Rising Rajasthan: राजस्थान के विकास के लिए सरकार द्वारा आयोजित राइजिंग राजस्थान समिट- 2024 में हजारों प्रतिभागी, विजिटर, इन्वेस्टर, इनोवेटर्स, वक्ता, एक्सपर्ट, नेता, विक्रेता, खरीदार आदि घूम रहे हैं। लेकिन इन सब में जो सबसे बड़ी उम्र के प्रतिभागी हैं, उनकी कहानी एकदम ही अलग है। उनकी कहानी इस तरह के आयोजनों का सफलता पर सवाल तो है ही, प्रदेश में निवेश क्यों अटक जाते हैं, इसकी अंतर्काथा भी कही जा सकती है। दरअसल, राजस्थान जैसे गौरवशाली प्रदेश के लिए न केवल दुखद, बल्कि लगभग कलंक भी कही जा सकती है। क्योंकि एक निवेशक वे अपने डजीवन भर की कमाई से राजस्थान के विकास का सपना देखा था, उसकी जमीन पर भू माफिया कब्जा करके बैठा है और वह उम्र के आखरी पड़ाव पर भी बेबस और बेजार है और सरकारी असहयोग के सामने लाचार भी।
भू माफिया ने कब्जा कर लिया, तो कैसे बने कॉलेज
जयपुर में राइजिंग राजस्थान समिट- 2024 में इन्वेस्ट फॉर फ्यूचर के पोस्टर के आगे खड़े होकर अपनी पीड़ा बता रहे ये सज्जन प्रवासी अमेरिकी डॉ. राज खरे हैं। ये इन्वेस्टर्स मीट नए जमाने का कांसेप्ट है। पुरानी सरकारें इस तरह की मीट तो नहीं करती थीं, लेकिन उस जमाने के नेता भी जब देश-विदेश में जाते थे तो अपने राज्य के लिए कुछ ना कुछ निवेश लाने की कोशिश करते थे। इसी तरह एक बार तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत 1997 में अमेरिका की यात्रा पर गए थे तो वहां डॉक्टर राज खरे से मुलाकात हुई और उन्हें जयपुर में वेटरनरी कॉलेज खोलने के लिए आमंत्रित किया। उन्हें कॉलेज के लिए आगरा रोड पर जमीन आवंटित की गई और डॉक्टर खरे ने अपने जीवन भर की खरी कमाई से कॉलेज खोल दिया। आज भविष्य के लिए निवेश करने वाले डॉ. खरे की वह कॉलेज की जमीन बेशकीमती तो हो गई लेकिन भू माफिया ने उस पर कब्जा कर लिया। बताते हैं कि डॉ. खरे पिछले कुछ वर्षों से अपनी जमीन को कब्जे से छुड़ाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और कुछ दिन पहले ही उन्हें भजनलाल शर्मा सरकार के मंत्री किरोड़ी लाल मीणा का साथ मिला तो उनका मामला चर्चा में भी आ गया।
सरकार का बुजुर्ग निवेशक को सहयोग नहीं मिला
करीब डेढ़ साल पहले अशोक गहलोत सरकार के दौरान हुई इन्वेस्टमेंट समिट के दौरान अगर डॉ.खरे ने यह मुद्दा उठा दिया होता तो शायद उन्हें पूरी बीजेपी का समर्थन भी मिल जाता और आज बीजेपी की सरकार के दौरान हो रही इन्वेस्टमेंट मीट से पहले ही सरकार को उस जमीन को भू-माफिया के क़ब्ज़े से छुड़ाना जरूरी हो जाता। 