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Home»देश-प्रदेश»Jaswant Singh: जगत में बार-बार नहीं जन्मते जसवंत सिंह जैसे नेता, कोई जन्मे तो बताना!
देश-प्रदेश 5 Mins Read

Jaswant Singh: जगत में बार-बार नहीं जन्मते जसवंत सिंह जैसे नेता, कोई जन्मे तो बताना!

Prime Time BharatBy Prime Time BharatJanuary 3, 2024No Comments
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JaswantSinghPrimeTimeBharat
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Jaswant Singh: राजनीति की दुनिया में जसवंत सिंह कोई प्रमोद महाजन या नरेंद्र मोदी नही थे, और न उनकी राजनीति में उनके अग्रज अटलजी, आडवाणीजी या भैरोंसिंह शेखावत वाली तात्कालिक तल्लीनता थी। लेकिन राजनीतिक संबंधों के उलझे हुए समीकरण सुलझाने की जो त्वरित तात्कालिकता उनमें थी, वही उनको किसी का विकल्प बनने की मजबूरी में नही फंसाती थी। जसवंत सिंह देश के नेता थे, और 1938 में आज ही के दिन 3 जनवरी को जन्मे थे। उनकी जन्म जयंती पर पेश है राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार का यह विशेष लेख –

भारत की वर्तमान राजनीति के सबसे बुद्धिजीवी और प्रखर राजनेता थे जसवंत सिंह। अटलजी के साथ वित्त, विदेश और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय इस भूतपूर्व सैनिक ने कोई यूं ही नहीं संभाल लिए थे। लेकिन राजनीति का दुर्भाग्य देखिए कि बीजेपी की स्थापना में जिनकी अहम भूमिका रही, जीवन भर बीजेपी में जिन्होंने औरों की उम्मीदवारियां निर्धारित की, उसी बीजेपी ने 2014 की मोदी लहर में उनके घोषित अंतिम चुनाव में भी टिकट काटने का दर्द दे दिया। फिर यह तो हद ही थी कि अटलजी, आडवाणीजी व बीजेपी के खिलाफ बकवास करनेवाले कांग्रेस के सोनाराम को उनकी जगह लड़ाया। निर्दलीय जसवंत चुनाव हारे, जीवन से भी हारे और राजनीति की गंदगी से भी। भले ही कुछ लोगों की आत्मा को जीते जी शांति मिल गई होगी, लेकिन समूचे देश को निर्विवाद रूप से जिन नेताओं पर गर्व और गौरव है, राजनीति के उस गरिमामयी सर्वोच्च शिखर पर जसवंत सिंह का नाम चमकीले अक्षरों में दमक रहा है।

JaswantSingh_PrimeTimeBharatजसवंत सिंह प्रभावशाली थे, शक्तिशाली भी और सामर्थ्यवान भी। वे आदमकद के आदमी थे और राजनीतिक कद के मामले में तो वे वैसे ही विराट व्यक्तित्व के राजनेता थे। असल में, व्यक्तित्व उनका अगर विराट नहीं होता, तो राजस्थान के सपाट मरूस्थल से निकलकर दार्जिलिंग पहुंचे, तो जिन पहाड़ों से उनका कभी कोई नाता नहीं रहा, वहां भी 2009 में लोगों ने उन्हें जिता कर संसद में भेजकर हिमालय सी उंचाई बख्शी। लेकिन 2014 में टिकट कटने की पतित राजनीति से उन्होंने मुंह मोड़ लिया, पार्टी ने भी नाता तोड़ दिया, तो फिर स्वास्थ्य ने भी उनका साथ छोड़ दिया और अंततः 27 सितंबर 2020 को उन्होंने संसार से ही विदाई ले ली।

