Barkha Madan Bollywood: सिनेमा के संसार की चमकती, दमकती और ग्लैमर बिखेरती बरखा मदान (Barkha Madan) को आप भूल गए होंगे। वैसे, सवाल यह भी तो है कि याद भी क्यूं रखें। सिनेमा के संसार में तो कई लोग आते रहे हैं, जाते रहे हैं। फिर, किस किस को कैसे याद रखें, यह ही जब समझ में नहीं आता, तो एक बड़ा सवाल यह भी तो है कि क्यूं याद रखें। जब सिनेमावाले अपना काम करने आते हैं, कमाई करने आते हैं, और काम करके कमाई निकाल कर निकल भी जाते हैं, तो फिर वैसे भी इस जिंदगी में किसके पास इतना वक्त है कि कोई किसी को याद भी रखे। सो बॉलीवुड (Bollywood) अभिनेत्री बरखा मदान याद हो ना हो, आपको, हमको या किसी को भी क्या फर्क पड़ता है। मगर, कोई हरी भरी लहलहाती जिंदगी का अफसाना लिखकर अचानक बंजर जमीन पर बसेरा बसाने निकल पड़े, तो उसे याद करना जरूरी हो जाता है। बरखा मदान को आज हम इसीलिए याद कर रहे हैं। सुपरहिट फिल्म खिलाड़ियों का खिलाड़ी से हीरोइन के रूप में सिनेमा के संसार में अपनी धमाकेदार शुरुआत करने के बाद सीधे सात साल बाद भूत फिल्म में देखी गईं बरखा मदान बाद के दिनों में निर्माता बनकर सोच लो और सुरखाब प्रस्तुत करने वाली शानदार – जानदार अभिनेत्री के बारे में बरसों बाद खबर आई कि वह संन्यास लेकर ग्याल्टेन सैमटेन नाम से साध्वी का जीवन बिता रही है।
Barkha Madan Bollywood के गुंजल सेे यू टर्न दे गई जिंदगी को
बरखा मदान की जिंदगी आज हर किसी के लिए पहेली है। मगर, बरखा की जिंदगी के समझना होतो कुछ ऐसे समझना होगा कि जिंदगी इंसान को हमेशा उस रास्ते पर ले जाती है, जिस रास्ते के लिए वह लिए बना ही नहीं होता। मगर, कई बार जिंदगी को जीने की जिद हो, तो जिंदगी लौटकर हमारे साथ उस रास्ते पर भी पूरी शिद्धत से चल पड़ती है जिसके बारे में जिंदगी ने कभी नहीं सोचा होता। तो बरखा केभी जींदगी के साथ चलते चलते सिनेमा के संसार में पहुंच गई। मगर, सिनेमा के संसार की कड़वी सच्चाई पर जब उसने नजर डालकर देखा जो जान गई कि यह तो एक ऐसा गुंजल हे कि इंसान इसमें केवल फंसता ही चला जाता है। निकल ही नहीं पाता। जितना निकलने की कोशिश करो, उतना ही फंसता जाता है, धंसकता जाता है, मगर फिर भी हंसता जाता है। इसीलिए बरखा की जिंदगी उसे सिनेमा में लाई, तो सही, मगर समझ आते ही बरखा ने जिंदगी को कुछ ऐसा मोड़ दिया कि जिंदगी भी अपना यू टर्न लेकर उसके साथ कदम मिलाकर चलने लगी। कभी दमदार – धंआधार ग्लैमरस अभिनेत्री रही बरखा मदान अब साध्वी है और धार्मिक जीवन जीती है, साधना करती है, ध्यान धरती है और आध्यात्म से जीन को भरती है।
अक्षय कुमार और अजय देवगन के साथ सुपर हिट फिल्में की
