Rajasthan: जातियों की जोर मारती जकड़न से आजादी के लिए जूझते राजस्थान (Rajasthan) की राजनीति में जाति का नेता बनने की कोशिश में जातियों की ताकत के जरिए जाति को उसकी जात बताई जा रही है। कांग्रेस (Congress) के विधायक हरीश चौधरी ) के खुद को जाट नेता साबित करने की कोशिश को राजपूतों के विरोध में दिया गया बयान माना जा रहा है। बीती 18 जुलाई को राजस्थान विधानसभा में चर्चा के दौरान बायतू से कांग्रेस के विधायक हरीश चौधरी ने ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता ‘ठाकुर का कुआं’ की कुछ पंक्तियां पढ़ीं, जिसके बाद में रविंद्र सिंह भाटी ने भी सदन में उनको करारा जवाब दिया तो बाहर प्रताप सिंह खाचरियावास और मानवेंद्र सिंह जैसे नेताओं के बयानों से भी सियासत गर्माई हुई है।
कांग्रेस की पेरशानी बन रहा है ठाकुरों पर तंज
राजस्थान में इस साल के अंत में पांच विधानसभा सीटों दौसा, देवली-उनियारा, खींवसर, झुंझुनू और चौरासी में विधानसभा के उपचुनाव हैं। लोकसभा चुनाव में प्रदेश की 25 में से 11 सीटों पर जीत के बाद कांग्रेस इन उपचुनावों में भी बीजेपी को हराना चाहेगी। लेकिन हरीश चौधरी के राजपूत विरोधी बयान से राजस्थान की सियासत गर्मा गई है। कांग्रेस बैकफुट पर है, क्योंकि चौधरी के राजपूत विरोधी बयान के बाद राजपूत कांग्रेस के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं, इसीलिए कांग्रेस के नेता सार्वजनिक तौर पर तो सफाई देते घूम रहे हैं, मगर अंदरखाने हरीश चौधरी को कोस रहे हैं। कांग्रेस की मुश्किल यह है कि जो राजपूत मतदाता जैसे तैसे करके पहली बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ खड़ा हुआ था, जिसका असर कांग्रेस की जीत में भी दिखाई दिया। लेकिन हरीश चौधरी की खुद को राजस्तान में बड़ा जाट नेता साबित करने की कोशिश में राजपूत विरोधी बयान से राजपूत कांग्रेस के खिलाफ लामबंद होते दिख रहे हैं।
हरीश चौधरी बोले – बजट के ये बड़े – बड़े महल ठाकुरों के लिए
कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने ओमप्रकाश वाल्मीकि की विख्यात कविता ‘ठाकुर का कुआं’ की पंक्तियां पढ़ते हुए राजस्थान सरकार के बजट पर व्यंग्य में कहा था कि बजट को देखकर तो लगता है कि यह बड़े-बड़े महल ठाकुरों के लिए है। चौधरी ने कहा था कि बजट के अंदर दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों की क्या स्थिति है, यह हम लोग ही महसूस कर सकते हैं। इस बजट को पढ़ने के बाद ओम प्रकाश वाल्मीकि की कविता याद आती है – “चूल्हा मिट्टी का, मिट्टी तालाब की, तालाब ठाकुर का। भूख रोटी की, रोटी बाजरे की, बाजरा खेत का, खेत ठाकुर का। बैल ठाकुर का, हल ठाकुर का, हल की मूठ पर हथेली अपनी। फसल ठाकुर की, कुआं ठाकुर का, खेत-खलिहान ठाकुर के। आपके लिए क्या है? गांव? शहर? देश?” बजट को देखकर तो लगता है कि यह बड़े-बड़े महल ठाकुरों के लिए है। हरीश चौधरी की ये कवितामयी राजपूत विरोधी प्रस्तुति दरअसल खुद को बड़ा जाट नेता साबित करने की थी और उससे भी ज्यादा वे इस बात को लेकर भी परेशान हैं कि उनके गृह जिले बाड़मेर में राजपूत नेता रविंद्र सिंह भाटी का राजनीतिक कद बहुत तेजी से काफी बड़ा होता जा रहा है, जो टौधरी के लिए परेशानी का सबब है।
