Parliament Election: तीन महीने बाद देश में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) होने हैं। राजस्थान में कुल 25 सीटें हैं। कांग्रेस (Congress) ने संभावित उम्मीदवारों की सूची बना ली है। इस सूची में ज्यादातर वरिष्ठ नेता और विधायक हैं, जिनको चुनाव लड़वाया जा सकता है। लेकिन कांग्रेस के विधायक सांसद का चुनाव हारने के मूड में है या नहीं, यह कोई नहीं जानता। राजस्थान कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot), प्रदेश कांग्रेस अध्क्ष गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasra), प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा (Sukhjinder Singh Randhawa) जैसे बड़े नेता प्रदेश में कांग्रेस की लोकसभा चुनाव में परफॉर्मेंस सुधारने की कोशिश में नई रणनीति बना रहे हैं। कांग्रेस चिंतित है। राजस्थान (Rajasthan) में फिलहाल उसके पास 25 में से एक भी सीट नहीं है। पिछले लोकसभा चुनाव (Parliament Election) जैसा हाल रहा, तो इस बार भी एक भी सीट जीतने जैसी हालत नहीं है। बीजेपी (BJP) प्रदेश में कम से कम 55 फीसदी से ज्यादा वोट बटोरने का टारगेट लेकर चल रही है। कांग्रेस भी कमर कस रही है। उसका फोकस नई पीढ़ी पर है।
Parliament Election कई बड़े नेता भी उम्मीदवार संभव
ताजा राजनीतिक हालात में रंधावा के वरिष्ठ नेताओं के लोकसभा चुनाव लड़वाने के संकेत को देखें, तो कांग्रेस के कई विधायक लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अशोक गहलोत, सचिन पायलट, गोविंद सिंह डोटासरा, शांति धारीवाल, हरेंद्र मिर्धा, नरेंद्र बुडानिया, हरीश चौधरी, बृजेन्द्र ओला, मुरारीलाल मीणा, मुकेश भाकर, महेंद्रजीतसिंह मालवीय, अर्जुन बामणिया, अशोक चांदना, विकास चौधरी और रफीक खान सहित दयाराम परमार, हरिश्चंद्र मीणा, अनिता जाटव आदि विधायक लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं। कांग्रेस चाह रही है कि ज्यादा से ज्यादा, युवा उम्मीदवार उतारे जाएं। जिससे भले ही वर्तमान हालात में कांग्रेस उम्मीदवार जीते नहीं, तो कम से कम कांग्रेस का वोट प्रतिशत तो बढ़े। साथ ही कांग्रेस की आने वाली पीढ़ी भी रणनीतिक रूप से तैयार हो सके।
अगर लड़े, तो कौन कहां से, चुनाव क्षेत्र तय हो रहे हैं
कांग्रेस के जिन बड़े और जाने माने नेताओं को चुनाव लड़वाने की नीति बन रही है, उसके मुताबिक जालोर से अशोक गहलोत, टोंक से सचिन पायलट या हरिश्चंद्र मीणा, सीकर से गोविंद डोटासरा, कोटा से शांति धारीवाल, बाड़मेर से हरीश चौधरी, नागौर से हरेंद्र मिर्धा अथवा मुकेश भाकर, चूरू से नरेंद्र बुडानिया, दौसा से मुरारी लाल मीणा, भीलवाड़ा से अशोक चांदना, उदयपुर से दयाराम परमार, डूंगरपुर से अर्जुन बामणिया अथवा महेंद्रजीत सिंह मालवीय, जयपुर शहर से रफीक खान, करौली से अनिता जाटव, अजमेर से विकास चौधरी, श्रीगंगानगर से सोहन नायक, अलवर से ललित यादव, झुंझुनूं से बृजेन्द्र ओला को लोकसभा का चुनाव लड़वाया जा सकता हैं।
युवा पीढ़ी को लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारी की बात
कांग्रेस में बैठकों का दौर जारी है। लोकसभा चुनाव के लिए राजस्थान कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की अध्यक्ष सांसद रजनी पाटिल हाल ही में जयपुर में बैठक करके गई हैं। पाटिल ने साफ तौर पर कहा कि हमेशा कांग्रेस ही कांग्रेस को हराती है और दूसरा कोई कांग्रेस को नहीं हरा सकता। इसलिए हम सबको एक साथ आना ही होगा। राजस्थान कांग्रेस में सबको पता है कि पाटिल का इशारा किसकी तरफ था। उन्होंने नाम नहीं लिया, लेकिन इसी संदर्भ में जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक खुलकर सचिन पायलट पर कांग्रेस को हराने के आरोप लगा चुके हैं। इस बैठक के साथ ही राजस्थान प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भी जयपुर में पार्टी नेताओं और विधायकों के साथ लोकसभा चुनाव के संदर्भ में समीक्षा बैठक की। रंधावा ने कहा कि सबको एक होकर लड़ना है और जीत की ताकत और कांग्रेस की विचारधारा वालों को ही लोकसभा में उम्मीदवार बनाया जाएगा। दोनों नेताओं के बयान का सामूहिक अर्थ देखें, तो कुल मिलाकर कांग्रेसी संस्कृति को युवा नेताओं को ही उम्मीदवारी मिलेगी।
बीजेपी की चुनावी नकल करने पर उतरी कांग्रेस
वैसे, कांग्रेस भी बीजेपी की तर्ज पर अपने वरिष्ठ नेताओं को चुनाव लड़वाने के बारे में सोच रही है। बीजेपी ने हाल ही में कई प्रदेशों सहित राजस्थान में भी पांच सांसदों को विधायक का चुनाव लड़वाया था। जिसमें तीन जीते, और हारनेवाले दो में से एक देवजी पटेल की जमानत जब्त हुई थी। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी रंधावा ने साफ तौर पर कहा कि इस बार लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारी के मामले में हमारे युवा नेताओं को खास तवज्जो दी जाएगी। उन्होंने संकेत दिए कि बीजेपी में सांसदों की तर्ज पर कांग्रेस में भी विधायकों को लोकसभा का चुनाव लड़वाया जा सकता है। लोकसभा चुनाव के लिए युवा और अनुभवी नेताओं का एक संतुलन बनाकर चुनाव मैदान में उतारे जाने के प्रभारी रंधावा के इस बयान के बाद यह माना जा रहा है कि पार्टी अपने युवा नेताओं के साथ ही वरिष्ठ विधायकों को लोकसभा चुनाव में उतारने जा रही है।