Rahul Gandhi: कांग्रेस नेता राहुल गांधी का ‘आजतक’ (Aaj Tak) की महिला पत्रकार मौसमी सिंह (Mausami Singh)के साथ सार्वजनिक बर्ताव देश के मीडिया की चर्चा में हैं। राहुल ने मौसमी के एक सवाल पर उनको एक टीशर्ट लाकर देने की बात कही और उस पर बीजेपी का बिल्ला लगाने की भी बात कही। राहुल गांधी ने यह तब कहा, जब मौसमी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल से पूछा कि जेपीसी की मांग करने के लिए संसद के ठप होने से देश की जनता के पैसे की बरबादी होती है, तो राहुल उखड़ गए और मौसमी को बीजेपी की लाइन पर चलनेवाली बताते हुए एक टीशर्ट पहनकर उस पर बीजेपी (BJP) का बिल्ला लगवाने की सलाह दे डाली। लेकिन मौसमी रुकी नहीं। उन्होंने कहा कि राहुलजी सवाल आपको पसंद नहीं आया, वो अलग बात है, लेकिन आपको इस तरह से उंगली उठाने की जरूरत नहीं है। राहुल ने बीच में टोकते हुए कहा कि सवाल मुझे बहुत पसंद आ रहा है, बहुत अच्छा लग रहा है, बोलिए…! तो मौसमी ने कांग्रेस के मीडिया सेल के मुखिया जयराम रमेश (Jairam Ramesh) की ओर मुखातिब होते हुए कहा कि आपको भी बोलना चाहिए, ये गलत बात है। राहुल गांधी जब बीच में बोल रहे थे, तो साफ लग रहा था कि वे चिढ़ते हुए कुछ कह रहे हैं। हालांकि यह कोई पहली बार नहीं है, राहुल गांधी इससे पहले बीबीसी (BBC) के वरिष्ठ पत्रकार सलमान रावी के साथ भी ऐसी ही बदसलूकी कर चुके हैं। वैसे भी देश भर के मीडिया संस्थानों के प्रति कांग्रेस और राहुल गांधी के गुस्से की काफी चर्चा होती रहती है। लेकिन मौसमी सिंह से राहुल की नौंक – झोंक ने राहुल गांधी के राजनीतिक आचरण पर सवाल खडे करने शुरू कर दिए हैं। मोसमी सिंह को एक बेहद सक्रिय, सिलझी हुई दबंग व जुझारू पत्रकार के रूप में जाना जाता है। देश के कई दुर्गम अवसरों सहित रुस के युद्ध में भीू वह रिपोर्टिंग कर चुकी हैं। कांग्रेस के मामलों पर उनकी गजब पकड़ है।
सालों से कांग्रेस कवर कर रही है मौसमी
देश के कई वरिष्ठ पत्रकारों, लेखकों व चिंतकों ने राहुल गांधी के मौसमी सिंह के साथ किए गए बर्ताव पर तीखी प्रतिक्रीया व्यक्त की है। सोशल मीडिया पर खास तौर से ‘एक्स’ पर ज्यादातर लोग अपना मत व्यक्त करते हुए राहुल गांधी के बर्ताव पर खीझ व्यक्त कर रहे हैं। खास बात यह है कि मौंसमी सिंह वो पत्रकार हैं, जो बीते कई सालों से कांग्रेस कवर कर रही हैं और राहुल गांधी की राजनीतिक गंभीरता के बखान में हाल ही में उन्होंने एक लेख भी लिखा है। फिर बी राहुल की बदसलूकी का विरोध वे पत्रकार कर रहे हैं, जो कांग्रेस के करीबी देखे जाते रहे हैं। दिग्गज पत्रकार राजदीप सरदेसाई, अजीत अंजुम, वरिष्ठ टीवी पत्रकार स्मिता शर्मा, राजनीति के जनकार त्रिभुवन, वरिष्ठ पत्रकार अरविंद चोटिया, राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार, जाने माने मल्टिमीडिया पत्रकार अतुल चौरसिया, विचारक मनदीप पूनिया, वरिष्ठ पत्रकार श्रीपाल शक्तावत, लेखिका अनुराधा पटेल, स्वाति मिश्रा आदि ने मौसमी सिंह के साथ राहुल गांधी के बर्ताव पर अपने विचारों में इस घटना पर तरह तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त की है। मौसमी सिंह के साथ राहुल गांधी के उस व्यवहार का वास्तविक कारण क्या है, कोई नहीं जानता।
