Abu Dhabi: अयोध्या में बहुप्रतिक्षित राम मंदिर (Ram Mandir) का जनवरी महीने में उदघाटन करने के कुछ दिन बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) फरवरी महीने में एक और विशाल हिंदू (Hindu) मंदिर का उदघाटन करने वाले हैं। यह मंदिर आबू धाबी (Abu Dhabi) में बना है, जिसका निर्माण गुजरात के विख्यात स्वामी नारायण (Swami Narayan) संप्रदाय के बोचासणवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) द्वारा करवाया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने फरवरी 2024 में अबू धाबी में ‘बाप्स’ स्नवामी नारायण मंदिर का अनावरण करने का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है। मोदी फरवरी में ‘बाप्स’ हिंदू मंदिर के उद्घाटन के लिए संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की यात्रा करेंगे।
Abu Dhabi मंदिर का लोकार्पण 14 फरवरी बसंत पंचमी पर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आनेवाले दिनों में एक भव्य हिंदू मंदिर के उद्घाटन में शामिल होने के लिए तैयार हैं, जब कोई यह सुनात है, तो सीधे मन में अयोध्या में राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह की बात आती है, लेकिन यह बात अबू धाबी में ‘बाप्स’ स्वामी नारायण मंदिर के उद्घाटन की, जहां पीएम फरवरी में हिस्सा लेने वाले हैं। स्वामी नारायण मंदिर अबू धाबी में पहला हिंदू मंदिर है, जो राजधानी के अबू मुरीखा क्षेत्र में स्थित है। प्रधानमंत्री मोदी ने 14 फरवरी के इस कार्यक्रम के लिए आबू धाबी के स्वामीनारायण मंदिर उदघाटन के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है। प्रतिष्ठा समारोह के लिए 14 फरवरी 2024 को चुना गया है क्योंकि इसी शुभ दिन को बसंत पंचमी है। 14 फरवरी की सुबह, मूर्ति प्रतिष्ठा व मूर्तियों का आह्वान होगा और शाम को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी एक सार्वजनिक समारोह में मंदिर का लोकार्पण करेंगे।
खाड़ी देशों के पहले हिंदू मंदिर में 7 शिखर और 402 स्तंभ
अबू धाबी का यह खाड़ी देश का पहला पारंपरिक हाथ से नक्काशीदार मंदिर है, तथा यहां के इस पहले हिंदू मंदिर में सात शिखर हैं जो अमीरात का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन शिखरों का प्रत्येक खंड हिंदुओं द्वारा पूजे जाने वाले देवी देवताओं की कहानियों और शिक्षा को दर्शाता है। मंदिर परियोजना निदेशक प्रणव देसाई के मुताबिक प्रत्येक शिखर प्रतीकात्मक रूप से नेतृत्व के आभार प्रकट करने के हमारे अभिवादन के रूप में संयुक्त अरब अमीरात के सातों अमीरातों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा कि इस मंदिर में विभिन्न देशो की कथाएं भी होंगी जो दिखाती हैं कि सभी संस्कृतियों में प्रेम कैसे सार्वभौमिक है। इस मंदिर में कुल 402 स्तंभ हैं और सभी स्तंभों की रचना, नक्कासी व कलाकृति बिल्कुल अलग-अलग हैं, साथ ही हर स्तंभ भारतीय धर्मग्रंथों की कहानियों से परिपूर्ण हैं। इन स्तंभों पर पशु, पक्षियों, संगीतकारों और यहां तक कि चंद्रमा की मूर्तियां भी मंदिर की शोभा बढ़ाती हैं।
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दो हजार कारीगर, 20 हजार टन पत्थर और तीन साल
स्वामी नारायण मंदिर अबू धाबी में मंदिर इतना विशाल है कि मंदिर प्रांगण में 8 से 10 हजार लोग एक साथ बैठ सकते हैं, तथा खास बात यह है कि यह सभी धर्मों के लिए खुला रहेगा। यह मंदिर एक वास्तुशिल्प चमत्कार है, जिसमें प्रत्येक देवी देवता की कहानियां नक्काशी में प्रदर्शित हैं। इस मंदिर की संरचना के लिए पिछले तीन वर्षों में 402 सफेद संगमरमर के स्तंभों को तराशने में राजस्थान और गुजरात के 2,000 कारीगर लगे हुए हैं। इ,स ऐतिहासिक मंदिर के निर्माण के लिए पिछले तीन वर्षों में 20 हजार टन से अधिक पत्थर और संगमरमर भारत से आबू धाबी भेजा गया था। मंदिर परिसर के अलावा, परिसर में प्रार्थना कक्ष, एक सामुदायिक केंद्र, एक पुस्तकालय, एक बच्चों का पार्क और एक एम्फीथिएटर जैसी कई इमारतें होंगी।
आबू धाबी सरकार ने दी हिंदू मंदिर के लिए विशाल जमीन
संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी में पहला हिंदू मंदिर भारत और संयुक्त अरब अमीरात की रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। खाड़ी देश में सबसे बड़ी भारतीय प्रवासी आबादी है, जो लगभग 35 लाख है, इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका (27 लाख) और सऊदी अरब (25 लाख) हैं। यूएई ने सन 2015 में पीएम मोदी की दो दिवसीय यात्रा के दौरान अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर के निर्माण के लिए जमीन आवंटित करने का फैसला किया था। यह यात्रा कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण थी क्योंकि इंदिरा गांधी के बाद 34 वर्षों में खाड़ी देश की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही थे। मोदी ने उस समय आबू धाबी में हिंदू मंदिर के लिए जमीन आवंटित के फैसले को एक महान कदम बताते हुए यूएई सरकार को धन्यवाद दिया था।