Dharmendra: दिग्गज अभिनेता धर्मेन्द्र की जिंदगी के उतरते हुए इस महत्वपूर्ण पड़ाव यह जानना जरूरी है कि राजनेताओं से उनकी बेहद करीबियां रहीं, मगर, राजनीति उनको क्यों रास नहीं आई? राजस्थान से धर्मेंद्र (Dharmendra) ने राजनीति में कदम रखा और 15वीं लोकसभा में वे बीकानेर से बीजेपी के सांसद बने। वसुंधरा राजे ने उन्हें राजनीति में आने और राजस्थान (Rajasthan) से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था।

वसुंधरा राजे की कोशिश से राजनीति में आए धर्मेंद्र
दरअसल, अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के 2004 के ‘इंडिया शाइनिंग’ कैंपेन से धर्मेंद्र बेहद प्रभावित थे। राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार बताते हैं कि इसके बावजूद धर्मेंद्र सक्रिय राजनीति में आने को तैयार नहीं थे। लेकिन प्रमोद महाजन के संदेश पर राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे विशेष रूप से मुंबई आईं। वे धर्मेंद्र को सरकारी विमान में अपने साथ बिठाकर जयपुर लेकर गई और राजनीति के लिए मनाया। वे पूरे पांच साल सांसद रहे, लेकिन मन नहीं लगा। राजनीतिक विश्लेषक परिहार बताते हैं कि जब भी धर्मेंद्र से मिलते, उनको राजनीति की बात पूछते, तो हर बार वे कोई और ही बात करते। एक मजेदार वाकया बताते हुए परिहार कहते हैं कि मुंबई में जुहू स्थित होटल सी प्रिंसेस में एक बार धर्मेंद्र से मिलना तीन दिन से तय हुआ। लेकिन मुलाकात से घंटा भर पहले, उन्होंने फोन पर साफ कह दिया – ‘मिलने तो आ रहे हो, लेकिन सियासत वाला दिमाग घर पर छोड़कर आना। वरना आना ही मत।’ परिहार कहते हैं कि राजनीति के रिवाज धर्मेंद्र को रास नहीं आए और जब भी उनसे बात होती, तो राजनीति में जाने का उनके मन में पछतावा सदा प्रकट होता रहा।

संसद में खुद को बहुत छोटा पाते थे धर्मेंद्र
धर्मेंद्र से संसद के गलियारों में एक बार हुई एक मुलाकात का जिक्र करते हुए परिहार बताते हैं कि वे संसद की उस विराट इमारत में अक्सर खुद को बहुत छोटा पाते थे। धर्मेंद्र कहते थे कि यहां आता हूं, तो संसद से बाहर निकलते ही लोगों का मुझे जो प्यार मिलता है, वही मेरी सबसे बड़ी ताकत है। परिहार बताते हैं कि चुनाव के दौरान धर्मेंद्र ने जनता से वादा किया था कि बीकानेर के काम कराने के लिए सरकार ने अगर उनकी बात नहीं मानी, तो वह संसद की छत से कूद जाएंगे। लेकिन शायद तब वे नहीं जानते थे कि छोटे से छोटे सरकारी काम भी आसानी से कभी नहीं होते। परिहार बताते हैं कि जब – जब धर्मेंद्र से हुई बातचीत होती, तो वे अक्सर कहते थे कि सांसद तो बन गए, लेकिन न तो राजनीति उनके लिए थी और न ही वे उसके लिए बने थे। इसलिए 2009 के बाद, धर्मेंद्र ने फिर राजनीति की तरफ कभी देखा तक नहीं। परिहार बताते हैं कि धर्मेंद्र निजी तौर पर बेहद भावुक मन के थे और बहुत ही साफ दिल के इंसान थे। बेटा सनी देओल भी सांसद रहा, और पत्नी हेमामालिनी भी लगातार 4 बार से सांसद हैं। फिर भी, आखिर 300 से अधिक फिल्मों में काम करने वाले धर्मेंद्र को राजनीति नहीं सुहाई।
-आकांक्षा कुमारी
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