Vivek Oberoi: विवेक ओबरॉय को जो लोग अभिनेता के तौर पर जानते हैं, उनको यह भी जान लेना चाहिए कि विवेक अब भी बॉलीवुड (Bollywood) में हीरो तो हैं ही, डायमंड (Diamond) के बिजनेस (Business) में भी हैं, जींस के इंटरनेशनल ब्रांड के मालिक भी हैं, कार रिपेयर कंपनी भी चलाते हैं और एजुकेशन (Education) के कारोबार में भी हैं। महज 16 साल की उम्र से ही विवेक ने स्टॉक मार्केट (Stock Market) में निवेश करना शुरू किया था और आज वे दुबई में गगनचुंबी इमारतों बनानेवाले बड़े डेवलपर्स (Developer) में भी गिने जाते हैं। फिल्म (Film) में नाम कमाने के साथ ही कुछ अलग किस्म के बिजनेस में भी जो फिल्मी सितारे शानदार सफल रहे हैं, उनमें विवेक ओबेरॉय का नाम सबसे ऊपर है। फिल्मों में काम करते हुए बॉलीवुड में शिखर की चोटी पर भले ही वे नहीं पहुंचे हो, और नंबर वन स्टार की तरह फिल्मों से खूब पैसा भी न कमाया हो, लेकिन आज वे रियल एस्टेट (Real Estate) सेक्टर के बहुत बड़े बिजनेसमैन हैं, इतने बड़े कि लोग उनके जितना बड़ा बनने के सपने देखते हैं। अपनी सफलता के बारे में विवेक कहते हैं कि जिंदगी में उन्होंने प्लान-बी हमेशा तैयार रखा, ताकि एक प्लान फेल हो जाए, तो दूसरे के सहारे आगे बढ़ा जा सके।
विवेक 1200 के और कंपनी 3400 करोड़ की मालिक
हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार उनकी कुल निजी संपत्ति 1200 करोड़ रुपये हो गई है और उनकी कंपनी की नेटवर्थ लगभग 3400 करोड़ रुपये है। विवेक ओबेरॉय अब दुबई में रहते हैं और वहीं से अपनी रियल एस्टेट कंपनी चलाते हैं। वे दुबई के बड़े डेवलपर्स में गिने जाते हैं तथा उनकी लग्जरी रियल एस्टेट कंपनी करीब 7 बिलियन डॉलर की प्रॉपर्टी विकसित कर रही है और जैसा कि उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी पर कोई लोन भी नहीं है। विवेक को उद्यमिता का यह गुण उनके दादा और पिता से वंशानुगत मिला है। आजादी से पहले उनके दादा पाकिस्तान में बड़े रियल एस्टेट उद्यमी थे और भारत आने पर हैदराबाद में उनके पिता सुरेश ओबरॉय भी कई सारे मेडिकल स्टोर्स की चेन उस जमाने में खोलने में कामयाब रहे। विवेक की यूएई स्थित रियल एस्टेट कंपनी का नाम बीएनडब्ल्यू रियल एस्टेट डेवलपमेंट्स है, जो दुबई में बड़ी इमारतें बनाती है। इसके साथ ही विवेक ने अपना खुद को भी एक ब्रांड के रूप में स्थापित किया, इससे बहुत फायदा हुआ और अब उनकी कंपनी की नेटवर्थ लगभग 3400 करोड़ रुपये है।

दुबई और भारत में दोनों जगह सक्रिय हैं विवेक
दुबई क्यों विवेक ओबेरॉय, कब गए, और वहां क्या कर रहे हैं, इस बारे में एक इंटरव्यू में विवेक ने विस्तार से बताया कि वे पहली बार कोविड-19 के वक्त कुछ समय के लिए देश से बाहर चले गए थे, लेकिन जल्द ही उनके परिवार ने हमेशा के लिए दुबई में ही रहने का फैसला कर लिया। उन्होंने बताया कि उनकी फैमिली ने फैसला लिया कि वो लोग दुबई में ही रहेंगे। विवेक ने दुबई को अपना दूसरा घर बताया है। उन्होंने कहा कि मेरा कोविड के दौरान दुबई जाना एक शॉर्ट टर्म मूव था और मुझे ये अनुभव बहुत पसंद आया। उन्होंने कहा कि उन्हें वहां अच्छा लगता है, हम यहां रहना चाहेंगे। ये घर के इतने करीब है कि हमें ऐसा नहीं लगता कि हम दूर हैं। वे वीकेंड के लिए मुंबई आते हैं, हर छुट्टी पर भी भारत आते रहते हैं और अब धीरे-धीरे, पिछले 4 सालों में दुबई उनको घर जैसा लगने लगा है। विवेक ओबेरॉय ने कहा कि जिंदगी में हर तरह के दिन आते हैं, लेकिन जिंदगी में प्लान-बी अगर तैयार हो, तो कोई तकलीफ नहीं आती। बॉलीवुड में ऐसे बहुत से उनके साथी हैं, जो उनके मददगार रहे हैं। अक्षय कुमार, ऋतिक रोशन और शाहरुख खान जैसे बड़े स्टार का विवेक आभार व्यक्त करते हैं, तथा कहते हैं कि उन्होंने हमेशा हिम्मत दी, प्यार दिया तथा हौसला बंधाया।
कमाई के लिए कहां कहां, क्या क्या करते हैं विवेक