9 से 11 दिसंबर तक चलने वाला राइजिंग राजस्थान समिट- 2024 यह मेला भी खत्म हो जाएगा। सारे इन्वेस्टर और एक्सपर्ट अपने-अपने घरों को चले जाएंगे। सरकार भी राइजिंग राजस्थान की सफलता को सुनिश्चित करने में जुट जाएगी, लेकिन 92 साल का यह बुजुर्ग अपने हक के लिए कब तक भटकते फिरेगा, कोई नहीं जानता। दिनभर समिट के विभिन्न कार्यक्रमों से फ्री होकर जब होटल के कमरे में अकेला बैठा था तो आंखों के आगे उस बुजुर्ग का चेहरा ही घूमता रहा। मेरी तरह अगर सरकार के जिम्मेदार नेता और अफसर भी इस बुजुर्ग को भीड़ में घूमते हुए देख लें तो शायद रात को रंग-बिरंगी रोशनियों की बजाय उन्हें भी यह चेहरा ही दिखाई देगा। उम्मीद कर सकते हैं कि यह आयोजन समाप्त होने के बाद सरकार अपनी पूरी ताकत इस बुजुर्ग को न्याय दिलाने के लिए लगाएगी।
राजस्थान में अफसर रहे, सो दिल लगा रहा, जो अब टूट रहा है
अमेरिका में पशु चिकित्सक डॉ राज खरे सन 1964 में राजस्थान सिविल सर्विस में चयन होकर प्रशासनिक अधिकारी बने चित्तौड़गढ़ जिले की भूपाल सागर पंचायत समिति में बीडीओ बने। लेकिन मन नहीं लगा, तो नौकरी छोड़कर अमेरिका चले गए, जहां नामी डॉक्टर बनकर वहीं बस गए। अभी तो सरकारी नौकरी करते हुए नौ महीने भी नहीं हुए थे कि अमेरिका से उच्च अध्ययन के लिए 250 डॉलर की फैलोशिप मिली, तो बीडीओ भूपालसागर के पद से इस्तीफा देकर साल 1966 में वे अमेरिका चले गए। वे यूपी के गोरखपुर में जन्मे थे फिर राजस्थान के बीकानेर में वेटेनरी कॉलेज में पढ़े। पशु चिकित्सा में एमएस किया था तो वहीं भी वेटेनरी डॉक्टर का लाइसेंस मिल गया और मिशिगन में प्रैक्टिस शुरू कर दी। फिर खुद का अस्पताल भी खोला। लेकिन राजस्थान से दिल लगा रहा, तो जयपुर में वेटेनरीकॉलेज खोलकर जवन के आखरी दिन यहीं गुजारे की ख्वाहिश में राजस्थान में जमीन ली, लेकिन भी माफिया के कब्जे में फंस गए। और अब नयाय के लिए दर – दर भटक रहे हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अब चाहें, तो कुछ कर सकते हैं।
बुजुर्ग निवेशक की वकील बेटी अमेरिका में परेशान
राइजिंग राजस्थान इन्वेस्टमेंट समिट का आयोजन राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार ने प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए किया है। लेकिन जयपुर में देश का सबसे पहला निजी क्षेत्र का वेटनरी कॉलेज खोलने वाले डॉ. राज खरे न्याय के लिए भटक रहे हैं, सरकार के सामने यह एक बड़ा सवाल है। बीते दिनों उन्होंने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) कार्यालय पर धरना दिया था अब उनकी बेटी रोली खरे रस्तोगी, जो अमेरिका में वकील हैं, उन्होंने अमेरिका से एक वीडियो जारी कर भजनलाल सरकार के सामने अपनी मांग रखी हैं। रोली और अपने पिता को न्याय दिलाने के साथ ही उनकी सुरक्षा को लेकर भी चिंतित हैं। रोली खरे रस्तोगी ने कहा कि एसीबी ने अपनी जांच में इस पूरे मामले में 35 करोड़ रुपए का गबन होने की बात स्वीकार की है। इसमें आगे कोई एक्शन और इंवेस्टिगेशन नहीं हुआ है। राजस्थान के मुख्यमंत्री कार्यालय से भी कोई ऐसी सूचना नहीं मिली है, जिसमें आगे जांच होने की बात सामने आई हो।
-अरविंद चोटिया
(मूल जानकारी वरिष्ठ पत्रकार अरविंद चोटिया की एक्स वॉल से साभार एवं साथ में न्यूज डेस्क इनपुट)