Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कहा है कि आज भारत के बारे में दुनिया भर के लोग जानना चाहते हैं। भारत ने हर युग में कुछ चुनौतियों का सामना किया है। उन्होंने आगे कहा कि आत्मनिर्भरता हमारी नीति ही नहीं, हमारा जुनून बन गया है। बहुत साल नहीं हुए, सिर्फ 10 साल पहले की बात है, तब अगर कोई कहता था कि भारत में कोई जटिल तकनीक विकसित की जा रही है तो कई लोगों को विश्वास नहीं होता था, तो कई उपहास उड़ते थे। लेकिन आज वही लोग, देश की सफलता को देखकर अचंभे में रहते हैं। आत्मनिर्भर हो रहा भारत हर क्षेत्र में कमाल कर रहा है।
पटेल और बिरसा मुंडा को याद किया पीएम मोदी ने
पीएम मोदी ने कहा कि भारत में हर युग में कुछ चुनौतियाँ आई और हर युग में ऐसे असाधारण भारतवासी जन्मे, जिन्होंने इन चुनौतियों का सामना किया। आज की ‘मन की बात’ में, मैं, साहस और दूरदृष्टि रखने वाले ऐसे ही दो महानायकों की चर्चा करूंगा। इनकी 150वीं जन्म जयंती को देश ने मनाने का निश्चय किया है। 31 अक्टूबर से सरदार पटेल का 150वीं जन्म जयंती का वर्ष शुरू होगा। इसके बाद 15 नवम्बर से भगवान बिरसा मुंडा का 150वाँ जन्मजयंती वर्ष शुरू होगा। इन दोनों महापुरुष ने अलग-अलग चुनौतियाँ देखी, लेकिन, दोनों का विजन एक था ‘देश की एकता’।
एक संकल्प करोड़ों लोगों का भाग्य बदल सकता है
‘मन की बात’ में उन्होंने कहा कि अगर आप मुझसे पूछें कि मेरे जीवन के सबसे यादगार पल क्या रहे, तो कितने ही वाकये याद आते हैं, लेकिन, इसमें भी एक पल ऐसा है जो बहुत खास है, वो पल था, जब पिछले साल 15 नवंबर को मैं भगवान बिरसा मुंडा की जन्मजयंती पर उनकी जन्मस्थली झारखंड के उलिहातू गाँव गया था। इस यात्रा का मुझ पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा। मैं देश का पहला प्रधानमंत्री हूँ, जिसे इस पवित्र भूमि की मिट्टी को अपने मस्तक से लगाने का सौभाग्य मिला। उस क्षण, मुझे न सिर्फ स्वतंत्रता संग्राम की शक्ति महसूस हुई, बल्कि, इस धरती की शक्ति से जुड़ने का भी अवसर मिला। मुझे ये एहसास हुआ कि कैसे एक संकल्प को पूरा करने का साहस देश के करोड़ों लोगों का भाग्य बदल सकता है।
महापुरुषों का जीवन हमें भविष्य का रास्ता दिखाता है
बीते वर्षों में देश ने ऐसे महान नायक-नायिकाओं की जन्म जयंतियों को नई ऊर्जा से मनाकर, नई पीढ़ी को, नई प्रेरणा दी है। आपको याद होगा, जब हमने महात्मा गांधी जी की 150वीं जन्म जयंती मनाई थी तो कितना कुछ खास हुआ था। न्यूयॉर्क के टाइम्स स्वायर से अफ्रिका के छोटे से गाँव तक, विश्व के लोगों ने भारत के सत्य और अहिंसा के संदेश को समझा, उसे फिर से जाना, उसे जिया। नौजवानों से बुजुर्गों तक, भारतीयों से विदेशियों तक, हर किसी ने गांधी जी के उपदेशों को नए संदर्भ में समझा, नई वैश्विक परिस्थितियों में उन्हें जाना। जब हमने स्वामी विवेकानंद जी की 150वीं जन्म जयंती मनाई तो देश के नौजवानों ने भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक शक्ति को नई परिभाषाओं में समझा। इन योजनाओं ने हमें ये एहसास दिलाया कि हमारे महापुरुष अतीत में खो नहीं जाते, बल्कि, उनका जीवन हमारे वर्तमान को भविष्य का रास्ता दिखाता है।
-राकेश दुबे