Annapurna Rasoi के नाम पर मुख्यमंत्री की तारीफ
अन्नपूर्णा देवी हिन्दू धर्म में मां जगदम्बा का एक रूप माना गया है, जिनसे सम्पूर्ण विश्व का भरण-पोषण होता है। अन्नपूर्णा का शाब्दिक अर्थ है – अन्न की आवश्यकतापूर्ण करनेवाली अधिष्ठात्री। इसी वजह से इसका नाम इंदिरा गांधी के नाम पर रखने के बाद फिर से अन्नपूर्णा रखने से लोग खुश हैं। सोशल मीडिया पर इसकी जबरदस्त चर्चा है। वरिष्ठ पत्रकार निरंजन परिहार ने नाम बदलने पर जनता का प्रतिभाव जानने के उद्देश्य से इस मुद्दे पर सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ पर लिखा कि अंग्रेजों ने तो उनको भारत से खदेड़कर वापस भेजनेवाले महात्मा की मूर्ति लंदन में संसद के सामने लगाई है, तो फिर इंदिरा रसोई ही नाम चलता रहता, तो क्य़ा जाता। इसके जवाब में सोशल मीडिया पर इस पर जो लोग जो कमेंट कर रहे हैं, उनके मुताबिक राजनीतिक उद्देश्य के तहत तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी पार्टी कांग्रेस के आलाकमान गांधी परिवार को खुश करने के लिए कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी के नाम पर अन्नपूर्णा रसोई का नाम इंदिरा रसोई नाम रखा था, जिसे बदलकर नए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बिल्कुल सही काम किया है। परिहार कहते हैं कि अब जिन करोड़ों लोगों ने ‘इंदिरा रसोई‘ में भोजन किया, वे भी खुशी जताते हुए कह रहे हैं कि राजनीतिक उद्देश्य के तहत तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आलाकमान को खुश करने के लिए ‘इंदिरा रसोई‘ नाम रखा, जिसे बदलकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सही काम किया है। लाखों लोग सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री शर्मा को फिर ‘अन्नपूर्णा‘ नाम रखने की बधाई दे रहे हैं।
अनंतकाल तक चलने वाला राजनीतिक सिलसिला
राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार एवं सोशल मीडिया पर सबसे सक्रिय अरविंद चोटिया ने ‘एक्स’ पर लिखा कि नाम बदलने का यह शायद अनंतकाल तक चलने वाला राजनीतिक सिलसिला है, जो चलता रहेगा। ये रसोईयां 2016 में वसुंधरा राजे के कार्यकाल में अन्नपूर्णा रसोई के नाम से ही शुरू हुई थीं। सरकार बदलने पर अशोक गहलोत ने इनका नाम इंदिरा रसोई कर दिया। फिर सरकार बदली तो भजनलाल शर्मा ने इनका नाम फिर से अन्नपूर्णा रसोई कर दिया। हम सिर्फ यह कामना करते हैं कि गरीबों और जरूरतमंदों को निरंतर सस्ती दरों पर भोजन मिलता रहे। बाकी नेता लोग तो राजनीति ही करेंगे। लाखों लोग सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री शर्मा को फिर ‘अन्नपूर्णा‘ नाम रखने की बधाई दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर गुर्जर कार्यकर्ता सबसे ज्यादा कमेंट करते हुए कह रहे हैं कि गहलोत ने गांधी परिवार में अपनी पैठ बनाने के लिए इंदिरा रसोई नाम रखा था, जिसे सुधारकर नए मुख्यमंत्री ने सही किया। माना जा सकता है कि सचिन पायलट व गहलोत की अदावत के चलते पायलट के राजनीति में पिछड़ जाने का गुर्जरों में जो गुस्सा है, वह कांग्रेस की करारी हार के बाद भी अभी ठंडा नहीं हुआ है।
25 रुपए का भोजन केवल 8 रुपए में
अन्नपूर्णा रसोई से इंदिरा रसोई और अब फिर से अन्नपूर्णा रसोई में रोजाना 2.45 लाख लोगों को 8 रुपये में भोजन मिलता है। राजस्थान सरकार की यह गरीब, मजदूर व जरूरतमंद वर्ग के लिए चलाई जा रही योजना प्रदेश में 550 से अधिक संस्थानों और गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से संचालित हो रही है। राजस्थान सरकार इस रसोई के संचालकों को प्रति थाली 17 रुपये का अनुदान देती है। मतलब एक थाली कुल 25 रुपए की पड़ती है, जो पहले अन्नपूर्णा रसोई से इंदिरा रसोई और अब फिर से अन्नपूर्णा रसोई में केवल 8 रुपए में मिलती है। सुबह साढ़े 8 से दोपह3 बजे तक और शाम 5 से 9 बजे तक भोजन उपलब्ध कराया जाता है। सरकार को हर थाली 17 रुपए का नुकसान झेलना पड़ता है, फिर भी गरीबों के लिए यह योजना जारी है।
इंदिरा रसोई क्यों, सोनिया रसोई रख देते गहलोत
सोशल मीडिया पर हजारों यूजर्स लिख रहे हैं कि गहलोत ने अन्नपूर्णा रसोई का नाम बदलकर गलत किया था। एक यूजर ने तो लिखा कि गहलोत ने अन्नपूर्णा रसोई का नाम इंदिरा रसोई ही क्यों?? सोनिया रख देते। राजस्थान में सत्ता में आते ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि जो योजनाएं चल रही हैं, उनमें से किसी को भी बंद नहीं किया जाएगा। उसी कड़ी में अब नाम बदले जाने से इंदिरा रसोई को कांग्रेस की नेता रही इंदिरा गांधी का नाम हट गया है और हिंदू देवी अन्नपूर्णा का नाम लौट आया है। जिन कुछ योजनाओं के नाम पिछली सरकार ने बदले थे, उनके नाम बदलने की तैयारी शुरू हो गई है। भजनलाल सरकार ने इंदिरा रसोई का नाम बदलकर इसकी शुरुआत कर दी है। कांग्रेस सरकार के समय इस योजना का काफी विस्तार भी हुआ और रसोईयों की संख्या एक हजार तक पहुंच गयी थी। गहलोत सरकार ने सन 2020 में 213 जगहों पर 358 रसोई के साथ इस योजना का विस्तार करना शुरू किया था, जिनकी संख्या अब1 हजार के आसपास पहुंच गई है।
-राकेश दुबे (वरिष्ठ पत्रकार)