Ram Mandir Rajasthan: भारतीय इतिहास में राजस्थान (Rajasthan), राजस्थानियों और राजस्थानी तत्व की हर मामले में अपनी अलग अहमियत है। शौर्य, धर्म, दान, पुण्य़ तथा भव्य निर्माणों से राजस्थान का गहरा नाता है। अयोध्या (Ayodhya) के राम मंदिर (Ram Mandir) का राजस्थान (Rajasthan) से करीबी नाता है, विशेष तौर से जयपुर, जोधपुर, भरतपुर, पिंडवाड़ा, आबूरोड़, दौसा और मकराणा का नाता बड़ा गहरा बन गया है। इसकी खास वजह भी है, क्योंकि राम मंदिर में बिराजे रामलला (Ramlalaa) की एक प्रतिमा के मकराणा के संगमरमर पत्थर (Marble) राजस्थान से पत्थर से निर्मित है। उस प्रतिमा के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडे राजस्थान की राजधानी जयपुर के रहने वाले हैं। मंदिर में लगा ज्यादातर पत्थर (Stone) राजस्थान की विभिन्न जगहों से गया है। मंदिर में लगे लाल पत्थर (Sand Stone) के स्तंभों और गुंबदों पर नक्काशी करने वाले कारीगर राजस्थान के हैं। राम मंदिर के लिए में सबसे ज्यादा आर्थिक सहयोग भी राजस्थान से अयोध्या पहुंचा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने राम लला की पहली आरती जिन दीयों से की, उनमें जलनेवाला घी तथा पहले दिन बंटने वाले प्रसाद का घी व तेल भी राजस्थान से अयोध्या पहुंचा। अब देखिये न, अयोध्या राजस्थान से कितना दूर है, हमारी राजधानी जयपुर से तो कुल 700 किलोमीटर से भी ज्यादा दूर। कार य़आ किसी और वाहन से जाना हो, तो पूरे 12 घंटे से भी ज्यादा की दूरी। लेकिन
Ram Mandir Rajasthan दोनों का पत्थर सा मजबूत नाता
आप देख रहे हैं कि अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर की भव्यता संसार के किसी भी अन्य मंदिर के मुकाबल बेहद अलग है। इस मंदिर की दर्शनीयता में जो निखार दिख रहा है, उसमें राजस्थान के पत्थरों और कारीगरों का खास योगदान है। भरतपुर, जोधपुर, जयपुर, मकराणा व भीलवाड़ा सहित सिरोही जिलों का पत्थर राम मंदिर को बनाने में लगा है, व लगातार लगता जा रहा है। दुनिया भर में संगमरमर पत्थर के लिए मशहूर राजस्थान के मकराणा का संगमरमर यानी सफेद मार्बल का इस्तेमाल राम मंदिर के लिए किया गया है। मंदिर के भूतल पर हजारों वर्गफीट में मार्बल लगाया गया है, जो मकराणा से अयोध्या गया है। सिरोही जिले के सोमपुरा कारीगरों द्वारा मंदिर में लगने वाले पत्थरों को तराशा गया है। बरसों तक सिरोही जिले के पिंडवाड़ा के गांवों में सैंकड़ों सोमपुरा कारीगर मंदिर के स्तंभ तराशते रहे। यहां के सोमपुरा कारीगरों की नक्काशी कला बेमिसाल है। अयोध्या से रामेश्वर तक 2500 किलोमीटर लंबे भगवान राम के वन गमन मार्ग पर श्रीराम स्तंभ लगाने की भी योजना के लिए कुल 290 स्थानों पर लगनेवाले श्रीराम स्तंभों का निर्माण भी राजस्थान के सिरोही जिले के आबूरोड में हो रहा है। राम मंदिर के पास लगने वाला पहला श्रीराम स्तंभ अक्टूबर 2023 में आबूरोड से अयोध्या पहुंचा। जोधपुर के सूरसागर का छीत्तर पत्थर बहुत लोकप्रिय है, जोधपुर का भव्य महल उम्मेद भवन पैलेस भी उसी पत्थर से बना है, राम मंदिर के सुंदर और विशाल 32 द्वार उन्हीं छीतर पत्थरों से है। राजस्थान में दौसा जिले के सिकंदरा निवासी पत्थर पर नक्काशी करने वाले कारीगर साढ़े तीन साल से अयोध्या में काम कर रहे हैं। सिंकदरा में भी सिरोही जिले की तरह ही पिछले कई सालों से राम मंदिर निर्माण में लगने वाले जाली, झरोखों, तोरण द्वारों और स्तंभों पर नक्काशी का काम चल रहा था।
राजस्थानी पत्थरों से बना राम मंदिर दुनिया में अनोखा
बंसी पहाड़पुर का नाम बहुत कम लोगों ने सुना होगा, लेकिन नागर शैली में बन रहे राम मंदिर के निर्माण में राजस्थान के कई इलाकों से पत्थर और अन्य सामग्री जा रही है, उसमें बंसी पहाड़पुर का पत्थर भी बेहद अहम है। मंदिर के दृश्य भाग में सतह से ऊपर बादामी रंग के जिन बलुआ पत्थरों का उपयोग किया जा रहा है, वह राजस्थान के भरतपुर जिले के बयाना इलाके के बंसी पहाड़पुर की खदानों का है, जो अपने लुभावने रंग के कारण यह काफी आकर्षक है। यहां से यह पत्थर पहले अवेध रूप से निकाला जा रहा था, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को खबर मिली, तो वे नाराज हुए और अधिकारियों सं पूछा कि पवित्र