India Pakistan War: पाकिस्तान ने संघर्ष विराम के 3 घंटे में ही भारत पर फिर हमले करके सबूत दे दिए कि वह भरोसे के लायक नहीं है। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की संघर्ष विराम की घोषणा के बाद वही हुआ, जिसकी आशंका थी। मध्यस्थता के बाद 10 मई की दोपहर बाद 3.30 बजे ट्रंप की घोषणा के साथ ही लाखों भारतीय सोशल मीडिया पर चीख – चीख कर कह रहे थे कि पाकिस्तान पर भरोसा करना बेकार है, फिर भी भरोसा किया, लेकिन पाकिस्तान (Pakistan) पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता, ये खुद पाकिस्तान ने साबित कर दिया है। भारत का सख्त रुख और आतंकी हमलों को युद्ध की कार्रवाई मानने की घोषणा यह संकेत देती है कि भविष्य में हम और आक्रामक प्रतिक्रिया दे सकते हैं।

संघर्षविराम का उल्लंघन पाकिस्तानी विश्वसघात
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 10 मई 2025 को 3.30 बजे सहमति बनने के बाद संघर्ष विराम की घोषणा करते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान ने अमेरिकी मध्यस्थता के बाद शाम 5 बजे से तत्काल और पूर्ण संघर्षविराम पर सहमति जताई है। लेकिन कुछ ही घंटों बाद (लगभग चार घंटे के भीतर), पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर, राजस्थान व गुजरात तक ड्रोन हमले किए, और तोपखाने से गोलाबारी की। हालांकि, इन हमलों को भारतीय सेना ने विफल कर दिया, और किसी के हताहत होने की खबर नहीं आई। लेकिन इन घटनाओं ने सोशल मीडिया पर व्यापक प्रतिक्रिया हुई, जहां कई भारतीयों ने पाकिस्तान की मंशा पर सवाल उठाए और उसे अविश्वसनीय बताया। सोशल मीडिया पर लाखों भारतीयों ने ट्रंप की घोषणा के बाद चेतावनी दी थी कि पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता। राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार त्रिभुवन ने एक्स पर लिखा – भारतीय सेना का पराक्रम अतुलनीय है। युद्ध में उसे ले जाने के बाद युद्ध कब बंद होगा, यह तीनों सेनाओं के प्रमुखों पर निर्भर होना चाहिए, न कि राजनीतिक नेतृत्व पर। अब तक के समस्त युद्धों की अंतिम परिणति हमें यही सोचने को बाध्य करती है। राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार कहते हैं कि भारतीयों की यह भावना हाल के वर्षों में भारत – पाकिस्तान के बीच बार-बार टूटे विश्वास और आतंकवाद से जुड़े मुद्दों से उपजी है। सोशल मीडिया पर सक्रिय परिहार ने एक्स पर लिखा – पाकिस्तान मुर्दाबाद, सिर्फ 3 घंटे में तोड़ा सीजफायर। कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे पाकिस्तान की विश्वासघात की प्रवृत्ति के रूप में देखा, और ज्यादातर भारतीयों ने इसे कुत्ते की दुम जैसी कहावतों से जोड़ा।
अमेरिकी मध्यस्थता और ट्रंप की भूमिका पर सवाल
हालांकि, संघर्षविराम के तुरंत बाद हुए उल्लंघन ने अमेरिकी मध्यस्थता की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए। कुछ भारतीय सोशल मीडिया पोस्ट में इसे अमेरिका के लिए “बेइज्जती” के रूप में देखा गया। राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार अरविंद चोटिया ने कहा कि दुनिया के सबसे ताकतवर पद पर बैठे डोनाल्ड ट्रंप ने भी क्या कमाल की फजीहत करवाई है। उन्होंने कहा कि भारत ने संघर्षविराम के बाद सख्त रुख अपनाकर ठीक किया है। वरिष्ठ पत्रकार चोटिया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर व्यंग्य में लिखा – डोनाल्ड ट्रंप ने फोन स्विच ऑफ कर दिया है। उधर, विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भविष्य में किसी भी आतंकी हमले को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा, और इसका जवाब उसी तरह दिया जाएगा। भारतीय सेना ने पाकिस्तान के हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया, और सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी गई। राजनीतिक विश्लेषक एडवोकेट संदीप शुक्ला कहते हैं कि ट्रंप की मध्यस्थता को शुरू में एक सकारात्मक कदम माना गया, लेकिन पाकिस्तान द्वारा उसके त्वरित उल्लंघन ने इसके प्रभाव को कमजोर कर दिया। शुक्ला ने कहा कि यह हाल दर्शाता है कि बाहरी मध्यस्थता के बावजूद, भारत-पाकिस्तान संबंधों में स्थायी शांति के लिए गहरे मुद्दों को हल करना आवश्यक है।

पाकिस्तान की हरकतों से अविश्वसनीयता बरकरार
पाकिस्तान द्वारा संघर्षविराम के कुछ घंटों में ही हमले करना दोनों देशों के बीच गहरे अविश्वास को दर्शाता है। यह घटना पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल 2025) और भारत के ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हमलों के बाद बढ़े तनाव का हिस्सा है। भारतीय सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं की प्रतिक्रियाएँ जनता के गुस्से और निराशा को दर्शाती हैं। वरिष्ठ पत्रकार राकेश दुबे कहते हैं कि संघर्षविराम के उल्लंघन की यह घटना दोनों देशों के बीच गहरे अविश्वास और तनाव को उजागर करती है। दुबे कहते हैं कि भारत ने इस उल्लंघन का कड़ा जवाब दिया और भविष्य के लिए सख्त नीति अपनाई है। दैनिक भास्कर के मुंबई संपादक विजय सिंह कौशिक कहते है कि भारतीयों की यह भावना ऐतिहासिक तनावों, खासकर कश्मीर और आतंकवाद से जुड़े मुद्दों से प्रभावित है। विजय सिंह कौशिक का कहना है कि पाकिस्तान द्वारा संघर्षविराम का उल्लंघन करने की घटना ने सोशल मीडिया पर व्यक्त जनभावना को सही साबित किया, जिसमें कहा गया था कि पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता। नवभारत टाइम्स के राजनीतिक संपादक राजकुमार सिंह कहते हैं कि ट्रंप की मध्यस्थता के बावजूद, पाकिस्तान द्वारा संघर्ष विराम को न मानकर लगातार भारत पर हमले करने से यह स्पष्ट है कि स्थायी शांति के लिए कश्मीर और आतंकवाद जैसे मूल मुद्दों पर गंभीर बातचीत आवश्यक है। बहरहाल, सशस्त्र बल स्थिति पर सीमा पर कड़ी निगरानी रख रहे हैं। सेना को अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ-साथ नियंत्रण रेखा पर सीमा उल्लंघन की किसी भी घटना से सख्ती से निपटने के निर्देश हैं।
-आकांक्षा कुमारी
यह भी पढ़ेः Operation Sindoor: पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब, मगर सीमा पर सांसत बरकरार
इसे भी पढ़ेः India Pakistan War: राजस्थान को व्यापारिक नुकसान की संभावना, पर्यटन भी प्रभावित