Air India Plane Crash Vijay Rupani: अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से 12 जून 2025 को दोपहर 1:39 बजे लंदन के गेट्विक हवाई अड्डे के लिए उड़ी एयर इंडिया (Air India) की उड़ान AI-171 गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी (Vijay Rupani) को संसार सागर से विदाई करके अपने साथ ले गई। 68 वर्षीय बीजेपी (BJP) नेता रूपाणी अपनी मृदुभाषी, शांत और स्थिर राजनीतिक शैली के लिए जाने जाते थे। रन वे छोड़ते ही विमान आग के गोले में तब्दील हो गया और इस उड़ान में सवार कुल 242 लोगों में से केवल 1 व्यक्ति बचा, रूपाणी सहित बाकी सभी काल के गाल में समा गए। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और गुजरात (Gujarat) के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी लंदन में रहने वाली अपनी बेटी राधिका रुपाणी को मिलने और पत्नी अंजली रुपाणी को वापस भारत लाने के लिए लंदन रवाना हुए थे। विमान में वे सीट नंबर 2-D पर बैठे थे, और 20 जून को एयर इंडिया की उड़ान संख्या AI-000 से उनकी वापसी का टिकट भी बुक था। लेकिन अब वे कबी नहीं लौटेंगे। अगर, सहज मौत हुई होती, तो लाखों लोग उनके अंतिम दर्शन को उमड़ते, लेकिन न तो अंतिम दर्शन, न अंतिम स्नान और न ही सहज अंतिम संस्कार। विजय रुपाणी जैसे सरल और सहज राजनेता को काल ऐसे अपने साथ ले जाएगा, कोई सोच भी नहीं सकता।

रुपाणी ने जो चाहा, वही उनसे जुड़ गया अंतिम पलों में
कहते हैं कि व्यक्ति के जीवन के अंत तक वे बहुत सारे तत्व सदा साथ चलते रहते हैं, फिर चाहे वे उसका आदर्श हो, जीवन का ध्येय हो, पसंद हो, काम हो, जगहें हों, या फिर हो दृष्टिकोण। विजय रूपाणी के जीवन का सच भी यही रहा। वे लंदन में रहने वाली अपनी चार्टर्ड अकाउंटेंट पुत्री राधिका रुपाणी से बेहद प्यार करते थे और उसी से मिलने लंदन जा रहे थे, तो लंदन जाते जाते ही स्वर्ग सिधार गए। अहमदाबाद के विकास में उनका बड़ा योगदान रहा, तो अहमदाबाद से ही उन्होंने अंतिम उड़ान भरी। सरदार पटेल को वे अपना राजनीतिक आदर्श मानते थे, तो सरदार वल्लभ भाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से ही वे आखरी बार उड़े। गुजरात में हवाईअड्डों और विमान सेवाओं के विकास में उनका खासा योगदान रहा, तो अंतिम बार हवाई अड्डा और विमान ही उनके जीवन के हिस्से में रहे। यही नहीं, अहमदाबाद के जिस सिविल हॉस्पिटल के विकास और स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार में विजय रुपाणी का योगदान रहा, उसी के परिसर में बने हॉस्टल की इमारत पर उनका उड़ता विमान गिरा।

सदा सादगी, सरलता, समर्पण की मिसाल रहे रुपाणी
म्यांमार के रंगून में 2 अगस्त 1956 को जन्मे विजय रूपाणी का परिवार बचपन में रंगूल से राजकोट (गुजरात) आ गया था। उनकी शिक्षा राजकोट में हुई, जहां उन्होंने बीए, एलएलबी की डिग्री हासिल की। राजकोट में 1987 में नगरपालिका पार्षद चुने जाने से पहले उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में स्वयंसेवक और बीजेपी में कार्यकर्ता के रूप में काम किया। वह 1996 से 1997 तक मेयर भी रहे। वे 1998 में गुजरात में भाजपा के महासचिव बने और यह वह पद था जिस पर उन्होंने चार बार कार्य किया। उन्होंने पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता के रूप में भी कार्य किया। रूपाणी 2006 में गुजरात पर्यटन निगम का अध्यक्ष भी रहे। इस समय गुजरात में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बॉलीवुड स्टार अमिताभ बच्चन को ब्रांड एंबेसडर बनाया। वे 2006 से 2012 तक राज्य सभा के सदस्य रहे। रूपाणी ने अपना पहला विधानसभा चुनाव 2014 में लड़ा था, जिसमें वे राजकोट पश्चिम से विजयी हुए थे। फिर आनंदीबेन पटेल की गुजरात कैबिनेट में परिवहन, जल आपूर्ति, श्रम और रोजगार मंत्री बने। उन्होंने फरवरी से अगस्त 2016 तक कुछ समय के लिए गुजरात भाजपा के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। 2016 में, ही वे आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे के बाद, गुजरात के मुख्यमंत्री बने। सन 2016 से 2021 तक उनके मुख्यमंत्री काल में गुजरात में औद्योगिक विकास, बुनियादी ढांचे, और निवेश को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान रहा। वे प्रदानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के गृह मंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता अमित शाह के करीबी माने जाते थे। विमान हादसे में रुपाणी की मृत्यु न केवल उनके परिवारजनों, रिश्तेदारों और साथियों व राजनीतिक सहयोगियों के लिए, बल्कि पूरे गुजरात के लिए बेहद दुखद है। रूपाणी को राजनीतिक जीवन में सादगी, सरलता, समर्पण, और सहजता सहित साफगोई के लिए हमेशा याद किया जाएगा। दुनिया से जाते तो सब है, लेकिन एक बेहद सरल राजनेता विजय रुपाणी का संसार से ऐसे विदाई लेना किसी को नहीं सुहाया।

रूपाणी से पहले सीएम मेहता की भी हवाई हादसे में जान गई
विजय रुपाणी की हवाई हादसे में मृत्यु ने गुजरात के इतिहास में एक और दुखद अध्याय जोड़ दिय़ा है, क्योंकि वे प्रदेश के दूसरे राजनेता है, जो मुख्यमंत्री पद पर रहे हैं, जिनकी मृत्यु 12 जून 2025 को हवाई हादसे में हुई। इससे पहले 19 सितंबर 1965 को गुजरात से मुख्यमंत्री बलवंतराय मेहता की भी हवाई हादसे में ही मृत्यु हुई थी। बात भारत पाकिस्तान के बीच 1965 की जंग की है, जिसमें बलवंतराय मेहता भी शहीद हो गए थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री बलवंत राय मेहता के बीचक्राफ्ट हेलीकॉप्टर पर पाकिस्तानी एयरफोर्स ने उस समय हमला किया जब वह एक रैली में भाग लेकर कच्छ की तरफ निकले थे। इस हमले में मुख्यमंत्री मेहता समेत उनकी पत्नी, 3 सहयोगी एवं 1 पत्रकार एवं दो क्रू सदस्यों सहित सहित कुल 8 लोगों की जान चली गई थी। पाकिस्तान से जारी युद्ध के बीच बलवंत राय रैली में भारतीय सेना के जवानों का हौसला बढ़ाने निकले थे।
-राकेश दुबे
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