Asaram Bapu: राजस्थान हाई कोर्ट ने संत आसाराम बापू को स्वास्थ्य आधार पर छह माह की अंतरिम जमानत प्रदान की है। आसाराम बापू के लिए यह जमानत न केवल राहत है, बल्कि उनके लाखों समर्थकों के लिए आस्था की विजय का प्रतीक भी बन गई है। जोधपुर सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास काट रहे आसाराम के भक्तों में इस फैसले से खुशी की लहर दौड़ गई है। सोशल मीडिया पर उनके अनुयायी ‘बापू जिंदाबाद’ के नारे लगा रहे हैं और मंदिरों-आश्रमों में प्रार्थनाएं हो रही हैं। उनके भक्तों का कहना है कि भगवान ने बापू को न्याय दिया, उनकी कृपा से ही यह संभव हुआ। हालांकि, हिंदू संगठन जैसे आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद ने कई बार सनातन के संतों की जमानतों पर न्यायिक पूर्वाग्रह के आरोप लगाए है। सनातन पर सवालों के इन हालातों में हिंदू समाज में निराशा है; भक्त सोचते हैं कि क्या आस्था पर न्याय होगा?
उम्र कैद की सजा, 12 साल से जेल में
आसाराम बापू पर एक नाबालिग छात्रा पर बलात्कार का केस 2013 से चला आ रहा है। संत आसाराम बापू की अंतरिम जमानत यह फैसला 29 अक्टूबर 2025 को उनके वकीलों द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई के बाद आया, जिसमें 82 वर्षीय आसाराम की बिगड़ती तबीयत और जेल के बाहर विशेष चिकित्सा उपचार की आवश्यकता का हवाला दिया गया था। आसाराम बापू को 1 सितंबर 2013 को गिरफ्तार किया गया था और 2018 में जोधपुर की विशेष अदालत ने दोषी ठहराया और उम्रकैद की सजा सुनाई। कुल 12 साल उनको जेल में हो गए हैं।
सेकुलरिज्म के निशाने पर सनातन
सनातन धर्म के देश भारत में हिंदू समाज में इस तरह के केस से खिन्नता बढ़ रही है। संतों के करोड़ों भक्तों की आस्था पर सवाल उठते हैं, और लगता है जैसे धर्मगुरुओं को निशाना बनाया जा रहा हो। एक ओर सेकुलरिज्म के नाम पर हिंदू संतों पर हमले, दूसरी ओर अल्पसंख्यक मामलों में नरमी, यह असंतुलन समाज में विभाजन पैदा कर रहा है। लेकिन न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर भरोसा रखना होगा। आसाराम के केस से सबक यह है कि कानून सबके लिए बराबर होना चाहिए, चाहे संत हो या साधारण। हालांकि, आसाराम बापू को इस जमानत से भक्तों को उम्मीद जगी है, लेकिन समाज को न्याय की प्रतीक्षा है। क्या यह केस सच्चाई उजागर करेगा, यह तो समय ही बताएगा।
राजस्थान व गुजरात में दो केस एक साथ
जोधपुर स्थित आसाराम बापू के आश्रम में एक 16 वर्षीय नाबालिग छात्रा ने उन पर बलात्कार का आरोप लगाया थाय़ पीड़िता के माता-पिता उनके भक्त थे, और घटना के बाद पुलिस शिकायत पर जांच शुरू हुई। 1 सितंबर 2013 को इंदौर के आश्रम से गिरफ्तार किए गए आसाराम को 2018 में जोधपुर की विशेष अदालत ने दोषी ठहराया और उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके अलावा, गुजरात के अहमदाबाद में 2013 का एक अन्य केस है, जिसमें एक महिला ने आश्रम में यौन शोषण का आरोप लगाया। जनवरी 2023 में इस केस में भी उन्हें उम्रकैद हुई। दोनों ही मामलों में अपीलें उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। केस का हाल यह है कि राजस्थान हाईकोर्ट में अपील चल रही है, जबकि गुजरात केस में सुप्रीम कोर्ट में अंतिम सुनवाई बाकी है। कानून के विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे गंभीर मामलों में कोर्ट प्रक्रिया वर्षों चल सकती है। राजस्थान वाले केस में अपील का फैसला 2026 तक आ सकता है, और गुजरात केस में भी इसी साल अंतिम निर्णय संभव है। यदि अपील खारिज हुई, तो उम्रकैद बरकरार रहेगी; लेकिन यदि बरी होते हैं, तो लंबे संघर्ष के बाद मुक्ति मिलेगी।
पहली बार मिली 6 महीने की जमानत
आसाराम बापू को इस बार, पहली बार छह माह की लंबी अवधि की जमानत मिली है, जो राजस्थान हाईकोर्ट से मिली है। हालांकि स्वास्थ्य आधार पर जमानतें मिलने से प्रक्रिया में देरी हो रही है, जो न्यायिक प्रणाली की चुनौतियों को उजागर करती है। वैसे, जमानत आसाराम को पहले भी मिलती रही है। जनवरी 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात केस में स्वास्थ्य आधार पर दो माह की अंतरिम जमानत दी, जिसे मार्च तक बढ़ाया गया। मार्च 2025 में गुजरात हाईकोर्ट ने इसे तीन माह और बढ़ाया। अगस्त 2025 में राजस्थान हाईकोर्ट ने एक याचिका खारिज कर दी थी, क्योंकि मेडिकल बोर्ड ने उनकी हालत स्थिर बताई। राजस्थान हाईकोर्ट से इस बार जो जमानत दी है, उसमें कोर्ट ने शर्तें लगाई हैं कि सबूतों से छेड़छाड़ न करें, भक्तों से न मिलें, और समय पर सरेंडर करें। यह अंतरिम जमानत है, न कि स्थायी, इसलिए अपराध की गंभीरता कम नहीं होती।
कई और संतों पर भी कई केस
दुखद स्थिति यह है कि आसाराम सहित विभिन्न हिंदू धर्मगुरुओं पर देश में कई केस चल रहे हैं। राम रहीम सन 2017 में बलात्कार के लिए आजीवन कारावास की सजा में हैं। स्वामी नित्यानंद सन 2021 में यौन शोषण में दोषी पाए गए। स्वामी रामदेव पतंजलि मिसब्रांडिंग केस में लापता घोषित किए गए और अब वे सबके सामने हैं। कल्पेश्वर आश्रम के स्वामी चिन्मयानंद को भी 2019 में बलात्कार केस जैसे मामलों में सजा हो चुकी है और जांच भी चल रही है। लेकिन इनमें से किसी भी केस में सच्चाई पूरी तरह साबित नहीं हुई। कोर्ट में कई अपीलें लंबित हैं, और कुछ में राजनीतिक साजिश के आरोप लगते हैं।