खाचरियावास गरजे – सबके लिए अपनी गर्दन कटवाता है ठाकुर
कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास ने चौधरी पर पलटवार करते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है। खाचरियावास ने कहा है कि हमें जातिगत मर्यादा तो रखनी पडेगी और अपनी राजनीति चमकाने के लिए लोग लोकसभा और विधानसभा में खड़े होकर झूठ बोलते हैं, तो यह देश के लिए सबसे बड़ा धोखा है। अशोक गहलोत सरकार में मंत्री रहे खचरियावास ने हरीश चौधरी की वास्तविक मंशा को भांपते हुए कहा कि – चूल्हा मिट्टी का, मिट्ठी रणभूमि की, रणभूमि ठाकुर की। युद्ध देश का, देश सबका, तलवार की मुठिया ठाकुर की, सिर कटा ठाकुर का। मां की कोख सुनी हुई ठाकुर की, पत्नी विधवा हुई ठाकुर की, बच्चे अनाथ हुए ठाकुर के। फिर कुआं तो सबकी प्यास मिटाता है, ऐसे ही ठाकुर सबके लिए अपनी गर्दन कटवाता है। गांव में, चौराहे पर मरने की ताकत रखता है। वहीं, तो ठाकुर का कुआं है। क्या गुनाह कर दिया ठाकुर के कुएं ने। ठाकुर के कुएं ने सबसे बड़ा काम किया है, तो देश के लिए धरती मां के स्वाभिमान के लिए, धर्म के लिए और सच्चाई के लिए किया है। खाचरियावास ने कहा कि यहां पर सिर्फ राजनीति का चमकाने के लिए कुछ लोग गलत भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं।
मानवेंद्र सिंह ने कहा – आगे बढ़ने में रुकावट यही रुकावट
कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी के इस बयान पर बीजेपी नेता मानवेंद्र सिंह जसोल ने भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने संदेश में लिखा – जिस विधानसभा की अध्यक्षता कैलाश मेघवाल ने बड़े हर्ष उल्लास से की, यहां स्वर्गीय भैरोंसिंह शेखावत ने 1952 में ही अपना नाम जमाया। जिसे स्वर्गीय मोहन लाल सुखाड़िया, कमला बेनीवाल और परसराम मदेरणा जैसे दिग्गजों ने उस समय से सुशोभित किया, उसी सदन में शर्मनाक घटना हो तो इससे स्पष्ट है कि भारत अभी तक विकसित क्यों नहीं हुआ और देश को विश्व की प्रथम श्रेणी में पहुंचाने के लिए रुकावट कहां से आ रही है।
रविंद्र भाटी बोले – मुगलों से बचाने में किले ही काम आए
हरीश चौधरी के विधानसभा में बोलने के बाद निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी इसीलिए तत्काल सदन में गरजे और कहा – कांग्रेस विधायक ने महल और किलों की बात की है तो मैं कहना चाहूंगा कि ये किले, यह महल शौर्य और गाथा के प्रतीक हैं। जब कभी मुगल आक्रांताओं के हमले हुआ करते थे तो हमारी बहन-बेटियों की इज्जत बचाने के लिए यही किले और महल काम आया करते थे। यह किले मुश्किल समय में उन शरणगतों को शरण देने के लिए काम आया करते थे। मगर, राजस्थान की उसी विधानसभा में जब ऐसी बातें होनी लग जाएं तो हम सभी के लिए यह पीड़ा की बात है। हम सभी का नैतिक धर्म और जिम्मेदारी है कि उसे बरकरार रखें। देश को जातियों में बांटना उचित नहीं ठहराया जा सकता है। कोई भी किसी जाति या धर्म से हो हमें सभी का सम्मान करना है। अंत में उन्होंने कहा कि कई सारी बातें और भी हैं, जिन पर आने वाले समय में वे बहुत कुछ खुल कर बोलेंगे।
-राकेश दुबे