Rajasthan विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीत नहीं पाई तो जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक (Satpal Malik) ने कांग्रेस की करारी हार को सचिन पायलट (Sachin Pilot) के माथे मढ़ दिया है। मलिक ने कहा है कि पायलट के कहने पर गुर्जरों ने बीजेपी को वोट दिया और कांग्रेस (Congress) को हरा दिया। मलिक का कहना है कि सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने गुर्जरों से साफ साफ कहा कि कांग्रेस फिर से सत्ता में आई तो अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) फिर से सीएम बन जाएंगे, क्योंकि चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में हो रहा है। इसलिए गहलोत को हराओ, इसने मुझे सीएम नहीं बनने दिया। सतपाल मलिक (Satpal Malik) के इस बयान में दम है, क्योंकि चुनाव के दौरान साफ तौर पर देखा गया कि गुर्जरों ने खुलकर सोशल मीडिया पर भी कहना शुरू किया कि वे कांग्रेस को वोट नहीं देंगे, गहलोत को हराएंगे और इसी वजह से लगभग 20 सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस (Congress) में इस सवाल को समझा जा रहा है कि कैसे पायलट ने गुर्जरों को उकसाकर कांग्रेस को इस विधानसभा चुनाव में हरवा दिया।
पायलट की प्रतिबद्धता पर सवाल
हालांकि, राजस्थान में कांग्रेस (Congress) की हार के बाद बीजेपी ने अपनी सरकार बना ली है, लेकिन कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। माना जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान इसी कारण पायलट से खफा भी है। मलिक की बात में दम इसलिए लगता है क्योंकि प्रदेश में कांग्रेस ने अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था, वे ही मुख्यमंत्री थे, फिर जीतते तो वे ही फिर मुख्यमंत्री बनते। लेकिन सचिन पायलट (Sachin Pilot) सन 2018 में ही मुख्यमंत्री बनना चाहते थे, क्योंकि उस चुनाव में वे ही पार्टी का प्रमुख चेहरा थे, जब पार्टी ने उनकी जगह गहलोत से मुख्यमंत्री बना दिया था। राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार (Niranjan Parihar) कहते हैं कि मुख्यमंत्री न बन पाने से नाराज पायलट लगातार 5 साल तक अपनी पार्टी के मुख्यमंत्री गहलोत व कांग्रेस सरकार के प्रति नाराजगी व्यक्त करते रहे हैं। अब चुनाव में मिली हार के बाद सतपाल मलिक के इस इंटरव्यू से पायलट की प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े होने लगे हैं। परिहार कहते हैं कि इस बीच पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satpal Malik) ने राजस्थान में कांग्रेस की हार का जिम्मेदार सचिन पायलट को ठहरा दिया है, तो यह धारणा और प्रबल हो गई है कि कांग्रेस की हार के लिए सचिन पायलट (Sachin Pilot) का गुर्जरों को उकसाना ही सबसे बड़ा कारण रहा है। मलिक के बयान के बाद राजस्थान में सियासत तेज हो गई है।
सचिन पायलट ने कहा था कि गहलोत को हराओ
पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satpal Malik) ने एक इंटरव्यू में कहा है कि सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने ही कांग्रेस (Congress) को हराया है। जब मलिक से यह पूछा गया कि सचिन पायलट तो अशोक गहलोत के साथ थे, उनसे हाथ भी मिला रहे थे तो उन्होंने जवाब दिया कि हाथ तो सब मिलाते हैं, लेकिन मुझे तो ग्राउंड की जानकारी है कि सचिन पायलट ने कहा कि अशोक गहलोत को हराओ, इसने मुझे मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया। इस वजह से गुर्जरों का कांग्रेस को 1 प्रतिशत वोट भी नहीं मिला। मलिक ने खुलकर कहा कि गुर्जरों की एक परंपरा है कि गुर्जर, गुर्जर के साथ रहता है और सचिन पायलट (Sachin Pilot) उनके कद्दावर नेता है। अपने को उन्होंने चीफ मिनिस्टर प्रोजेक्ट किया था. अगर वह नहीं बने तो गुर्जरों पर वह चोट है, ऐसा मानकर ही पायलट के समर्थन में कांग्रेस को हराने कि लिए गुर्जरों ने वोट नहीं किया। मलिक कहते हैं कि गुर्जर बेल्ट में सचिन पायलट ने खुलकर अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) को हराने की बात कही और ये कहा कि गहलोत ने गुर्जर को चीफ मिनिस्टर नहीं बनने दिया, तो उसका बदला लेने के लिए गुर्जरों ने बीजेपी को वोट दिया। जाटों में भी डिवाइड हुआ। 50 प्रतिशत कांग्रेस को मिला और 50 प्रतिशत वोट बीजेपी को चला गया, जिसका जहां जैसा काम था उसी मुताबिक वोट मिला। लेकिन राजस्थान में कांग्रेस की हार के लिए पायलट ही जिम्मेदार है।
चुनाव से पहले गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोला पायलट ने
राजस्थान की राजनीति में यह सभी जानते हैं कि राज्य का उपमुख्यमंत्री रहते हुए सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने बगावत की थी, तो कांग्रेस (Congress) ने पायलट को उपमुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दोनों पदों से हटा दिया था। पायलट ने विधानसभा चुनाव में भी कोई खास भूमिका नहीं निभाई। चुनाव नजदीक आने से तत्काल पहले ही पायलट ने गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था, अजमेर से जयपुर की जनसंघर्ष यात्रा करके सरकार के खिलाफ लोगों को भड़काया था। पायलट ने पदयात्रा से अपने पैरों में पड़े छालों की कसम तक खाकर गहलोत सरकार को कोसा था। राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार (Niranjan Parihar) मानते हैं कि हालांकि गहलोत (Ashok Gehlot) की अनेक जनलाभकारी योजनाओं के बाद लोगों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रति भले व्यक्ति और अच्छे नेता की छवि बनी और फिस से कांगरेस को सत्ता में लाने की धारणा भी बनी, जिस वजह से वोट भी मिले, लेकिन सतपाल मलिक (Satpal Malik) की बात को भङी समझना होगा कि गुर्जरों ने वोट नहीं दिए, तो कांग्रेस हार गई। राजस्थान की राजनीति और खासकर कांग्रेस में अब पायलट फिर से विश्वसनीयता के कटघरे में है और पार्टी परेशान कि पायलट का करे तो क्या करे।