दुबई के सकारात्मक व्यापारिक माहौल के बारे में भी बात करते हुए विवेक ओबेरॉय ने कहा कि दुबई में रहने की हर किसी को पूरी आजादी है। बस लोकल कानून का सम्मान करें, स्थानीय रीति-रिवाजों और संस्कृति का सम्मान करें, स्थानीय लोगों का सम्मान करें तो किसी को कोई समस्या नहीं होगी। ये एक आरामदायक जगह है जहां आप फल-फूल सकते हैं, विकसित हो सकते हैं। एक खास बातचीत में, विवेक ने बताया कि यूएई में उनकी लग्जरी रियल एस्टेट कंपनी करीब 7 बिलियन डॉलर की संपत्ति विकसित कर रही है और उन्होंने बताया कि ये एक जीरो-डेट (शून्य-ऋण) कंपनी है। उसी बातचीत में, विवेक ने खुलासा किया कि उन्होंने लैब ग्रोन डायमंड के बिजनेस, सोलिटेरियो में निवेश किया है और बताया कि कंपनी ने पिछले वित्तीय वर्ष में 95-100 करोड़ रुपये कमाए हैं। उन्होंने 30 मिलियन पाउंड मूल्य के एक प्रीमियम जिन ब्रांड में भी निवेश किया है, जहां प्रीमियम स्कॉटिश क्राफ्ट जींस कंपनी का लगभग 21 प्रतिशत हिस्सा उनके पास है। विवेक स्वर्णिम यूनिवर्सिटी के सह-संस्थापक भी हैं और वृंदावन में एक स्कूल भी चलाते हैं। विदेश में पढ़ाई के लिए छात्रों को लोन देने वाली कंपनी के फाउंडर भी हैं।

दादा भी आजादी से पहले थे बहुत बड़े बिल्डर
उल्लेखनीय है कि विवेक की तरह ही ज्यादातर लोग उनके पिता सुरेश ओबेरॉय को भी केवल एक अभिनेता के तौर पर ही जानते हैं। लेकिन वास्तव में सुरेश ओबेरॉय फिल्मों में आने से पहले हैदराबाद में दवा कंपनी चलाने का अपना पैतृक उद्यम सम्हाल रहे थे। देश की आजादी के वक्त सुरेश ओबेरॉय केवल 1 साल के थे और भारत – पाकिस्तान के बंटवारे में उनके पिता को मजबूरी में पाकिस्तान छोड़ना पड़ा था, जबकि उस जमाने में वे पाकिस्तान में बहुत बड़े रियल एस्टेट व्य्वसायी थे, करोड़ों का कारोबार करते थे। विवेक के पिता सुरेश ओबेरॉय का जन्म 17 दिसंबर 1946 को क्वेटा में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। सुरेश ओबेरॉय और उनके परिवार ने भारत आने के बाद खानाबदोश जिंदगी जी, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। सिरेश ओबेरॉय बतेते हैं कि गुजारा मुश्किल हुआ तो पिताजी ने मुसलमानों जैसे कपड़े पहने और उन्हीं के जैसी वेश-भूषा रखकर किसी तरह चुपके से पाकिस्तान जाने की हिम्मत दिखाई। वहां उन्होंने चुपके चुपके अपनी प्रॉपर्टी और बिजनेस दूसरों को बेचा और जो भी थोड़े बहुत पैसे मिले, उन्हें लेकर भारत आए, तथा उन पैसों से पिताजी ने परिवार को हैदराबाद में बसाया और उस जमाने में मेडिकल स्टोर्स के कई आउटलेट्स की एक खोलकर अपने व्यावसायिक दिमाग का परिचय दिया।
फिल्मी दुनिया से थोड़ी सी दूरी, मगर बड़े बिजनेसमैन
विवेक के पिता सुरेश ओबेरॉय ने सन 1977 में आई फिल्म ‘जीवन मुक्ति’ से भारतीय सिनेमा जगत में किया और लगभग 200 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। उसी तरह से विवेक ने सन 2002 में रामगोपाल वर्मा के निर्देश में बनी कंपनी फिल्म से भारतीय सिनेमा जगत में धमाकेदार एंट्री की, और पहली ही फिल्म से वे सीधे सुपरस्टार बन गए। फिर तो, विवेक ने साथिया, रोड़, डरना मना है, युवा, क्यों हो गया ना, दीवाने हुए पागल, काल, एमकारा, कुर्बान, प्रिंस, ग्रांड मस्ती, जिला गाजियाबाद, पीएम नरेंदेर मोदी जैसी कई फिल्मों में काम किया। मगर 2015 से वे फिल्मी दुनिया से थोड़ा सा दूर हो गए, तो आज वे अभिनेता होने के साथ-साथ एक बड़े बिजनेसमैन भी हैं। विवेक ने कहा कि फिल्मों में वे सदा काम करते रहना चाहते हैं, लेकिन अब उनके पास और भी काम है। वैसे देखा जाए, तो विवेक ओबेरॉय वास्तविक रूप से एक व्यवसायी परिवार से ही आते हैं। व्यापार उनके खून में है तथा कमाई कैसे निकाली जाती है, यह उन्होंने उनके पिता सुरेश ओबेरॉय तथा दादा से सीखा है। इसीलिए विवेक ओबेरॉय एक अभिनेता होने के साथ-साथ एक सफल व्यवसायी भी हैं।
-साक्षी त्रिपाठी
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