Maharashtra CM: अपने फैसलों से हर बार देश को चोंकानेवाली बीजेपी ने इस बार भी सबको चोंका दिया। बीजेपी विधायक दल की बैठक में महाराष्ट्र में मुख्य़मंत्री के नाम की घोषणा होते ही महाराष्ट्र की राजनीति का असमंजस खत्म हो गया है। असमंजस के केंद्र में थे देवेंद्र फडणवीस, जिनके बारे में फैसला ,सामने आ ही गया है। सबकी नजर है। एकनाथ शिंदे और अजीत पवार ने सरकार बनाने के बारे में अपना स्टैंड पहले से ही सार्वजनिक कर दिया था, उसके बाद अब सारी चर्चा नए मुख्यमंत्री पर हैं कि वह कैसे सत्ता चलाएंगे। वैसे, बीजेपी में जब – जब मुख्यमंत्री बनाने का मामला खिंचता देखा गया है, तो निर्णय भी अप्रत्याशित ही हुए गए हैं। इसलिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पर असमंजस कई दिनों तक चलता रहा। राजनीति के सारे समीकरण इस असमंजस के आसपास बुने भी जा रहे और इससे जुड़े सवालों के जवाब भी इसी में तलाशे जा रहे। मगर आब तस्वीर साफ है। केंद्रीय पर्यवेक्षकों गुजरात से पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन की उपस्थिति में मुखयमंत्री का फैसला अब तय है।
महाराष्ट्र की राजनीति असमंजस में इतने दिन केवल इसलिए रही कि तारीख तो तय हो गई थी कि 5 दिसंबर को मुख्यमंत्री की शपथ होगी, लेकिन फिर भी दूल्हा कौन होगा, यह कोई नहीं जानता था। बारद दिनों तक यही सबसे बड़ा सवाल रहा। इसी सवाल के जवाब में राजनीति के जानकार कहते हैं कि बीजेपी में दो धाराएं एक साथ बह रही थी। एक धारा तो वह, जो चाहती खी कि फडणवीस ही मुख्यमंत्री बनें और दूसरी बीजेपी की दूरगामी राजनीति के तहत पार्टी को महाराष्ट्र में विकासित करने और नए नेतृत्व को उभारने के बारे में चिंतित थी। इस दूसरी धारा का मानना था कि आखिर किसी एक नेता को ही ताकतवर करते रहकर पार्टी को कमजोर क्यों किया जाए, और दूसरी धारा चाहती रही कि जिसके नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया, उसी को कमान मिलनी चाहिए।
हालांकि संघ परिवार सदा व्यक्ति के साथ नहीं, विचार के साथ रहा है। संघ परिवार के किसी भी नेता ने कभी घोषित रूप से नहीं कहा, फिर भी संघ फडणवीस के समर्थन में है, ऐसा आम तौर पर कहा जा रहा। मगर, बीजेपी की अंदरूनी राजनीति की समझ रखने वालों और बीजेपी आलाकमान में प्रादेशिक स्तर पर वैकल्पिक नेतृत्व विकसित होने के पक्षधर लोगों का कहना था कि पार्टी किसी दूसरे नेता को मुख्यमंत्री बनाए, तो गलत नहीं होगा, क्योंकि फडणवीस की क्षमताओं का उपयोग कहीं और भी बेहतर किया जा सकता है। साथ ही प्रदेश में नया नेतृत्व भी विकसित होगा।
प्रदेश में अब तस्वीर साफ है कि मुख्यमंत्री कौन होगा। देवेंद्र फडणवीस पांच साल तक मुख्यमंत्री और लगभग ढाई साल तक उप मुख्यमंत्री के रूप में सरकार में बीजेपी नेता के रूप में नेतृत्व कर चुके हैं। खास बात यह भी है कि बीजेपी ने जहां पर स्पष्ट बहुमत निलने के बाद अपने मुख्यमंत्री बनाए हैं, वहां मुख्यमंत्री बनाने में वक्त बहुत ज्यादा लिया है। और जब जब वक्त लंबा खिंचा है, तो नाम कोई अप्रत्याशित ही सामने आया। वैसे बीजेपी के नए मुख्यमंत्री की सफलता में कोई कमी नहीं रहेगी, यह तय है। कारण ही है कि बनाती है, तो महाराष्ट्र में पार्टी को मिलेा भारी बहुमत और सरकार को केंद्र केा संपूर्ण समर्थन। किसी भी मुख्यमंत्री को औकर क्या चाहिए।
-हरि सिंह
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