Ram Mandir : अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह को लेकर कांग्रेस (Congress) फिर दुविधा में दिख रही है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि उसके नेता राम मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह में शामिल भी होंगे या नहीं, यह कोई नहीं जानता। हालांकि इस मामले में वह शुरूआत से ही दुविधा में रही है और आगे भी कोई नहीं जानता कि कब तक इसी हाल में रहेगी। जबकि कांग्रेस सरकार के दौरान राजीव गांधी के आदेश पर ही राम मंदिर (Ram Mandir) के ताले खुलवाए गए थे, लेकिन फिर भी वह सदा सदा से राम मंदिर से दूरी ही बनाकर रखती रही। इसी वजह से कांग्रेस को अब तक कई बड़े नुकसान होते रहे हैं। फिर भी अब तक इस मामले में उसकी रणनीति साफ नहीं है। दरअसल, हिंदुओं के वोट तो चाहती है, लेकिन हिदुओं के आराध्य भगवान राम के मंदिर के मामले में दूर भागती रही है।
Ram Mandir प्रतिष्ठा निमंत्रण कांग्रेस को मिला
अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है, और अयोध्या में उसका प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को होने जा रहा है। कांग्रेस (Congress) अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आदि को निमंत्रण पत्र भी मिल गया है। लेकिन फिर भी कांग्रेस की तरफ से यह स्पष्ट नहीं है कि उनकी पार्टी का कोई नेता राम मंदिर (Ram Mandir) के प्रतिष्ठा समारोह में जाएगा भी या नहीं। इसी दौरान राहुल गांधी 14 जनवरी से ‘मणिपुर से मुंबई’ तक अपनी भारत न्याय यात्रा शुरू कर रहे हैं। इसलिए उन्होंने तो न जाने का बहाना तलाश लिया है, लेकिन सोनिया गांधी की बीमारी का बहाना घोषित करके उनके प्रतिनिधि के तौर पर ही सही, प्रियंका गांधी भी जाएंगी या नहीं, किसी को कोई खबर नहीं है। जबकि प्रियंका तो लंबे समय तक उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की प्रभारी रही है और वहां के हर मुद्दे में सक्रिय रही है।
राजीव गांधी ने खुलवाया था राम मंदिर का ताला
राम मंदिर (Ram Mandir) की प्रतिष्ठा समारोह में सहभागिता के मामले में अब तक तो साफ तौर पर लग रहा है कि कांग्रेस (Congress) का कोई भी नेता अयोध्या में होनेवाले इस समारोह में शायद ही शामिल होने जा रहा हो। जबकि सन 1986 में पहली बार राम मंदिर का ताला खुलवाने का श्रेय भी कांग्रेस के तत्कालीन नेता और प्रधानमंत्री राजीव गांधी को ही जाता है। इतिहास गवाह है कि राजीव गांधी ने ही तब की उनकी सरकार के मंत्री मंत्री बूटा सिंह को ताला खुलने के उस समारोह में भेजा था और विश्व हिंदू परिषद को शिलान्यास की अनुमति भी राजीव गांधी ने ही दी थी। उस शिलान्यास के बाद अब जब मंदिर बन रहा है, और प्रतिष्ठा भी हो रही है, इसके बावजूद कांग्रेस उससे दूरी बना रही है, यह आम लोगों की समझ से परे हैं, खासकर हिंदू समाज को लग रहा है कि कांग्रेस को यह ऐतिहासिक कार्यक्रम नहीं भा रहा है। इसीलिए उसका कोई नेता इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अपनी तरफ से कुछ नहीं बोल रहा है।
कांग्रेस के नेता जाएंगे कि नहीं, कोई नहीं जानता
राम मंदिर (Ram Mandir) प्रतिष्ठा समारोह में हालांकि, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अयोध्या नहीं जाने की घोषणा कर दी है। इसके अलावा कम्युनिस्ट पार्टियों ने भी कहा है कि वे इस समारोह में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने कहा है कि यदि उन्हें निमंत्रण मिलेगा तो वे अवश्य जाएंगे। आयोजन समिति की ओर से कांग्रेस (Congress) अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित सोनिया गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आदि को निमंत्रण पत्र भेजा गया है। मगर अभी किसी नेता की ओर से इस मामले में किसी भी तरह की प्रतिक्रिया का न आना कांग्रेस के लिए राजनीतिक रूप से शुभ संकेत नहीं माना जा रहा है।
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कमलनाथ बोले – राम मंदिर तो सबका है
हालांकि, कुछ दिन पहले कांग्रेस (Congress) के नेता कमलनाथ ने जरूर कहा था कि राम मंदिर न तो किसी एक पार्टी का है और न ही किसी एक व्यक्ति का है यह भारत के हर नागरिक का है। कमलनाथ के इस बयान के बावजूद कांग्रेस के किसी भी नेता का इसके समारोह में जाना या न जाने के बारे में अधिकारिक रूप से कोई बयान नहीं आया है। इसी कारण माना जा रहा है कि कांग्रेस राम मंदिर को लेकर भ्रम की स्थिति में है, तथा इसी वजह से यह बात स्थापित होती जा रही है कि कांग्रेस और हिंदुत्व को लेकर भी खुद के मामले में आशंकित है। राजनीति के जानकार मानते हैं कि कांग्रेस के नुकसान की असली वजह भी यही है, लेकिन कांग्रेस समझे तब न!।