हमें राहुल के सर्टिफिकेट की ज़रूरत नहीं
राजदीप सरदेसाई ने लिखा कि बहुत दुख हुआ कि राहुल गांधी ने ये दावा किया कि मौसमी सिंह ने ‘बीजेपी का बैज टीशर्ट’ सिर्फ़ इसलिए पहनने की सलाह दी, क्योंकि उन्होंने उनसे एक बिल्कुल जायज़ सवाल पूछा था। मैं मौसमी सिंह को लंबे समय से जानता हूं और वह एक निडर पत्रकार हैं जो ईमानदारी से रिपोर्ट करती हैं। नेताओं को उन पत्रकारों को निशाना बनाना बंद करना चाहिए जो बस अपना काम कर रहे हैं। श्री गांधी किसी सवाल का जवाब न देने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों को ‘पार्टी एजेंट’ बताकर उन पर हमला करने का यह रवैया बंद होना चाहिए। हाँ, ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने अपनी बुनियादी ईमानदारी को छोड़ दिया है, हाँ विपक्ष के साथ अक्सर गलत व्यवहार किया जाता है, लेकिन हर पत्रकार को नाराज़गी में मारना बंद करें। जैसे ‘सब नेता’ चोर नहीं होते, वैसे ही हर पत्रकार समझौतावादी नहीं होता, और इसके लिए हमें आपके सर्टिफिकेट की भी कोई ज़रूरत नहीं है। मौसमी के साथ हम पूरी तरह से एकजुट हैं।
राहुल पहले पत्रकारों पर समझ विकसित करे
वरिष्ठ पत्रकार अजित अंजुम ने सोशल मीडिया साइय एक्स पर लिखा कि मैं मौसमी सिंह को ऐसे रिपोर्टर के तौर पर जानता हूं, जो चैनल में काम करते हुए भी गोदी मीडिया का हिस्सा नहीं बनी है। वाजिब सवाल करती है और मोदी की सत्ता के सामने बिना झुके अपनी आवाज़ बुलंद रखती है। राहुल गांधी को ऐसे रिपोर्टर के सवाल का जवाब देना चाहिए, न कि उसे बीजेपी से जोड़कर मखौल उड़ाना चाहिए। राहुल गांधी पहले भी कुछ पत्रकारों के साथ ऐसे पेश आ चुके हैं। वरिष्ठ पत्रकार अजित अंजुम ने राहुल को सलाह दी है कि उन्हें सही पत्रकारों के बारे में समझदारी विकसित करनी चाहिए। न्यूजलॉड्री डॉट कॉम के प्रबंध संपादक अतुल चौरसिया कहते हैं कि राहुल गांधी या किसी भी विपक्षी नेता का यह गुस्सा मीडिया घरानों के मालिकों और एंकरों पर केंद्रित होना चाहिए। दरबारी मीडिया इकोसिस्टम में रिपोर्टर सबसे कम भ्रष्ट लोग हैं।
राहुल गांधी और मोदी दोनों की समस्या एक
वरिष्ठ पत्रकार त्रिभुवन ने लिखा कि भारतीय राजनेताओं की यह पुरानी समस्या है कि उनसे आप जब भी प्रश्न पूछो तो वे पूछने वाले को सीधे-सीधे सामने वाली पार्टी से जोड़ देते हैं। जो समस्या राहुल गांधी के साथ है, वही समस्या नरेंद्र मोदी के साथ है। मौसमी सिंह के सवाल पर राहुल गांधी का यह व्यवहार कुछ दिन पहले के ही उस प्रसंग से कुछ खास अलग नहीं है, जिसमें नरेंद्र मोदी ऐसे ही सवाल पर दो पत्रकारों ये जवाब में कह रहे थे कि आपको विपक्ष कुछ भी कचरा थमा देता है और आप उठाकर हमारे सामने ले आते हो। त्रिभुवन कहते हैं कि राहुल गांधी ने ऐसा पहली बार नहीं किया है। इससे पहले वे एक सामान्य प्रश्न पर बीबीसी के एक पुराने पत्रकार के साथ ऐसा ही कर चुके हैं। भारतीय राजनेताओं का यह आचरण अलोकतांत्रिक है और राहुल गांधी का एक प्रोफेशनल महिला पत्रकार को इस तरह लांछित करना ग़लत है।
राहुल गांधी अपना राजनीतिक आचरण सुधारे
राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार कहते हैं कि मौसमी सिंह की प्रतिभा, पत्रकारीय आचरण और समर्पण पर कोई शक नहीं। वे कांग्रेस कवर करती हैं और सत्ता से भी बेझिझक सवाल करती है। मगर राहुल गांधी सवाल को समझे बिना ही उनका मज़ाक उड़ा रहे हैं। परिहार कहते हैं कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष को कम से कम अब तो राजनीतिक आचरण सीख लेना चाहिए। उनका कहना है कि राहुल गांधी को इस तरह से मौसमी के सवाल पर उखड़ना नहीं चाहिए। राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार अरविंद चोटिया का कहना है कि राहुल गांधी किसी को नहीं बख्शते हैं। अब तक जिन-जिन को लताड़ा है, संयोग से सभी अच्छे पत्रकार रहे हैं और उनके पास अच्छे सवाल भी रहे हैं, और ऊपर से सभी कांग्रेस के शुभचिंतक भी रहे हैं। राहुल गांधी से गोदी मीडिया ने तो कभी ऐसे सवाल किए ही नहीं, क्योंकि वह तो सवाल करना ही भूल गया है। जानी मानी टीवी पत्रकार स्मिता शर्मा का कहना है कि मौसमी सिंह एक जोशीली पत्रकार हैं, जो नेटवर्क के दबावों की परवाह किए बिना हमेशा अपनी बात पर अड़ी रहती हैं। अगर राहुल गांधी को कोई प्रश्न पसंद नहीं आता, तो वे उसका उत्तर न दें। लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि राहुल मीडिया के बड़े हिस्से को लंबे समय से अपमानित नाम से पुकारते रहे हैं। लेकिन अगर उच्च मानकों की आकांक्षा रखते हैं, तो राहुल गांधी को व्यक्तिगत तौर पर बचना चाहिए।
राहुल का यह व्यवहार अच्छी बात नहीं
राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार श्रीपाल शक्तावत लिखते हैं कि मौसमी सिंह को कामकाज के लिहाज से जानता हूं, वह विशुद्ध पत्रकार हैं, किसी खेमे की चाटुकार नहीं। एक पत्रकार के साथ राहुल गांधी का यह व्यवहार अच्छी बात नहीं। मौसमी सिंह तो एक बेहतरीन पत्रकार बताते हुए पत्रकार – चिंतक मनदीप पूनिया कहते हैं कि राहुल गांदी को मौसमी सिंह पर तंज कसने की बजाय उनके सवाल का जवाब देना चाहिए था। लोग कह रहे हैं कि मौसमी सिंह के साथ इतने पत्रकार क्यों खड़े हो रहे, कारण साफ है कि मौसमी सिंह अपना काम ईमानदारी से करती हैं और पत्रकारों पर हमलों, मानवाधिकारों के हनन और जुल्म के खिलाफ बोलने का नैतिक साहस रखती हैं। अनुराधा पटेल कहती है कि राहुल गांधी के सलाहकारों को उन्हें बताना चाहिए कि कौन से पत्रकार कांग्रेस को कवर करते है और गोदी मीडिया की श्रेणी में नहीं आते है। उनका कहना है कि मौसमी सिंह हमेशा मुद्दों पर सवाल करती है और कांग्रेस के बारे में कभी गलत नहीं दिखाती है। मौसमी पर इस तरह से भड़कना जायज़ नहीं है। स्वतंत्र विचारक स्वाति मिश्रा का कहना है कि मौसमी सिंह के सवाल पर राहुल गांधी का ‘ये बीजेपी की लाइन है, उनके सिंबल वाली टीशर्ट पहन लो’ कह देना मुझे नहीं जंचा। आज ही कुछ घंटे पहले आज तक पर हिंदी और इंडिया टुडे पर इंग्लिश में मौसमी का एक आर्टिकल छपा है, जिसमें उन्होंने राहुल गांधी की मेहनत की काफी तारीफ की है। उस आर्टिकल को ट्वीट करते हुए मौसमी ने उसी आर्टिकल में से एक पैरा कोट किया, उसमें भी राहुल गांधी की तारीफ ही है।
-राकेश दुबे (वरिष्ठ पत्रकार)