BJP: सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) राज्यसभा में बैठे अपने कई नामी और वरिष्ठ सांसदों व मंत्रियों को लोकसभा चुनाव (Parliament Election) मैदान में उतारने जा रही है, ताकि राज्यसभा (Rajya Sabha) के जरिए नए चेहरों को आगे लाया जा सके और पुरानों में जनता के बीच से जीत कर आने की मुश्किलों की समझ बढ़ सके। बीजेपी नेतृत्व ने अपने कुछ वरिष्ठ नेताओं से कहा है कि वो आगामी लोकसभा (Lok Sabha) चुनावों के लिए कमर कस लें, इनमें ज्यादातर वे नेता है, जो तीन बार राज्यसभा सांसद (MP) बन चुके हैं। बीजेपी नहीं चाहती कि देश चलाने में सक्षम नेता भी आसान रास्ते से संसद में पहुंचे और उसका संदेश गलत जाए। ‘प्राइम टाइम भारत’ (Prime Time Bharat) को मिली एक खबर के अनुसार इन नेताओं में कुछ नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के मंत्रिमंडल सदस्यों के भी हैं, जिनमें से दो बड़े नेता, जो केंद्रीय मंत्री हैं, उनको दिल्ली में लोकसभा चुनाव लड़ाया जा सकता है।
BJP दिग्गजों को बता दिया पार्टी का प्लान
बीजेपी की अंदरूनी राजनीति का जानकारी रखनेवाले एक वरिष्ठ नेता से बातचीत में ‘प्राइम टाइम भारत’ को मिली जानकारी के अनुसार बीजेपी बहुत गंभीरता से अपने बड़े और नामी नेताओं को लोकसभा के जरिए संसद में लाना चाहती है। खबर है कि इस बारे में संबंधित नेताओं को सूचित कर दिया गया है और चुनाव लड़ने के लिए लोकसभा क्षेत्र तलाशने का जिम्मा भी उन्हीं को दे दिया है। बीजेपी की अंदरूनी राजनीति के जानकारों से मिली जानकारी के मुताबिक पार्टी जिन नेताओं को लोकसभा चुनाव लड़ाना चाहती है, उनमें राजस्थान के भूपेन्द्र यादव और अश्विनी वैष्णव, मध्य प्रदेश के ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिल्ली के हरदीप सिंह पुरी, गुजरात के मनसुख मांडविया और पुरुषोत्तम रुपाला, महाराष्ट्र के पीयूष गोयल और नारायण राणे, दक्षिण के निर्मला सीतारमण, एस जयशंकर, और राजीव चंद्रशेखर सहित ओडीशा के धर्मेंन्द्र प्रधान शामिल हैं। ये सभी नेता अपने अपने प्रदेशों में या फिर अन्य प्रदेशों में किन सीटों से उम्मीदवार होंगे, यह निर्णय भी उन्हीं पर छोड़ दिया गया है।
सांसद देवजी पटेल की जमानत जब्त का झटका
हाल में पांच प्रदेशों में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ से अपने कुल 18 सांसदों को विधायक बनने कते लिए अपी – अपनी पसंदीदा सीटों से चुनाव मैदान में उतारा था, इनमें चार केंद्रीय मंत्री भी थे। इनमें से कई जीते, तो कुछ हारे भी। लेकिन राजस्थान के जारोल से सांसद देवजी पटेल की विधानसभा चुनाव में जमानत जब्त हो गई थी। देवजी तीन बार से लोकसभा सांसद हैं और अपने पैतृक इलाके से त्रिकोणीय संघर्ष में भी जमानत जब्त करवा बैठे। पार्टी नेतृत्व को अपने सांसद की इस बहुत बुरी हार से बड़ा झटका लगा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पटेल की जमानत जब्त होने से चौकन्ने हैं और इसी वजह से जनाधारविहीन सांसदों को अपना व पार्टी संगठन का जनाधार का निर्माण करने में लगाने की कोशिश में ही बड़े नेताओं को लोकसभा चुनाव में उतार रहे हैं। इसी कारण बीजेपी ने कुछ नाम तलाशें हैं, जिनके बारे में यह धारणा नहीं बने कि वे आसानी से संसद में पहुंचकर मंत्री भी बन जाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि हर किसी को चुनाव लड़ने की मुश्किलों का पता चले ताकि जनता के प्रति नेता की जवाबदेही भी बनी रहे।
लोकसभा लड़ने से बढ़ेगा जनता से जुड़ाव
बुधवार को बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व की एक बैठक में इस बारे में निर्णय कर लिया गया है, तथा संबंधित नेताओं को तत्काल सूचित भी कर दिया गया है। देश के प्रमुख समाचार पत्र ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में इसी आशय की एक खबर प्रकाशित हुई है, उसमें भी यही बात कही गई है कि बीजेपी अपने कुछ बड़े नेताओं को राज्यसभा के बजाय लोकसभा चुनाव लड़वा सकती है। पार्टी चाहती है कि लगातार राज्यसभा के जरिए संसद में पहुंचने के बजाय ये नेता जनता से सीधे चुनकर पहुंचे, ताकि सीधे जनता से जुड़ाव तो बढ़े ही उनको जनता की जिम्मेदारियां भी महसूस हों। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला सहित वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, राजीव चंद्रशेखर और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित पूर्व मंत्री प्रकाश जावड़ेकर जैसे कुल नौ नेता हैं जो राज्यसभा में अपना तीसरा कार्यकाल पूरा करने जा रहे हैं।