Rajasthan Election: लाल पत्थर की खूबसूरत हवेलियों और पुष्करणा ब्राह्मणों की नगरी के साथ साथ कभी साल्ट सिटी के नाम से मशहूर फलोदी (Phalodi) की नई पहचान अब सट्टा बाजार (Satta Bazar) है। फलोदी सट्टा बाजार के ताजा आंकलन ने राजस्थान में कांग्रेस (Congress) की नींद उड़ा दी है। विधानसभा चुनाव चल रहे हैं। प्रचार पूरे जोर पर हैं और कांग्रेस-बीजेपी-आरएलपी समेत सभी पार्टियों के प्रत्याशियों ने प्रचार में अपनी पूरी ताकत लगा दी है और प्रदेश की जनता सहित देश भर को 3 दिसंबर के नतीजों का इंतजार है। मगर, फलोदी के सट्टा बाजार ने राजस्थान विधानसभा चुनाव (Rajasthan Election) के नतीजे पहले ही दे दिए हैं। फलोदी के सट्टा बाजार (Satta Bazar) में कांग्रेस (Congress) को केवल 60 से 65 सीटें मिल रही हैं और बीजेपी (BJP) 115 के पार जा रही है। सट्टा बाजार की ताजा रिपोर्ट से कांग्रेस (Congress) व कांग्रेसियों के होश फाख्ता हैं और बीजेपी समर्थकों के चेहरों पर लाली है। इस ताजा माहौल का कारण केवल यही है कि फलोदी (Phalodi) का सट्टा बाजार अपनी विश्वसनीयता के लिए जाना जाता है। चुनावी नतीजों के मामलों में टीवी चैनलों और सर्वे एजेंसियों के आंकलन फेल हो जाते हैं लेकिन फलोदी का (Satta Bazar) सट्टा बाजार कभी फेल नहीं होता, यह केवल धारणा नहीं बल्कि तथ्य है।
Rajasthan Election में सट्टा बाजार कांग्रेस की परेशानी
फलोदी को प्रदेश का सबसे गर्म इलाका माना जाता है, मगर अब (Phalodi) के सट्टा बाजार के ताजा आंकलन के कारण सर्दी में भी कांग्रेस को गर्मी महसूस होने लगी है। हाल ही में राजस्थान चुनाव (Rajasthan Election) को लेकर तीन ओपिनियन पोल आए थे। तीनों में कांग्रेस (Congress) को कमजोर और बीजेपी (BJP) का प्रदेश में जोर बताया गया था। ‘इंडियाटीवी – सीएनएक्स’ के पहले ओपिनियन पोल में कांग्रेस (Congress) की सरकर फिर न आने के दावा था, तो ‘प्राइम टाइम इंडिया’ के ओपिनियन पोल में भी बीजेपी (BJP) को स्पष्ट बहुमत का सर्वे था। आखिर में ओपिनियन पोल न जारी करने की चुनाव आयोग की तय तारीख से एक दिन पहले ‘एबीपी – सी वोटर’ के ओपिनियन पोल में भी कांग्रेस (Congress) बेहद कमजोर दिख रही है। हालांकि कांग्रेस ने इसे बेहद हल्के में लिया और ओपिनियन पोल के नतीजों की अवहेलना करती हुई लगातार अपने लक्ष्य को साधने में जुटी रही। मगर, फलोदी (Phalodi) के सट्टा बाजार (Satta Bazar) में कांग्रेस के बुरी तरह हारने का आंकलन कांग्रेस परेशान कर रहा है।
फलोदी का सट्टा सबसे विश्वसनीय
राजस्थान देश का सबसे बड़ा सट्टा बाजार (Satta Bazar) है। प्रदेश के फलोदी, बीकानेर और ………… में सट्टा खेला जाता है। हालांकि, यह कानूनी रूप से अवैध है, लेकिन फिर भी हर रोज बड़े पैमाने पर लोग सट्टा लगाते हैं, और रोजाना करोड़ों के वारे न्यारे होते हैं। क्रिकेट का मैच हो या फुटबॉल का खेल, बारिश की बात हो या फसलों के उगने या खराब होने का मामला, इन पर तो सट्टा लगता ही है, चुनाव पर भी सट्टा लगता रहा है, जो कि सबसे ज्यादा लोगों का ध्यान खींचता है। फलोदी (Phalodi) राजस्थान का सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा विश्वसनीय सट्टा बाजार (Satta Bazar) है, जहां का एंकलन सबसे सटीक माना जाता है। फलोदी में पंचायत से लेकर पार्लियामेंट और विधानसभा सहित हर चुनाव पर सट्टा लगता है, और खास बात यह है कि यहां के सट्टा बाजार का आंकलन सबसे सटीक बैठता है। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव से लेकर नगरपालिकाओं के चुनाव पर भी फलोदी (Phalodi) में करोड़ों रुपये का सट्टा लगता है।
कैसे होता है सट्टे का कारोबार
विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव फलोदी (Phalodi) में जबर्दस्त गहमागहमी रहती है। फलोदी में कुल मिलाकर केवल 25 लोग हैं जो सट्टा चलाते हैं, जो कस्बे के मुख्य बाजार (Satta Bazar) में एकत्रित होते हैं और बातचीत में वे सट्टा लगाना शुरू करते हैं, इसके बाद सट्टा लगाने वाले लोग जुटते रहते हैं, इस तरह से सट्टे के में उसका संचालक, सट्टा लगवानेवाला दलाल, और सट्टे में पैसा लगाने वाले व्यक्ति के तौर पर कुल तीन स्तर पर लोग शामिल होते है। ज्यादातर दलाल ही होते हैं, जो देश – दुनिया के दूसरे शहरों से लोगों की तरफ से सट्टा लगाते हैं। कोई दलाल फोन पर कहीं से भाव ले रहा होता है, तो कोई किसी को भाव दे रहा होता है। लोग भाव नक्की करके अंतिम परिणाम की प्रतीक्षा करते हैं। हर रोज सुबह की पहली किरण से शुरू हुआ यह मजमा देर रात तक चलता रहता है।
फलौदी के सट्टे का आंकलन सबसे सही
फलोदी में सट्टे का इतिहास बहुत पुराना है। यह कब शुरू हुआ, इसकी तय तारीख तो कोई नहीं बताता, मगर कैसे चलता है, इस बारे में बड़ी दिलचस्प जानकारी है। यहां चार तरह का सट्टा लगता है। इनमें बारिश, क्रिकेट, चुनाव और अंकों का सट्टा शामिल है। सट्टा बाजार की खास बात यह है कि सब कुछ जुबानी और एक दूसरे के भरोसे पर चलता है, तथा उससे भी ज्यादा खास यह है कि फलौदी के बाजार (Satta Bazar) का सट्टे का आंकलन बिल्कुल सही होता है। आजादी से पहले यहां रूई के भाव में तेजी या मंदी पर सट्टा लगता था, उसके बाद देश के पहले आम चुनाव (Rajasthan Election) के साथ ही चुनाव में हार जीत व सीटों की संख्या पर सट्टा शुरू हो गया था। फलौदी (Phalodi) के अनेक लोग जोधपुर, मुंबई, अहमदाबाद, बैंगलुरू, चेन्नई और कोलकाता जैसे बड़े शहरों में व्यापार करते है, ज्यादातर शेयर मार्केट में भी हैं।
जूता उछाल कर भी लगाया जाता है सट्टा
फलोदी के सट्टा बाजार (Satta Bazar) की खास बात यह है कि यहां के हर घर में सटोरिये हैं, जो किसी पेशे की तरह इसे अपना चुके हैं। लोग सांडों की लड़ाई से बारिश आने तक का सट्टा लगाते है। शेयर मार्केट नीचे खुलेगा या ऊपर और गोल्ड के भाव सोमवार को नीचे खुलेंगे या ऊपर होंगे। फलोदी (Phalodi) में लोग किसी भी चीज पर सट्टा लगा लेते हैं। सट्टे की खास बात यह है कि इसमें जिसकी बोली ज्यादा हो, उसकी हार तय है और जिसकी कम हो, वह जीतता है। जैसे राजस्थान विधानसभा चुनाव (Rajasthan Election) में कांग्रेस की जीत के 3 रुपए के बदले बीजेपी (BJP) के 25 पैसे का भाव चल रहा है। मतलब, किसी भी हाल में कांग्रेस (Congress) की सत्ता फिर से आने की कोई संभावना फलोदी (Phalodi) का सट्टा बाजार (Satta Bazar) नहीं मान रहा। फलौदी में सट्टे का लोगों को ऐसा चस्का है कि कुछ और नहीं तो चप्पल उछाल कर भी सट्टा लग जाता है। चप्पल उल्टी गिरेगी या सीधी, इस पर भी लोग पैसे लगाकर हारते जीतते रहे हैं।
जिला बनाया फिर भी फलोदी से बुरी खबर
वैसे, कांग्रेस (Congress) और उसके मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का लक्ष्य हर हाल में फिर से राजस्थान की सत्ता में आना है और ऐसी किसी भी बात या धारणा की परवाह नहीं करना है, जो उनकी सत्ता को फिर से लौटाने में बाधक बन रही हो। मगर, फलोदी (Phalodi) के सट्टा बाजार की ताजा रिपोर्ट ने कांग्रेस की नींद उड़ा दी है। इस रिपोर्ट के हिसाब से तो इस चुनाव (Rajasthan Election) में कांग्रेस राजस्थान में सत्ता से बहुत दूर जा रही है और बीजेपी (BJP) साफ तौर पर सरकार बनाने जो रही है। हालांकि प्रदेश में कांग्रेस (Congress) की सत्ता के मुखिया अशोक गहलोत ने व्यक्तिगत रुचि लेकर हाल ही में राजस्थान में जिन नए जिलों का निर्माण किया है, उनमें फलोदी (Phalodi) को भी जिला बनाया गया है, मगर उसी फलोदी के सट्टा बाजार से (Satta Bazar) से खुशखबरी मिलने के बजाय कांग्रेस (Congress) के लिए डरावनी खबर आ रही है।
-निरंजन परिहार