अपने अभिनय के जमाने में बरखा मदान जबरदस्त हिरोइन रही। बरखा को मिस टूरिज्म इंडिया का खिताब मिला और वे मलेशिया में मिस टूरिज्म इंटरनेशनल में भी विजेता रहीं। बरखा अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती थीं। सन 1994 में, वह मिस इंडिया पेजेंट के लिए ऐश्वर्या राय बच्चन और सुष्मिता सेन के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही थीं। सन 1996 की हिट फिल्म खिलाड़ियों का खिलाड़ी में अक्षय कुमार के साथ बॉलीवुड से अपनी शुरुआत की और फिर अजय देवगन के साथ भूत फिल्म में भी देखी गईं। इसके बाद वह निर्माता बनी, और सोच लो और सुरखाब जासी फिल्मों मे अभिनय भी किया। बरखा ने प्रोडक्शन और डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी ‘गोल्डन गेट’ की स्थापना की, जिसके तहत टैलेंटेड और इंडिपेंडेंट फिल्ममेकर्स को आगे बढ़ने के लिए प्रमोट करने का काम किया। बरखा टीवी इंडस्ट्री में भी रहीं और करीब 20 धारावाहिकों में काम किया। बरखा ने यहां भी अपनी दमदार एक्टिंग से दर्शकों का दिल को जीता।
जब जान लिया कि कुछ मिसिंग था जिंदगी में
बरखा अपनी जिंदगी के प्रति शुरू से ही बेहद सचेत थी। वह वक्त जाया नहीं करती और जो काम हमथ में लेती थी, उसे न केवल तय वक्त में पूरा करती रही, बल्कि उस वक्त वे यह भी चिंतन करती रही कि वे जो कर रही है, वह कर क्यों रही है। बरखा मदान कहती है कि जिंदगी में सब कुछ सही और अच्छा चल रहा था, सिनेमा में भी बड़ी जगह हासिल थी और जिंदगी से भी संतुष्ट थी, लेकिन लग रहा था कि कुछ तो मिसिंग है। बस यह ‘कुछ तो मिसिंग है’ ही हर पल बरखा को परेशान करता रहा और इसी परेशानी को एक दिन अपने माता पिता के सामने रखा। उनको अपने मन की बात बताई और सेवा, चिंतन, मनन, ध्यान, साधना व आध्यात्म तथा धर्म व जीवन को समझने की बात कही, तो तो उन्होंने भी उसका पूरी तरह से समर्थन करके नई जिंदगी की शुरुआत करने को प्रेरित किया।
जिंदगी के बंधन तोड़ अपनी राह निकल पड़ी बरखा
अब करीब 49 साल की बरखा मदान बौद्ध धर्म की भिक्षुणी है, साध्वी का जीवन जीती है और संसार के कल्याण की साधना करती है। उम्र उसके चेहरे पर कहीं असर नहीं दिखा पाई, क्योंकि साधना को तेज उसने पा लिया है। वह शुरू से ही दलाई लामा की धार्मिक शिक्षा और प्रवचनों से प्रबावित थी और इसीलिए सन 2012 में बौद्ध धर्म अपना लिया और ग्लैमर की दुनिया से किनारा कर लिया। वह अब एक बौद्ध साध्वी है और बरखा मदान नहीं है। बरखा को नया नाम मिला ग्याल्टेन सैमटेन। नाम थोड़ा सा अजीब है, लेकिन यह भी तो बेहद इजीब है कि कोई ग्लैमर से लकदक जिंदगी को अलविदा कह कर साध्वी बन जाए। इसीलिए कहते हैं कि जिंदगी की गुलामी करने लग जाएंगे, तो जिंदगी हमें बंधक बना कर बंधनों में बांधे रखेगी, जैसे कि हमारे सिनेमा के कई सितारे बहुत काम करने, बेहद कमा लेने और लगातार चमकने की ललक पाले उसे जिंदगी भर छोड़ना ही नहीं चाहते। लेकिन बरखा ने मुश्किलों को मोड़कर, सिनेमा को छोड़कर और बंधनों को तोड़कर जिंदगी को ही अपने साथ चलने को मजबूर कर लिया।
-साक्षी त्रिपाठी
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