रही है। एनजीटी की टीम Chambal River Front से संबंधित दस्तावेज खंगाल रही है, मामले से संबद्ध साक्ष्य इकट्ठा कर रही है। जांच पर जबरदस्त हल्ला मचा हुआ है। क्योंकि मामला Kota में वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के उल्लंघन का है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की इजाजत के बिना ही चंबल रिवर फ्रंट क्रोकोडाइल सेंचुरी का निर्माण करवा दिया गया है। चुनाव सभाओं में भी इसी की चर्चा है।
Rajasthan Politics चंबल रिवर फ्रंट पर जुबानी घमासान
एनजीटी की जांच जारी है, मगर, Chambal River Front के निर्माण का श्रेय लेने वाले कांग्रेस के नेता और राजस्थान के शहरी विकास मंत्री शांति धारीवाल Kota में चुनाव प्रचार कर रहे हैं और सभाओं में चंबल रिवर फ्रंट का श्रेय लेते हुए अपने पर आरोप लगाने वालों पर झल्ला भी रहे हैं। कई अड़चनो के बावजूद आखिरकार अंतिम सूची में हालांकि उनको टिकट मिल गया है और वे फिर से जीत के लिए कमर भी कस रहे हैं। मगर, Kota में चंबल रिवर फ्रंट में करोड़ों के भ्रष्टाचार के आरोप उन पर हैं और कांग्रेस आलाकमान की नजरों में भी उनका कोई बहुत उजला इतिहास नहीं है। वे चुनावी सभाओं में अपने पर आरोप लगानेवाले बीजेपी नेता प्रहलाद गुंजल को निशाने पर ले रहे हैं। ऐसे में Kota के ही अधिकारियों की गठित जांच कमेटी पर सवाल वाजिब है कि क्या यह कमेटी Chambal River Front में गड़बड़ियों की निष्पक्ष जांच कर सकेगी।
जांच कमेटी की निष्पक्षता पर सवाल
चंबल रिवर फ्रंट विवाद निर्माण में वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के उल्लंघन से संबद्ध एक याचिका NGT में दाखिल की गई है, जिसके बाद NGT ने एक कमेटी गठित करके रिपोर्ट मांगी है। सदस्यों की टीम Kota में सबसे पहले जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंची और वहां अधिकारियों से बातचीत करके मामले का अध्ययन किया। फिर, Kota के कुन्हाड़ी इलाके में कई घंटों तक रिवरफ्रंट का निरीक्षण किया। NGT की कोटा के इस Chambal River Front जांच कमेटी में Kota के अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रशासन राजकुमार सिंह, जल संसाधन विभाग के राणा प्रताप सागर बांध के अधीक्षण अभियंता एजाजुद्दीन अंसारी, केंद्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी और राजस्थान राज्य जैव विविधता बोर्ड के मुख्य प्रबंधन तकनीकी शामिल हैं। समिति की जांच की निष्पक्षता पर सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि NGT की जांच समिति में ज्यादातर अफसर तो Kota में उसी राज्य सरकार के हैं, जिसके मंत्री धारीवाल हैं और उन्हीं की मेहरबानी से ही इन अफसरों की नियुक्ति कोटा में हुई है।
Chambal River Front के निर्माण पर विवाद
बीजेपी के नेता और Kota के पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने Chambal River Front विवाद निर्माण में वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के उल्लंघन का मामला उठाते हुए शांति धारीवाल, यूआईटी और कई विभागों पर आरोप लगाए थे। इस निर्माण में नियमों के उल्लंघन से संबंधित कई कागजात भी NGT में गुंजल ने पेश किए हैं। सभी जानते हैं कि Kota में चंबल रिवर फ्रंट निर्माण में जब NGT के नियमों के उल्लंघन का मामला जब सामने आया, तो इसके उदघाटन में मुख्य़मंत्री अशोक गहलोत ने भी Kota में आने से कन्नी काट ली थी। चुनाव की शुरूआत के साथ ही पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए 27 सितंबर 2023 को ध्रुपद मलिक, अशोक मलिक और गिरिराज अग्रवाल ने NGT में एक दरख्वास्त पेश करके मामले में दखल की मांग की थी, उसी के तहत यह जांच चल रही है। हालांकि यह जांच केवल शुरुआती तौर पर हो रही है, और फाइनल जांच तक पहुंचने में लंबा समय भी लग सकता है।
बहुत लुभावना मगर, निर्माण घटिया
लगभग 1500 करोड़ रुपए की लागत से Kota में बने Chambal River Front की खूबसूरती देखते ही बनती है, चंबल के दोनों तटों पर 27 घाटों का निर्माण किया गया है। यहां पर चम्बल माता की 242 फ़ीट ऊंची संगमरमर की मूर्ति भी स्थापित की गई है। करीब 6 किलोमीटर लंबे चम्बल रिवर फ्रंट के जवाहर घाट पर पं. जवाहर लाल नेहरू का दुनिया का सबसे बड़ा गन मेटल का मुखौटा बनाया गया है। साथ ही, दुनिया का सबसे बड़ा नंदी भी बना है। Chambal River Front भारत में विकसित पहला हेरिटेज रिवर फ्रंट है जो Kota में पर्यटकों को आकर्षित करेगा और रोजगार के अवसर भी विकसित करेगा। माना जा रहा है कि Chambal River Front से Kota की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। रिवर फ्रंट के प्रमोशन के लिए दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह ब्रांड एंबेसडर भी बनाया है। मगर इसके निर्माण का काम बेहद घटिया है, जिसका उदाहरण इसके बनते ही सामने आ गया। निर्माण कितना घटिया है, इसकी पोल महज 10 दिन के भीतर ही उस वक्त खुल गई थी, जब Kota बैराज से छोड़े गए पानी के कारण इसमें Chambal River Front में लगाए पत्थरों को उखड़ते, लोहे के सरियों और रैलिंग को अपनी जगह से सरकते देखा गया। इसी को लेकर बीजेपी के नेता संबित पात्रा ने भी गहलोत सरकार को आड़े हाथों लिया था। दुनिया ने देखा कि Chambal River Front पानी का प्रेशर नहीं झेल पाया और रिवर फ्रंट को काफी नुकसान झेलना पड़ा।