कार्य के लिए गलत काम क्यों? तत्कालीन मुख्यमंत्री गहलोत ने 14 जून 2021 को अधिकारिक रूप से कहा कि प्रदेश के बंशी पहाड़पुर से अवैध खनन कर गुलाबी पत्थर राम मंदिर के लिए भेजा जा रहा था। हमने प्रयास किया कि इस पावन कार्य में अवैध तरीके से निकाला गया पत्थर ना जाए। गहलोत ने कहा कि हमने प्रयास करके यहां हो रहे पत्थर खनन के कार्य को भारत सरकार से लीगल तरीके से वैधता दिलवाई, जिसका हमें संतोष है। रामलला के मंदिर में लगा हल्के लाल रंग का सेंड स्टोन राजस्थान से गया है। भीलवाड़ा जिले बिजौलिया के पास उपरमाल की खानों का पत्थर राम मंदिर में लगा है। बिजोलिया से राम मंदिर को लगभग 5 लाख वर्ग फुट पत्थर सप्लाई हुआ है, जो वहां पर राम मंदिर की परिक्रमा, वॉक वे, पार्किंग एरिया और कूबेर टीले में लग रहा है। बिजोलिया से अब तक 100 ट्रकों के माध्यम से 4 हजार टन से अधिक सैंड स्टोन राम मंदिर को सप्लाई किया जा चुका है, जो राम दिर के पूरा बनने तक लगातार जारी रहेगा। मूर्तियों के लिए जयपुर दुनिया भर में फेमस है। रामलला की एक प्रतिमा भी राजस्थान के पत्थर की है। प्राण प्रतिष्ठा के लिए भगवान राम की कुल तीन मूर्तियों का निर्माण हुआ, उनमें से एक का निर्माण जयपुर के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडे ने किया, मंदिर परिसर में ही स्थापित की गई है। उन्होंने सात महीनों में अयोध्या में रहकर इस मूर्ति को तैयार किया। रामलला की यह मूर्ति मकराना के मार्बल पत्थर की है, जो 90 साल पहले खान से मिकाला गया था और 40 साल से उनके पास पड़ा था। यह मूर्ति
राम मंदिर में सर्वाधिक आर्थिक सहयोग भी राजस्थान से
किसी भी बड़े काम में बड़ी और मजबूत आर्थिक स्थिति सबसे पहली जरूरत होती है, राजस्थान के धर्मप्रेमियों ने इस अवधारणा को समझते हुए राम मंदिर के निर्माण में आर्थिक सहयोग देने में सबसे बड़ा योगदान दिया है। आंकड़े बताते हैं कि राजस्थान की जनता ने राम मंदिर के निर्माण में आर्थिक सहयोग देने के मामले में उत्तर प्रदेश को भी पीछे छोड़ दिया है। राम मंदिर निधि समर्पण अभियान में राजस्थान से 500 करोड़ रुपए से भी ज्यादा का सहयोग रहा है। यह अभियान पूरे देश में चला, जिसमें सबसे अधिक सहयोग राशि राजस्थान की करीब 500 करोड़ रुपये में भी अकेले जोधपुर शहर से सर्वाधिक 214 करोड़ रुपये दान मिला हैं और इसमें भी 1 करोड़ रुपए अकेले निर्मल गहलोत ने दिए। जोधपुर के एक भिखारी ने 7 हजार रुपए का आर्थिक सहयोग राम मंदिर के लिए दिया, चंदा जमा करनेवाले क्रायकर्ताओं ने उसकी हालत देखकर मना किया, तो भी उसने जबरदस्ती दिया। इसी तरह से अस्पताल में भर्ती एक बीमार महिला ने रामलला के लिए अपनी ज्वेलरी दान करने की भावना जताई, लेकिन उसे भी मना किया गया। बाद में उस महिला की मृत्यु हो गई, तो उसके परिवार जनों ने वह ज्वेलरी विश्व हिंदू परिषद को भेंट की। राजस्थान में घर घर जाकर चंदा जुटाया गया था, जिसमें लोगों ने अपार उत्साह के साथ बहुत बढ़-चढ़ कर सहयोग दिया। राजस्थान के बाद उत्तर प्रदेश सहयोग राशि देने में दूसरे नंबर पर रहा है, जहां से राम मंदिर निर्माण निधि समर्पण अभियान में करीब 200 करोड़ रुपए से की राशि एकत्रित हुई।
प्रतिष्ठा आयोजनों में भी सबसे आगे राजस्थान
राम मंदिर के प्रतिष्ठा महोत्सव के विभिन्न आयोजनों में भी राजस्थानी समाज अपने सहयोग के लिए लोग बेहद उस्ताहित होकर आगे रहा। प्रतिष्ठा महोत्सव में भोजन व प्रसाद बनाने हेतु राजस्थान से 2100 डिब्बे तेल भेजा गया, उसी तेल से वहां सीता रसोई में भोजन व प्रसाद के लिए बना। जोधपुर से घी एवं हवन सामग्री भी अयोध्या पहुंची, जिसका उपयोग राम मंदिर में 22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा में किया गया। अयोध्या में राम मंदिर की प्रतिष्ठा से पहले जो हवन, यज्ञ, दीप, आरती और अन्य प्रज्वलित पवित्र कार्य हुए, उनमें इस्तेमाल होने के लिए सैकड़ों किलो देसी घी भी राजस्थान से पहुंचा। यह देसी घी उन गायों के दूध से बना, जिनको गौ तस्करों से बचाकर कत्लखानों में कटने जाने से रोका गया तथा गौशालाओं में रखा गया। राम मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों से पहली आरती भी उसी घी से संपन्न हुई।
-निरंजन परिहार