दरअसल, समस्त संसार के राजनायिक क्षेत्रों में जसवंत सिंह को एक धुरंधर कूटनीतिक के रूप में जाना जाता है। दुनिया के दूसरे देशों में जसवंत सिंह की जो हैसियत रही, वह नटवर सिंह और प्रणव मुखर्जी जैसे विदेश मंत्रियों के मुकाबले ज्यादा बड़ी रही। फिर जसवंत सिंह के मुकाबले आज के विदेश मंत्री का नाम तो हमारे देश में ही कितने लोग जानते हैं, यह अपने आप में बड़ा सवाल है। याद कीजिए, क्या नाम है अपने वर्तमान विदेश मंत्री का, जल्दी से याद भी नहीं आएगा। फिर, विदेश मामलों में उनकी टक्कर का कूटनीतिक जानकार हमारे हिंदुस्तान में तो अब तक तो पैदा नहीं हुआ, और राजनीतिक कद नापना पड़ जाए तो यह सच्चाई है कि आज की बीजेपी में तो खैर जसवंत सिंह के मुकाबले नरेंद्र मोदी के अलावा कोई टिकता ही नहीं। राजस्थान के जसोल में 3 जनवरी 1938 को जन्मे जसवंत सिंह 1980 में पहली बार संसद में पहुंचे तो कुल 9 बार सांसद रहे। पांच बार राज्यसभा और 4 बार लोकसभा में रहे और रहे भले ही दिल्ली में, लेकिन दिल में उनके राजस्थान ही रहा।

JaswantSingh_PrimeTimeBharatदेश के दलों में, दिलों में और दुनिया के भारत विरोधी देशों में भी जसवंत सिंह का सम्मान उतना ही था, जितना अपने देश में। उनकी एक बड़ी योग्यता यह भी थी कि घोर हिंदुवादी बीजेपी के दिग्गज होने के बावजूद मुसलमान उनमें अपने नेता को देखता था। लेकिन यह बीजेपी का सनातन राजनीतिक दुर्भाग्य है या उसके जन्मदाताओं की किस्मत का दुखद दुर्योंग, कि जो लोग जो कभी उनके दरवाजे की तरफ देखते हुए भी डरते थे, वे ही आखिर के दिनों में उन्हें आंख दिखा रहे थे। फिर किस्मत की भी अपनी अलग नियती रही कि बौने लोगों को जब महान लोगों की किस्मत लिखने का अधिकार उधार में ही सही, मिल जाता हैं, तो वे कुछ ज्यादा ही क्रूर हो जाते हैं। राजनीति भले ही इसी का नाम होता होगा, लेकिन इतिहास उनको कभी माफ नहीं करता।

इसीलिए कह सकते है कि जसवंत सिंह के इस लोक से परलोक सिधारने के बाद भी उनकी गर्व, गौरव और गरिमा का मुकाबला करनेवाला आज इस देश में कोई नहीं है। जी हां कोई नहीं। क्योंकि आज के नेता सब कुछ अर्जित कर सकते हैं, लेकिन वह सहज सार्वजनिक स्वीकार्यता कहां से लाएंगे, जो जसवंत सिंह की असली पूंजी थी। इसीलिए यह स्वीकार करना ही होगा कि आज तो जसवंत सिंह के मुकाबले कोई और नेता देश में नहीं है, आगे कोई पैदा हो जाए, तो आपकी, हमारी और देश की किस्मत। फिर, राजस्थान के अब तक के सबसे बड़े नेता मोहनलाल सुखाड़िया व भैरोंसिंह शेखावत अब इस लोक में नहीं है, और कांग्रेस में जीते जी सबसे विराट हो चुके अशोक गहलोत राजनेता के रूप में छाए हुए हैं। इन्हीं तीनों की तरह दिग्गज राजनेता के रूप में जसवंत सिंह सबके दिलों में हमेशा रहेंगे। उनके गौरव का आंकलन सिर्फ इतने भर से कर लीजिए कि जसवंत सिंह जैसा राजनायिक सम्मान व राजनीतिक गरिमा पाने के लिए आज की बीजेपी के नेताओं को कुछ जनम और लेने पड़ेंगे। जसवंत सिंह जैसे लोग संसार में बार-बार नहीं जन्मते, फिर भी कोई और जन्मे तो बताना!

BJP Jaswant Singh Rajasthan
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