Rajasthan Newsः: कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) पूर्वी राजस्थान के दौरे पर गए, तो चर्चा का विषय बन गए। राजस्थान (Rajasthan) के पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत का जगह जगह जबरदस्त स्वागत हुआ और लोग अपने जननायक को देखने – सुनने बड़ी संख्या में उमड़े। कांग्रेस के नेताओं ने उनके लिए वंदनवार सजाए और कार्यकर्ताओं ने जयकारे लगाए। राजनीतिक चर्चाओं में इसे राजस्थान (Rajasthan) की जनता के बीच गहलोत की लोकप्रियता का उदाहरण माना जा रहा है, तो एक वर्ग इस दौरे को सचिन पायलट (Sachin Pilot) के इलाके में गहलोत का शक्ति प्रदर्शन बता रहा है। दौरा कांग्रेस (Congress) के दिग्गज नेता गहलोत का था, लेकिन उनसे भी ज्यादा चर्चा सचिन पायलट समर्थकों के रुख की है, जो राजनीति में ‘मिल कर साथ चलने’ की अवधारणा से अभी भी तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं। हालांकि, गहलोत कुछ दिन पहले ही अपने गृह जिले जोधपुर गए थे, फिर पाली, सिरोही और उदयपुर जिलों के दौरे पर भी गए थे, जगह जगह स्वागत हुआ, लोग मिले और कांग्रेसजनों में जबरदस्त उत्साह दिखा, तो नेताओं में सक्रियता। लेकिन गहलोत के उस दौरे पर किसी को कोई मलाल नहीं दिखा। मगर, पूर्वी राजस्थान के 21 व 22 मार्च के दौरे को लेकर जबरदस्त चर्चा है।
अशोक गहलोत के इस दौरे की चर्चा यही साबित कर रही है कि राजस्थान में गहलोत – पायलट के बीच की खाई सत्ता चले जाने के बाद भी खत्म नहीं हो रही है। अशोक गहलोत के दो दिनों के पूर्वी राजस्थान के राजनीतिक दौरे में कुछ पायलट समर्थक जनप्रतिनिधियों ने इसकी खुल कर गवाही दी है, जो इस दौरे में गहलोत से मिलने तक नहीं पहुंचे, तो उनके कुछ समर्थक सोशल मीडिया पर पायलट के क्षेत्र में गहलोत का दौरा बता रहे हैं। पार्टी की परंपरा के अनुसार अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता के दौरे में कांग्रेस सांसद मुरारीलाल मीणा और विधायक जीआर खटाना को भी पहुंचना चाहिए था, लेकिन दोनों ने ही दूरी बनाए रखकर संदेश दिया कि पायलट समर्थकों की राह अलग है। राजनीति के जानकारों की राय में गहलोत के पूर्वी राजस्थान के दौरे को कांग्रेस की राजनीति में पायलट के गढ़ में उनको पहली चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।

गहलोत के स्वागत से पायलट समर्थक परेशान
जयपुर से भरतपुर के रास्ते में बस्सी, सिकंदरा, दौसा, महवा आदि में पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत का जगह-जगह जिस उत्साह से स्वागत में हुआ और कार्यकर्ताओं और समर्थकों की भीड़ उमड़ी, उससे सोशल मीडिया पर पायलट समर्थकों में जबरदस्त परेशानी दिख रही है। कोई इसे पायलट के इलाके में प्रवेश कह कर तीर छोड़ रहा है, कोई इस दौरे को पायलट की कॉपी करना बता रहा है, तो कोई पाय़लट से कम समर्थन मिलना भी कह रहा है। दरअसल, जिस पूर्वी राजस्थान को पायलट समर्थक पायलट का इलाका बताते रहे हैं, वहां पर गहलोत को उनके इस दौरे में मिले, शानदार समर्थन से कई तरह की राजनीतिक अटकलों की गहमा – गहमी भी शुरू हो गई है। हालांकि, कांग्रेस के लिए यह भविष्य में किसी बड़े नुकसान वाली बात है कि उसके कार्यकर्ता अपने नेताओं के लिए इलाकों का बंटवारा कर रहे हैं, लेकिन पायलट समर्थकों को यही सुहा रहा है।
गहलोत के हर दौरे में सियासी संदेश समाहित
राजस्थान की राजनीति के जानकारों का मानना है कि अशोक गहलोत लोकप्रियता के मोहताज नहीं है, उनके चाहने वाले पूरे प्रदेश में हैं। इस दौरे में उन्होंने विभिन्न स्थानों पर कांग्रेस के पदाधिकारियों से बातचीत की, , कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और और जनसामान्य के दुख – सुख जाने। राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार मनीष गोधा का कहना है कि अशोक गहलोत के हर दौरे के पीछे कहीं न कहीं कोई सियासी संदेश जरूर होता है। उनका कोई भी कार्यक्रम अचानक नहीं होता। गोधा कहते हैं कि आने वाले दिनों में यह भी साफ जाएगा कि गहलोत का पूर्वी राजस्थान का यह दौरा क्या सियासी गुल खिलाएगा। वरिष्ठ पत्रकार गोधा का यह भी कहना है कि गहलोत के इस दौरे के दौरे के मायने इसलिए भी निकाले जा रहे हैं, क्योंकि उन्होंने इसके लिए दौसा और भरतपुर को चुना। वे मानते हैं कि आने वाले दिनों में गहलोत और पायलट खेमों के बीच इस दौरे को लेकर अलग किस्म की खींचतान देखने – सुनने को मिल सकती है।

