Navendu Mishra: कानपुर में जन्मे नवेंदु मिश्रा ब्रिटिश पार्लियामेंट (British Parliament) में दूसरी बार सांसद (MP) बने हैं। यूके के स्टॉकपोर्ट संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से इस बार उन्होंने सबसे ज्यादा 16000 मतों से जीत हासिल की है. जबकि कोई भी सांसद 1000 से 1500 वोटों से ज्यादा के अंतर से नहीं जीत सका। अब भले ही नवेंदु 34 साल के हैं, लेकिन 29 साल की उम्र में पहली बार सांसद बन गए थे। उनका बचपन कानपुर (Kanpur) और गोरखपुर (Gorakhpur) की संकरी गलियों में अपने भाई-बहनों और दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने और पतंग उड़ाने में बीता। ब्रिटेन में लेबर पार्टी (Labor Party) के कीर स्टारमर (Keir Starmer) द्वारा ऋषि सुनक (Rishi Sunak) के नेतृत्व वाली पार्टी कंजर्वेटिव (Conservative) के 14 साल के शासन को समाप्त करने की खबर जैसे ही टेलीविजन पर दिखाई दी, तो लंदन से हजारों किलोमीटर दूर कानपुर और गोरखपुर में भी जश्न मनाया गया।
चार साल की उम्र में यूके चले गए थे नवेंदु
नवेंदु जब 1993 में 4 साल के थे, तब अपने माता-पिता के साथ यूके चले गये थे। उस वक्त वह सिर्फ़ चार साल के थे। उनके पिता इंडियन पेट्रोकेमिकल्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड में मार्केटिंग मैनेजर थे और एक ब्रिटिश कंपनी का कार्यभार संभालने के बाद यूके चले गए थे। नवेंदु अब एक ब्रिटिश सांसद हैं जो अब ब्रिनिंगटन में रहते हैं और यूके के 29 भारतीय मूल के सांसदों में से एक हैं। उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ़ हाल और कील यूनिवर्सिटी में पढ़ाई से पहले ब्रिस्टल के क्लिफ्टन कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की थी। राजनीति में प्रवेश करने से पहले, मिश्रा स्टॉकपोर्ट में एक शॉप-फ़्लोर ट्रेड यूनियनिस्ट के रूप में काम करते थे और बाद में ट्रेड यूनियन के नेता बन गए, जहाँ उन्होंने अनिश्चित रोज़गार वाले कर्मचारियों की देखभाल करने के काम को संगठित किया। पांच साल पहले भी वे सन 2019 के चुनावों में स्टॉकपोर्ट से लेबर पार्टी के टिकट पर हाउस ऑफ़ कॉमन्स के लिए सांसद चुने गए थे, यह सीट पहले एन कॉफ़ी के पास थी, जिन्होंने चेंज यूके में शामिल होने के लिए लेबर पार्टी छोड़ दी थी। सन 2021 में, मिश्रा ने भारत विरोधी नस्लवाद के उदय पर संसद में एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें कहा गया था कि किसी के खिलाफ भेदभाव और नस्लवाद को कभी बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।
पूरी तरह से शाकाहारी और भारत आते रहते हैं
ब्रिटेन के सांसद नवेंदु के साथ उनके भारत में रहने वाले रिश्तेदारों के घनिष्ठ संबंध हैं, और चुनाव जीतने के तुरंत बाद उन्हें जो फोन किए गए, तो सबसे बात की। अपने भारतीय रिश्तेदारों के साथ नवेंदु के अच्छे रिश्ते हैं और वे अपनी जड़ों को नहीं भूले हैं। नवेंदु को हर साल या दो साल में एक बार भारत आना पसंद है और गोरखपुर और कानपुर के अपने रिश्तेदारों से मिलने का मौका कभी नहीं छोड़ते। मिश्रा दो साल पहले भी आर्य नगर में अपने पारिवारिक घर आए थे। वे पूर्णतया शाकाहारी हैं और उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश में जैसा आम तौर पर घरों में बनता है, वह खाना पसंद है। हाल ही में वे भारत की यात्रा पर भी आए थे, उस दौरान मिश्रा ने गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल से मिलनेवाले एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था और नई दिल्ली में विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी मुलाकात की थी। उस दौरान वे गोरखपुर भी गए थे, यहां सभी लोगों से मिलकर बेहद खुश दिखे। अब यूके में लगातार दूसरी बार संसदीय चुनाव जीतने के बाद नवेंदु मिश्रा शीघ्र ही भारत आने की तैयारी कर रहे हैं।
जीत की खुशी में कानपुर व गोरखपुर में जश्न
यूके के स्टॉकपोर्ट संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से लगातार दूसरी बार हाउस ऑफ कॉमन्स के लिए चुने गए मिश्रा का जन्म 1989 में कानपुर में हुआ था। ननिहाल गोरखपुर में है, और पिता कानपुर के आर्य नगर के निवासी। चाचा प्रभात रंजन मिश्रा मुंबई में एक निजी कंपनी में इंजीनियर थे और उनके चचेरे भाई हिमांशु मिश्रा कानपुर के शिवराजपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर हैं। नवेंदु दो भाई और एक बहन में सबसे बड़े हैं। उनके छोटे भाई दिव्येंदु मिश्रा और छोटी बहन का नाम मिताली मिश्रा है। नवेंदु की मां मीनू मिश्रा ने गोरखपुर के कार्मल इंटर कॉलेज और फिर गोरखपुर विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। ब्रिटेन के सांसद के बचपन के बारे में बात करते हुए पांडे ने कहा कि उन्हें पतंग उड़ाना और अपने दो बेटों और बेटी सहित अन्य बच्चों के साथ गलियों में क्रिकेट खेलना बहुत पसंद था। उनकी जीत की खबर मिलते ही कानपुर और गोरखपुर में नवेंदु मिश्रा के दोस्तों और रिश्तेदारों ने मिठाई बांटकर और पटाखे फोड़कर ऐतिहासिक जनादेश का जश्न मनाया।
-निरंजन परिहार
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