Agnipath: भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ (Rajendra Rathore) को भले 97 पर साँप ने डस लिया हो; लेकिन संपेरों के कुनबे के किसी उच्चाकांक्षी बीनबाज़ को यह उपालंभ देने का अधिकार तो नहीं है। अलबत्ता, सियासत का यह पुराना सपेरा अपनी अलग धज रखता है। लेकिन यह सुखद हैरानी थी कि उन्हें उनके प्रतिद्वंद्वी सतीश पूनिया (Satish Poonia) ने महत्त्वपूर्ण भूमिका में बुलवाया। पूनिया ने राजनीति में काफ़ी भाषिक गरिमा रखी है। ख़ासकर ऐसे समय जब राजस्थान (Rajasthan) के गर्वीले नेताओं का साथ छोड़कर भाषा मुंह छिपाने के लिए कोई कोना तलाशती रही। राठौड़ जब बोले तो ऐसा लगा मानो किसी ने गर्म दोपहर में रेत पर पानी की रेखा खींच दी हो; क्षणिक, पर चमकदार।राजेन्द्र राठौड़ राजनीति के उस वर्ग से आते हैं, जहां शब्द अभी भी शौर्य का पर्याय हैं; लेकिन मैंने जब उनके चुनाव वाले भाषण सुने तो आभास हो गया था कि वे चुनाव में फँस गए हैं। लेकिन आज उन्होंने कहा, “अग्निपथ पर तपे बिना जनपथ नहीं मिलता।” उनकी आवाज़ में वह लय थी, जो राजस्थान के वीरत्व और कूटनीति दोनों का संयोग है। जैसे किसी पुराने दुर्ग की दीवारों में इतिहास और घाव साथ-साथ जीवित हों। वे सतीश पूनिया को देखकर मुस्कुराए। एक धीमी, मृदु मुस्कान जो भीतर से किसी अनकहे संतोष की गवाही दे रही थी। उनके शब्दों में एक गहरा अर्थ छिपा था: संघर्ष का ताप ही नेतृत्व को निखारता है।

राठौड़ की दृष्टि में सतीश पूनिया वह व्यक्ति थे, जिसने सड़क की धूल से जनपथ की ऊँचाई तक की दूरी तय की; और उस यात्रा का हर पग, तप और संवाद से भरा हुआ था। वे बोले, “हमारी सरकार की बुनियाद उन्हीं सड़कों पर पड़े संघर्ष के पत्थरों पर टिकी है, जिन्हें सतीश ने अपने हाथों से रखा था।” राठौड़ के शब्दों में लगभग एक राजनीतिक निष्ठा थी। सत्ता नहीं; उस आस्था की जो संगठन के भीतर जन्म लेती है और कभी-कभी अपने ही जनपथ की कीमत पर भी जीवित रहती है। लेकिन सियासत वह बस्ती है; जहां सारे तारे कंकर हैं और सारे हीरे पत्थर। इस बस्ती में क्यूं आए हो इस बस्ती में क्या रक्खा है; क्योंकि यहाँ वो ज़ालिम जौहरी रहते हैं, जो पत्थर को तराशकर हीरा बनाते हैं और हीरों को सियासत की मेहराबों पर सजाकर कनखियों से देखकर हँसते हैं।पाकिस्तानी शायर सहर अंसारी ने एक बार कराची में कितना सही कहा था – ‘कैसी कैसी महफ़िलें सूनी हुईं, फिर भी दुनिया किस क़दर आबाद है। धूप भी सँवला गई है, जिस जगह उस ख़राबे में सहर आबाद है!’ और सांवलाई धूप के इस बे-ताज राजनेता के लहकते लफ़्ज़!
(राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार त्रिभुवन की फेसबुक वॉल से)
Read Also: Rajasthan News: राजस्थान की राजनीति में दृढ़ता से अपनी ताकत बढ़ाते मुख्यमंत्री भजनलाल
Related Article: Loksabha Election: डॉ पूनिया, राठौड़, राजपाल और खाचरियावास की राजनीति के नए रंग!