पायलट राष्ट्रीय नेता, यूपी के निवासी, राजस्थान से चुनाव लड़ते हैं
अशोक गहलोत राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी हैं। वे जानते हैं कि पशुओं के रेवड़ में ढीठ जानवरों को सबसे पहले हांका जाता है, जिससे रेवड़ के चलने का संदेश सभी को सीधे पहुंच जाए। राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार कहते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री ने संभवतया इसीलिए कांग्रेस की मजबूती और संगठन की सक्रियता के लिए, पूर्वी राजस्थान को चुना, जिसे सचिन पायलट के समर्थक उनका इलाका बताते रहे हैं। जबकि असल में, राजस्थान में पायलट का अपना कोई इलाका नहीं है। वे तो पायलट मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं और कभी अजमेर तो कभी टोंक से चुनाव लड़ते रहे हैं। फिर भी पायलट समर्थक सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि गहलोत ने पायलट को कमजोर करने के लिए उनके इलाके पूर्वी राजस्थान में अपनी राजनीतिक सक्रियता बढ़ाई है। राजनीतिक विश्लेषक परिहार कहते हैं कि, गहलोत के इस दौरे से, पायलट समर्थक शायद इसलिए परेशान है, क्योंकि वे पूर्वी राजस्थान को कहीं न कहीं पायलट का इलाका मान बैठे हैं।

शानदार स्वागत, लेकिन पायलट समर्थक दौरे से दूर
पूर्वी राजस्थान में गहलोत का इस दौरे में जनता द्वारा जगह-जगह लोग जुटे, शानदार स्वागत और भव्य कार्यक्रम हुए। भले ही पायलट समर्थक सांसद मुरारी मीणा व बांदीकुई से कांग्रेस विधायक रहे गजराज खटाना ने अपनी ही पार्टी के नेता से दूरी बनाए रखी, तो पायलट के जातिगत समर्थकों व उनके व्यक्तिगत कार्यकर्ताओं ने भी गहलोत के दौरे से दूरी बनाए रखी। मगर, दौसा से विधायक डीसी बैरवा भी पायलट समर्थक हैं, लेकिन उन्होंने भी अपने समर्थकों के साथ गहलोत का भव्य स्वागत किया, तो सांसद संजना जाटव भी गहलोत के स्वागत में पहुंची। पूर्व मंत्री ममता भूपेश ने सिकराय में तो टोड़ाभीम में विधायक घनश्याम नहर ने गहलोत का शानदार स्वागत किया, तो महवा में पूर्व विधायक ओम प्रकाश हुडला, नदबई में जोगेंद्र अवाना और भरतपुर में पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने भी गहलोत के स्वागत में कोई कसर नहीं रखी। बस्सी से लेकर भरतपुर तक कांग्रेस के नेताओं ने गहलोत का दिल खोल कर स्वागत किया। भरतपुर में फौजी विशाल होटल हलेना पर गहलोत का स्वागत करने वाली एडवोकेट अंजली सैनी कहती है कि प्रदेश की जनता समझ चुकी है कि राजस्थान के लिए गहलोत साहब जरूरी हैं। एडवोकेट अंजली सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा – जननायक गहलोत साहब का सामाजिक बंधुओं व कार्यकर्ता साथियों, प्रबुद्धजनों ने बड़ी संख्या में एकत्रित होकर भव्य स्वागत व अभिनंदन किया एवं इस दौरान आमजन ने कांग्रेस सरकार की जनहितकारी योजनाओं के लिए साधुवाद भी दिया।
गहलोत ही कांग्रेस का सबसे लोकप्रिय चेहरा
सचिन पायलट समर्थक इस दौरे को पूर्वी राजस्थान में गहलोत का शक्ति प्रदर्शन मान रहे हैं। उस बारे में कांग्रेस की राजनीति पर नजर रखने वाले पत्रकार हरिसिंह राजपुरोहित का कहना है कि निश्चित तौर पर गहलोत समर्थक दोनों नेता, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और विधानसभा में विपक्ष के नेता टीकाराम जूली भी पार्टी में पायलट की बराबरी में नए पॉवर सेंटर के रूप में उभर रहे हैं। तो, उनकी ताकत को मजबूती देने के लिए गहलोत भी शक्ति प्रदर्शन करके लोगों में अपनी लोकप्रियता की पुष्टि कर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार सिद्धराज लोढ़ा कहते हैं कि राजस्थान की राजनीति में आज भी अशोक गहलोत का मुकाबला कोई नहीं कर सकता। समूचे राजस्थान में आज भी गहलोत ही कांग्रेस का सबसे लोकप्रिय चेहरा है। राजस्थान की राजनीति को जानने वालों का मानना है कि अशोक गहलोत यूं ही कुछ भी नहीं करते। उनके हर कदम में बड़े राजनीतिक संदेश छिपे रहते हैं। लेकिन पायलट समर्थक इस दौरे से परेशान हो रहे हैं, यही कांग्रेस में पायलट समर्थकों की राजनीतिक कमजोरी है। वैसे, राजनीति में किसी भी नेता की महानता का पैमाना उसकी सहिष्णुता होती है। किंतु अगर किसी नेता के समर्थक अगर किसी और नेता के दौरे को भी दिल के दौरे की तरह ले ले, तो उनको उनके हाल पर ही छोड़ देना उचित है।
-राकेश दुबे (वरिष्ठ पत्रकार)
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